बालोद: जिले के राजनीतिक रणक्षेत्र की भूमि पर स्थित नगर पंचायत गुरूर ज़हां की प्रसाशानिक गतिविधियों को लेकर काफी लंबे समय से सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। बता दें कि कांग्रेस पार्टी की सरकार प्रदेश की सत्ता में थी उस दौरान नगर पंचायत गुरूर के अंदर विभिन्न तरहों की गतिविधियों को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। इस दरमियान कई सियासी विवाद भी देखे जा चुके हैं। संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की सरजमीं पर मौजूद नगर पंचायत गुरूर में विवादों को लेकर कई धारणाएं लोगों के मध्य सुना जाता रहा है जिसमें मुख्य रूप से सत्ता सरकार में शामिल लोगों को तमाम विवादों का जिम्मेदार बताया जाता था हालांकि वर्तमान समय में प्रदेश के अंदर सत्ता परिवर्तन हो चुका है, लेकिन सियासी रूप से आज भी कांग्रेस पार्टी का नगर पंचायत गुरूर में एक छत्र राज स्थापित करते हुए सत्ता पर काबिज है। ताजा विवाद इस बात को लेकर है कि राज्य सरकार के वित्त विभाग ने प्रदेश भर में आदेश जारी करते हुए यह कहा है कि वित्तीय लेनदेन की प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने वाले कार्य एंजेसियों का ही बिल बाउचर का पैमेंट प्रशासनिक तौर पर किया जाना चाहिए ताकि सरकार को किसी भी स्तर पर नुकसान उठाने की स्थिति से बचने में आसानी हो और राजस्व में इजाफा हो सकें,लेकिन नगर पंचायत गुरूर के द्वारा बिते दिनों सत्ता सरकार में शामिल लोगों की संरक्षण के जरिए अमानक तरीके से सामाग्रियों की खरीदी को अंजाम दिया गया है। मामले को लेकर जानकारी सार्वजनिक होने के बाद नगरपंचायत सीएमओ कार्यालय के अंदर पदस्थ लेखापाल की भूमिका को लेकर काफी नाराज़ चल रहे है। लेखापाल कंसारी बाबू को सीएमओ नगर पंचायत गुरूर ने कड़ी चेतावनी देते हुए मामले से जुड़े हुए सभी दस्तावेजों को दिखाने के लिए कहा है। बता दें कि कंसारी बाबू बिते कई अरसो से नगर पंचायत गुरूर में पदस्थ हैं, जबकि प्रशासनिक नियमों के तहत किसी भी अधिकारी या फिर कर्मचारियों को एक ही जगह पर बरसों नौकरी करने का प्रावधान नहीं है। इससे पूर्व विधानसभा चुनाव में कंसारी बाबू को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन मामले को लेकर उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुआ है। इस बीच सामन खरीदी बिक्री में कुछ लोगों के साथ कंसारी बाबू का भी नाम सामने आया है। सूत्रों की मानें तो कंसारी बाबू अपने चुने हुए साथियों को गुपचुप तरीके से लाखों रुपए की टेंडर आसानी से दे देते थे और सत्ता सरकार के आड़ में कोई सवाल जवाब नहीं पुछा नहीं जाता था। अब जब सत्ता परिवर्तन होने के बाद नये सीएमओ तिवारी साहब का आगमन नगर पंचायत गुरूर में बतौर मुख्य अधिकारी के तौर पर हो चुका है तब नगर पंचायत गुरूर में पदस्थ कई लापरवाह कर्मचारी बगल झांकने को मजबूर बताएं जा रहे हैं। बहरहाल नगरवासियों में तिवारी साहब के आगमन से काफी उत्साह देखा जा रहा है।