सूत्रों की मानें तो मामला को दबाने के लिए बाफना कंस्ट्रक्शन कंपनी ने दिया मृतक परिवार को मामूली क्षति पुर्ती! जेसीबी मशीन पर फांसी में झुलते हुए युवक की विडीयो हुआ वायरल! कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक मामले से बचने के लिए कर रहे हैं ऊपरी ताकतों का इस्तेमाल ! ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या किसी की जान का किमत और एक श्रमिक की श्रम का मोल क्या इतना सस्ता है कि कोई भी अमीर व्यक्ति किसी भी श्रमिक की श्रम को आसानी से कुचल कर उसके संघर्षों को तहस नहस कर सकता है।
बालोद : किसी भी राष्ट्र की आर्थिक तरक्की तभी संभव माना जा सकता है जब तक कि उस राष्ट्र में श्रम की परिभाषा को समझने वाले लोग श्रम का सम्मान करना न भूल रहे हो, लेकिन जब आर्थिक उन्नति और तरक्की के चाह में लोग बाग श्रम का सम्मान करना छोड़ बल्कि किसी के श्रम का मजाक उड़ानें का दुस्साहस करता है,तब तब श्रम का पतन होता है। सनद रहे धरती पर जीवन लीला की समाप्ति से पहले लगभग हर प्राणी जीव जीवन जीने के लिए अथक श्रम करते हुए कठिन राहों से होकर गुजरता है! ऐसे में मनुष्य जाति को धरती पर सबसे कामयाब और तेज दिमाग वाला जीव माना गया है। बावजूद इसके मनुष्य जाति को भी अपनी जीवन यात्रा में कठिन संघर्षों को झेलते हुए जीवन व्यतीत करना पड़ता है,लेकिन जरा सोचिए कि धरती के सबसे तेज दिमाग वाला जीव इंसान अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी के द्वारा की जा रही श्रम का मजाक उड़ाते हुए अपनी श्रम की मजा में लिप्त हो और उसके द्वारा की जा रही मजाक से किसी की श्रम और संघर्षों का पतन हो रहा हो,तब क्या इससे श्रम का सम्मान बढ़ जाता है? क्या ऐसे में तरक्की और उन्नति का सपना संजोए हुए मेहनतकश राष्ट्र को इसे लेकर चिंतन नहीं करना चाहिए? श्रम और संघर्षों का अपमान किसी भी मुल्यो के आधार पर धरती के अंदर संभव नहीं माना जा सकता है! बावजूद इसके दुनिया भर में श्रम और श्रमिकों का अपमान होता है!
भरे घाम प्यास में पसीना ओगार के बोरे बासी खविया छत्तीसगढ़ महतारी की करिया बेटा,बेटियों श्रमिकों के साथ लगातार बढ़ रही है दमन और शोषण की घटना। बाहरी ठेकेदार लगातार स्थानीय श्रमिकों की श्रम का कर रहे हैं अपमान,बावजूद इसके हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई दिखाई देती है प्रदेश में मौजूद रहने वाली सरकार!
छत्तीसगढ़ राज्य जिसे अमीर धरती के गरीब और मजलूम लोगों की तपो भूमि के तौर पर भी जाना व पहचाना जाता है! भारत के दूसरे राज्यों की तरह यहां पर भी ग़रीबी अशिक्षा और बेरोज़गारी एक भंयकर बिमारी के तौर पर अपनी पहचान प्रदेश के लगभग समूचे परिवारों तक बना चुकी है! लिहाजा समूचे छत्तीसगढ़ राज्य में रहने वाले लगभग तीन करोड़ छतिसगढ़िहा लोगों की संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए श्रम की क्या मायने हो सकता इसे समझना आसान है। विडंबना इस बात को लेकर है कि राज्य में श्रम का पतन सरकार की नाके से हो रही है और सरकार नाक पोंछने की बजाए छोड़ न,जो होना रिहिस से वो होगे अब चिल्लाये से काय फायदा, यह कहते हुए पल्ला झाड़ते कर पतली गली से बाहर निकलने में लग जाते हैं।
जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले अंतर्गत सुरेंगांव थाना के पीछे बाफना कंन्ट्रक्शन कंपनी की डामर प्लांट बिते कई महिनों से चालू है। इस डामर प्लांट के जरिए जिला में करोड़ों रुपए की लागत से सरकार के द्वारा सड़कें बनाई जा रही है! बनाई जा रही सड़को के सहारे सरकार भी खूब नाम और शोहरत कमा रही है और साथ में सड़क निर्माण करने वाली कंपनी मुनाफा! बावजूद इसके सड़क निर्माण कार्य में लगे हुए जेसीबी आपरेटर नेम सिंह साहू निवासी अरौद जिला बालोद को पैसे की तंगी के चलते आत्महत्या कर प्राण त्यागने आवश्यकता पड़ गई ! आखिरकार ऐसी क्या वजह रही होगी कि एक श्रमिक को अपने कार्य स्थल पर जान गंवानी पड़ी है! बहरहाल मामले को लेकर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और पुलिस के द्वारा जांच की जा रही है! मामले में लोगों का कहना है कि बाफना कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होना चाहिए ताकि कोई अन्य दूसरा श्रमिक को ऐसा करने की स्थिति से ना गुजरना पड़े।