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केसीपीएस कुरूद में शिक्षक पालक मीटिंग में बच्चों को तनाव मुक्त रखने पर की गई पहल

कुरूद. आगामी बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम से बच्चों में होने वाले तनाव को दूर करने और उनका उचित निराकरण की पहल पर शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेशानुसार शनिवार को कलीराम चंद्राकर पब्लिक स्कूल कुरूद में शिक्षक पालक मीटिंग का आयोजन किया गया।
     कार्यक्रम का मूल विषय तनाव प्रबंधन में माता-पिता की भूमिका रही। नोडल अधिकारी एनएल चंद्राकर ने उपस्थित पालकों को आगामी बोर्ड परीक्षा के परिणाम से बच्चों में उत्पन्न होने वाले तनाव को दूर करने के लिए जारी किए गए क्रमानुसार पंक्तियों का वर्णन कर उसे समझाया। जिनमें बच्चों की तुलना किसी अन्य बच्चों से न करने,बच्चों को मानसिक तनाव न देने ,बोर्ड परीक्षा परिणाम ही अंतिम नही सहित विभिन्न कारणों का वर्णन कर पालकों को समझाया कि बच्चा परीक्षा परिणाम के दौरान मानसिक अवसाद में रहता है, उस समय हम उनके सबसे बड़े हितैषी बनकर उनकी बातों को समझकर उनका निदान करें।उन्हे डांटने के स्थान पर नई तरीके से नई शुरुआत करने पर ताकत दे।श्री चंद्राकर ने उपस्थित पालकों से क्रमानुसार परिचय प्राप्त कर उनकी समस्याओं को सुना और बच्चों के प्रति उन्हें हमेशा एक सच्चा मित्र बनकर रहने की बात कही।
      कार्यक्रम में उपस्थित आयुष मेडिकल अधिकारी डॉक्टर सुशांत जांगड़े ने पालकों को कहा कि आज के वर्तमान दौर में बच्चें छोटी सी चीज में ही बहुत ज्यादा सोचने लग जाते हैं,उन्हे हम किसी भी स्थिति में नकारात्मक सोचने ना दे बल्कि उन्हें प्रेरित करते रहे। 
       स्वास्थ्य विभाग से उपस्थित एलएचवी श्रीमती यू वैष्णव ने कहा कि बच्चों को इस तरह के मानसिक तनाव से बचाने के लिए उनके पास बैठे,उनकी बातें सुने और हर तरह से उनके पास आपके मौजूद होने की बात कहें।बच्चों को इससे ताकत मिलेगी।
     विद्यालय से वरिष्ठ शिक्षक हेमंत सोनी ने कहा कि बच्चे देश के भविष्य है,उनमें कभी खुशी तो कभी तनाव का आना स्वाभाविक है,उनको तनाव में कभी आने वाली बात हम न कहे,बच्चों को मोटिवेट करते रहे।
        वरिष्ठ शिक्षक केएन यादव ने कहा कि बच्चों का पालकों के साथ संचार बहुत जरूरी है,आप जितना उनसे जुड़ते जाएंगे ,बच्चों को इस तरह की कोई तकलीफ नहीं होगी।भौतिकी के व्याख्याता गौरव काडे ने कहा कि बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से न किया जाए बल्कि बच्चों को हर परिस्थिति में सफल होना सिखाया जाए।
        हिंदी विषय के विभागाध्यक्ष मुकेश कश्यप ने कहा कि बच्चा जब अध्ययन काल में जीता है तो गुरु के बाद सबसे बड़ा हितैषी उसके माता-पिता ही होते है। अतः पालकों को बच्चे के हर तरह के परिणाम को स्वीकार कर उसे फिर से नई शुरुआत करने का आत्मबल दिया जाए। पालक बच्चों के मित्र बनकर उनकी समस्याओं को सुने और उसे हर तरह से सुलझाने का प्रयास करें।    
        गणित विषय की शिक्षिका मधु साहू ने भी पालकों को बच्चों से जुड़ने और उनके प्रति हर तरह से मदद करने की बात कही।कार्यक्रम में उपस्थित पालकों ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे।इस दौरान बड़ी संख्या में पालक एवं शिक्षकगण उपस्थित थे।

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