मुकेश कश्यप
कुरूद:- चैत्र नवरात्र के आज पांचवें दिन पंचमी पर्व भक्तिभावना के साथ मनाया जा रहा है। नगर के जय महाकाली छत्तीसगढ़ महतारी मंदिर में माता काली और छत्तीसगढ़ महतारी का शुभ मुहूर्त में भव्य सोलह श्रृंगार किया गया। सुबह से ही भक्तगण दर्शन के लिये पहुंचे। इस दौरान आस्था और भक्ति चरम पर थी।
भक्तगणों ने श्रृंगार सामान चढ़ाते हुए अपनी आस्था को प्रकट किया। मंदिर में भक्तगणों ने इस बार भी आस्था के प्रतीक ज्योत जलाकर अपनी श्रद्धाभक्ति प्रकट की है।सुबह शाम जसगीतों से सजी मनभावन श्रृंखला मन में शांति और समरसता का संचार कर रही है।
विदित है कि नवरात्रि में मां दुर्गा को 16 श्रृंगार चढ़ाया जाता है। इससे जुड़ी ऐसी मान्यता है कि इससे घर में सुख और समृद्धि आती है। अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलता है। यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में सोलह श्रृंगार को जीवन का अहम और अभिन्ना अंग माना गया है। नवरात्रि में मां को सोलह श्रृंगार का चढ़ावा चढ़ाने के अलावा महिलाओं को भी इस दौरान सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए। ऋग्वेद में भी सौभाग्य के लिए सोलह श्रृंगारों का महत्व बताया गया है। सोलह श्रृंगार में मौजूद हर एक श्रृंगार का अलग अर्थ है। बिन्दी को भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से जोड़कर देखा जाता है। वहीं सिंदूर सौभाग्य और सुहाग की निशानी होती है। महावर और मेहंदी को प्रेम से जोड़कर देखा जाता है। काजल बुरी नजर से बचाता है। मां का सोलह श्रृंगार करने से घर और जीवन में सौभाग्य आता है। जीवन में खुशियां ही खुशियां आती है। और जीवनसाथी का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
नवरात्रि का पांचवा दिन माता स्कंदमाता के पूजन से जुड़ा है। नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। मां अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार कुरुद और ग्रामीण अंचलों में पंचमीं को विशेष पूजा अर्चना कर मनाया जा रहा है।