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कुरूद में चैत्र नवरात्रि के आगमन पर देवी मंदिरो में जगमगाएं आस्था के ज्योत

मुकेश कश्यप
कुरूद:- मंगलवार को देशभर में शक्ति की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हुआ। चारों तरफ भक्ति भाव से सुसज्जित मनभावन और भक्तिमय आस्था की अविरल धारा जसगीतों मन को महकाने और माता सेवा की अलख जगाने का चरण शुरू हुआ।कुरूद में भी प्रतिवर्ष की भांति देवी मंदिरो में आज मनोकामना ज्योत प्रज्वलित कर लोग आस्था और भक्ति के साथ माता के दरबार में जनकल्याण की अर्जी लगाई।
           मिली जानकारी अनुसार नगर की आराध्या देवी मां चंडी , मां शीतला सहित जय महाकाली छत्तीसगढ़ महतारी में शुभ मुहूर्त में मनोकामना ज्योत के साथ चैत्र नवरात्रि का भव्य शुभारंभ हुआ। मंदिरों को आकर्षक लाइट डेकोरेशन और पुष्पगुच्छ से सजाया गया है। आज से माता के भुवनों में जससेवा गीतों की अविरल धारा मन को शांति और समरसता की ओर ले जाएगी।
       इसी तरह प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जय महाकाली छत्तीसगढ़ महतारी मंदिर कुरुद में भव्य मेले का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा मीना बाजार लगेगा। ज्ञातव्य है कि हर साल चैत्र नवरात्रि पर कुरुद में भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसे देखने काफी संख्या में लोग उमड़ते है। इस बार मेले में ऑक्टोपस झूला, टोरा टोरा झूला, हवाई झूला, सुपर ड्रैगन, ब्रेकडांस झूला, भूत बंगला, मिक्की माउस, टाइटैनिक, रेंजर झूला, झूला बेबी, ट्रेन सालंबो झूला, मौत कुआं, मोटर बोड, मोटर साइकिल धूम, स्कॉर्पियो धूम, विभिन्न राज्य से आई सुसज्जित दुकानें व मीना बाजार आकर्षण का केंद्र होगी,जिसकी तैयारी जारी है।सभी को मेरे का बेसब्री से इंतजार है।
             विदित है कि नवरात्र हिंदू धर्म का एक खास और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। वैसे नवरात्र साल में चार बार पड़ते हैं। साल के प्रथम मास चैत्र में पहली नवरात्र होती है। चौथा महीना आषाढ़ का होता है जिसमें दूसरी नवरात्र पड़ती है। इसके बाद अश्विन माह में में प्रमुख शारदीय नवरात्र होती है। साल के अंत में माघ में गुप्त नवरात्र होते हैं। इन सभी नवरात्रों का जिक्र देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है।
         हिंदी कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है, और इसी दिन से नवरात्र की भी शुरू होते हैं।     
          पौराणिक मान्यताओं पर विश्वास करें तो सृष्टि के आरंभ के समय चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन पर ही देवी ने ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना करने का कार्यभार सौंपा था। इसलिए यह दिन सृष्टि के निर्माण का दिन माना जाता है। मान्यता है कि यह दिन समस्त जगत के आरंभ का दिन है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, इस तिथि पर ही देवी मां ने देवी-देवताओं के कार्यों का बंटवारा किया था और तत्पश्चात सभी ने अपना काम संभालते हुए सृष्टि के संचालन के लिए शक्ति और आशीर्वाद मांगा था। इसी के चलते चैत्र नवरात्र से हिंदू वर्ष का आरंभ माना जाता है।
         हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के नवरात्र से होने के पीछे कुछ अन्य खास महत्व भी हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा होने के पीछे सृष्टि रचयिता ब्रह्मदेव हैं। उन्होंने आज के दिन ही संसार की रचना का कार्य शुरु किया था और इसकी प्रेरणा भगवान नारायण को प्रदान की थी। देवी पुराण में उल्लेख है कि सृष्टि के आरंभ से पूर्व अंधकार का साम्राज्य था। तब आदि शक्ति जगदंबा देवी अपने कूष्मांडा अवतार में भिन्न वनस्पतियों और दूसरी वस्तुओं को संरक्षित करते हुए सूर्यमंडल के मध्य व्याप्त थीं। जगत निर्माण के समय माता ने ही त्रिदेव यानि ब्रह्मा,विष्णु और भगवान शिव की भी रचना करी थी। देवी पुराण में यह भी लिखा है कि इसके बाद सत, रज और तम नामक गुणों से तीन देवियां यानि लक्ष्मी,सरस्वती और काली माता की उत्पत्ति हुईं।
         आदिशक्ति की कृपा से ही ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की थी, देवी ने ही भगवान विष्णु को पालनहार और शिवजी को संहारकर्ता बनाया था। देवी की कृपा से ही सृष्टि निर्माण का कार्य संपूर्ण हुआ था, इसलिए सृष्टि के आरंभ की तिथि के दिन से नौ दिन तक मां जगदंबा के नौ स्वरूपों की पूजा करने की मान्यता है। देवी के सभी स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है और देवी से प्रार्थना की जाती है कि जिस तरह उन्होंने संसार की रचना का कार्य सफलता पूर्वक किया वैसे ही आने वाला यह नया संवत भी हम सबके जीवन में खुशहाली लेकर आए। इस दिन से ही पंचांग की गणना भी की जाती है। मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम का जन्म भी चैत्र नवरात्र में ही हुआ था।
           चैत्र मास, हिन्दू पंचांग के अनुसार एक बहुत ही महत्वपूर्ण माह है। इस माह की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है, जिसे विक्रम संवत 2081 के नाम से भी जाना जाता है। चैत्र मास का महीना न केवल महत्वपूर्ण पर्वों का समय होता है, बल्कि प्रकृति के लिए भी यह एक विशेष समय होता है। प्रकृति अपने पूर्ण यौवन पर होती है, और हर तरफ हरियाली फैली होती है। चैत्र मास में हिन्दू धर्म में कई महत्वपूर्ण त्योहार भी मनाए जाते हैं। नववर्ष की शुरुआत, चैत्र नवरात्र, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन आदि इस मास में ही होते हैं। यह मास धर्मिक और सामाजिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य की भरपूर भेंट भी देता है।चैत्र मास की प्रतिपदा के साथ ही हिन्दू नववर्ष का प्रथम दिन माना जाता है। इस दिन ब्रह्मा जी ने संपूर्ण सृष्टि का सृजन किया था और पांडवों का राज्याभिषेक भी हुआ था। विक्रम संवत का नामकरण भी इसी महीने में हुआ था। चैत्र नवरात्र का आरंभ भी इस महीने में होता है, जो नौ दिनों तक चलता है और नौ देवियों की पूजा किया जाता है।इस महत्वपूर्ण समय पर, लोग नए संस्कृतिक आरंभ की शुभकामनाएं एक-दूसरे को देते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियाँ बाँटते हैं। चैत्र मास का आगमन न केवल हिन्दू समुदाय के लिए बल्कि प्रकृति के लिए भी एक नया आरंभ होता है। इस महीने की शुभकामनाएं और आशीर्वाद देने के साथ, हम सभी को चैत्र मास की प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेने का भी एक अवसर मिलता है।स्वागत के ढंग, विविध रंग
नवरात्र के प्रारंभिक दिनों में घरों में उत्साह और आनंद का माहौल छाया रहता है। इस पवित्र अवसर पर कलश-पूजन की तैयारी की जाती है, जिससे घर की महक बढ़ जाती है। विशेष अवसर पर यज्ञोपवीतधारी नए जनेऊ धारण करते हैं।

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