मुकेश कश्यप
कुरूद:- चैत्र नवरात्रि पर चारों ओर माता सेवा भक्ति का वातावरण है। कुरूद में विराजी मां शीतला के दरबार में इस बार घट स्थापना के साथ मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना की गई है। भक्त श्रद्धा भाव के साथ माता जस गीत गाते हुए अपनी आस्था प्रकट कर रहे है। जय माता दी की गूंज के साथ वातावरण में जसगीतों की सुमधुर धारा मन को शांति और समरसता की ओर अग्रसित कर रही है।
मिली जानकारी अनुसार कुरूद में दो स्थानों पर विराजी मां शीतला के दरबार में भक्त इस बार भी मनोकामना ज्योत जलाकर परिवार और जनकल्याण की कामना की अर्जी लगा रहे है। परंपरानुसार इस बार भी कुरूद में चंडीपारा स्थित शीतला मंदिर और पचरीपारा स्थित शीतला मंदिर में लोगों ने मनोकामना ज्योत प्रज्वलित कर अपनी आस्था प्रकट किए है।सुबह-शाम माता के भुवन में जसगीतो से सुसज्जित वातावरण मन को मोह रहा है।
नवरात्रि में चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा अर्चना हुई। मां कुष्मांडा 8 भुजाओं वाली दिव्य शक्ति धारण मां परमेश्वरी का रूप हैं। मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से आपके सभी अभीष्ट कार्य पूर्ण होते हैं और जिन कार्य में बाधा आती हैं वे भी बिना किसी रुकावट के संपन्न हो जाते हैं। मां कुष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
देवी कुष्मांडा की महिमा के बारे में देवी भागवत पुराण में विस्तार से बताया गया है मां दुर्गा के चौथे रूप ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति की थी, इसलिए मां का नाम कुष्मांडा देवी पड़ा। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में चारों तरफ अंधियारा था और मां ने अपनी हल्की हंसी से पूरे ब्रह्मांड को रच डाला। सूरज की तपिश को सहने की शक्ति मां के अंदर है।मां कुष्मांडा का स्वरूप बहुत ही दिव्य और अलौकिक माना गया है। मां कुष्मांडा शेर की सवारी करती हैं और अपनी आठ भुजाओं में दिव्य अस्त्र धारण की हुई हैं। मां कुष्मांडा ने अपनी आठ भुजाओं में कमंडल, कलश, कमल, सुदर्शन चक्र धारण की हुई हैं। मां का यह रूप हमें जीवन शक्ति प्रदान करने वाला माना गया है।
इस तरह से कुरूद में नवरात्रि के चौथे दिन भी सुबह से ही भक्तगण देवी मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचे ,मौसम दिन में खुलने और धूप निकलने से भक्तों को राहत मिली। वहीं जय महाकाली छत्तीसगढ़ महतारी मंदिर और चंडी मंदिर में भी भक्तों ने माता रानी दर्शन कर अपनी आस्था प्रकट की।