छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के बाद से लगातार अनेक सामाजिक संगठनों द्वारा यह प्रयास किया गया था कि छत्तीसगढ़ में संस्कृत की पढ़ाई शुरू हो जिसके लिए उमेश साहू ने लगातार शासन तथा प्रशासन को अनेक बार चिट्ठी लिखकर तथा ज्ञापन के माध्यम से विषय को अवगत कराया । उमेश साहू का कहना है कि संस्कृत अति प्राचीनतम भाषा है हमारे धार्मिक ग्रंथ भी संस्कृत में ही लिखे हुए हैं संस्कृत से मानव समाज में संस्कार का विकास होता है पुराणों की रचना मुख्यतः संस्कृत में हुई है,
हिन्दुओं के धर्म-सम्बन्धी आख्यान ग्रन्थ हैं, जिनमें संसार - ऋषियों - राजाओं के वृत्तान्त आदि हैं। ये वैदिक काल के बहुत समय बाद के ग्रन्थ हैं। भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्त्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण प्राचीन भक्ति-ग्रन्थों के रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएँ कही गयी हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण दिया गया है। यह सब संस्कृत में ही लिखा गया है, छत्तीसगढ़ स्थापना के पश्चात भाजपा सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य है उमेश साहू ने बताया कि शिक्षा रोजगार संस्कार हमें संस्कृत से ही प्राप्त होती है संपूर्ण संत समाज हर्षित है आध्यात्मिकता की ओर जाना के लिए संस्कृत का योगदान महत्वपूर्ण है।