रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य की सियासी सरजमीं पर मौजूद बालोद जिले के तीनों विधानसभा सीट पर एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी ने अपना जलवा बरकरार रखते हुए दमदार तरीके से कब्जा जमा लिया है।
भूपेश बघेल की सरकार में केबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संम्हाल चुकी डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र की लोकप्रिय विधायक अनिला भेड़िया ने तीसरी बार विधायक बनने का तमगा अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को हराकर हासिल कर लिया है।
संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र में लगातार दूसरी बार जीत का परचम लहराने वाली संगीता सिन्हा और संसदीय सचिव रहे गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र के विधायक कुवंर सिंह निषाद की तिगड़ी ने भाजपाई उम्मीदवारों के साथ निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत से कोसो दूर रखते हुए भारी मतों से जीत हासिल किया है।
गुण्डरदेही विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार रहे पूर्व विधायक बिरेंद्र साहू को विधायक कुवंर सिंह निषाद ने भारी मतों से हराते हुए भूपेश की भरोसे को कायम रखने का दोबारा जज्बा हासिल किया है।



वंही डौडी लोहारा विधानसभा क्षेत्र में अनिला भेड़िया ने भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर को लगातार दूसरी बार भारी मतों से मात देते हुए विधानसभा के अंदर जीत हासिल करने में सफल हुई है।
संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र में अकेली अपने दम पर जीत हासिल कर संगीता सिन्हा ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचने में दोबारा कामयाब हुई है। भाजपा उम्मीदवार राकेश यादव को चुनाव में सिकस्त देते हुए अपने विरोधियों तक को जवाब देने में बखूबी तरीके से सफल साबित हुई है।
भाजपा की सूबे में सरकार, लेकिन बालोद में खाता तक नहीं खुला।
भाजपा छत्तीसगढ़ राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में आज पहुंच चुकी है, लेकिन बालोद जिला के तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को दूसरे नंबर से ही संतुष्ट रहना पड़ रहा है। हालांकि कि इस बार भारतीय जनता पार्टी जिला के तीनों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने हेतू जी जान से जुटी हुई दिखाई देती रही है। एक बड़े राजनीतिक दल होने के नाते बालोद जिला के भाजपा नेताओं को लगातार हो रही हार पर जिम्मेदारी के साथ चिंतन शिविर आयोजित कर मनन करना चाहिए ताकि कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवारों के प्रति छाई हुई ऐंटीइनकंम्बेसी का फायदा नहीं उठा पाने का कारणों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके। साथ ही जनता से जुड़े हुए मुद्दों को नजरंदाज करने से पार्टी को चुनाव में कितना नुक़सान पहुंचता है यह भी समझा जा सके। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य में भाजपा की सरकार बनने जा रही है और जल्द ही लोकसभा चुनाव संपन्न होना है। ऐसे में भाजपा विधानसभा चुनाव में मिली हार से सिख लेते हुए लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग जायेगी।
आगे कुआं पिछे खाई बीच में फंसे बागी होने वाले सभी भाई। हिन्दी फिल्म पान सिंह तोमर नाम की एक डायलॉग है। सदन में बागी होते हैं और बिहड़ में डाकू।
संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार रही मीना सत्येन्द्र साहू और उनके सहयोगी ललीता पीमन साहू सहित निकाषि्त सभी कांग्रेसी नेताओं का विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद अगला घर कंहा होगा? वैसे देखा जाए तो राजनीति में कोई दोस्त और दुश्मन नहीं होता है, और कुदरत का नियम कहता है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिलने से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने वाली जिला पंचायत सभापति श्रीमती मीना सत्येन्द्र साहू और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने के लिए उनका साथ देने वाली ललीता पीमन साहू सहित तुकाराम साहू,हलधर साहू,लेखक चतुर्वेदी सहित कई और निष्कासित कांग्रेसी नेता अब किसके सहारे अपनी राजनीतिक धूरी को संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की मटासी मिट्टी में मजबूती से जमाये रखेंगे? चूंकि सूबे में भाजपा की सरकार बैठ रही है और विधानसभा में कांग्रेस पार्टी से संगीता सिन्हा दोबारा आ गई है।
"ऐसे में क्या सभी कांग्रेसी नेता एक बार फिर एक साथ मिलकर मोदी के गांरटी को भूपेश बघेल के नेतृत्व में राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर जनता के सामने लाते हुए दिखाई देंगे ?