गांव बसा नहीं और सत्ता की हुनक दिखाने के लिए आमने-सामने खड़े हूए दो कबिले के सरदार। एक ने कहा अगला सरकार मैं तो दूसरे ने कहा अभी रूको जरा,बकरों की बलि इस बार भी नहीं होगी पूरी।
रायपुर : एक कहावत आपने सुनी होगी कि मेंढक को चाहे सोने की ईंट में बैठा दो, लेकिन वो छलांग हमेशा गंदे नाली में ही मारेगा, ठीक उसी तरह से हमारे आसपास में मौजूद राजनीतिक दल के नेता होते हैं, जिन्हें चाहे आप कितना भी सम्मान ,प्यार और प्रतिष्ठा दे दो, लेकिन वो भी अपनी औकात दिखा ही देता है,कुर्सी के लिए छलांग लगा कर मेंढ़क की तरह। खैर राजनीति में सभी नेताओं की जात एक जैसी होती हैं "इसलिए उनकी मजबूरी है कि वे भी कुर्सी के लिए छंलाग लगाए बिलकुल एक मेंढ़क की तरह। वैसे भी कौन व्यक्ति नहीं चाहेगा कि वह भी कप्तान बनें।
आमतौर सभी व्यक्ति अपने अपने पसंदीदा जगहों पर बतौर बेहतर खिलाड़ी कप्तानी करना चाहेंगे और हर खिलाड़ी का सपना होता है कि एक दिन उसकी भी बारी आए बतौर कप्तानी के लिए,चाहे वह खेल का मैदान हो अथवा राजनीति का या फिर अन्य कोई दूसरा क्षेत्र,बहरहाल आज भारत और आस्ट्रेलिया का 20 साल बाद विश्व कप में आमना-सामना होने जा रहा है। इस मैच में कप्तानी करेंगे भारतीय क्रिकेट टीम के धमाकेदार खिलाड़ी रोहित शर्मा।
अब ये तो हुई खेल के मैदान से जुड़े हुई खबर, अब बात करते हैं,छत्तीसगढ़ राज्य के सियासी गलियारों से जुड़े हुए खिलाड़ियों के सियासी खेल से जुड़ी हुई खबरों की। हाल के दिनों में प्रदेश के अंदर विधानसभा चुनाव सफल तरीके से संपन्न हुआ है। दो चरणों में आयोजित इस चुनाव का परिणाम अगले महीने के शूरूआत दिनों में घोषित की जावेगी। इस बीच कांग्रेस पार्टी के अंदर मौजूद दो बड़े सियासी खिलाड़ियों ने अपने अपने कूनबा के दम पर एक बार फिर कुर्सी को लेकर ताल ठोंक दिया है। एक ने कहा कि टीम ने एक साथ दम लगाया है इसलिए जीत का सेहरा पूरे टीम को तो वंही दूसरे खिलाड़ी ने तपाक से इशारों में कहा कि भाई साहब कप्तान मैं था इसलिए जीत का सेहरा मेरे सर।
हालांकि चुनाव परिणाम को लेकर अबतक किसी को कोई जानकारी नहीं है, लेकिन राजनीतिक पंडितों की मानें तो कप्तानी के चक्कर में आगे आने वाले दिनों में सूबे के अंदर काफी घनखोर घनचक्कर छत्तीसगढ़ राज्य की इस सियासी सरजमीं पर देखने को मिल सकती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो आपरेशन लोटस की वापसी वह भी धमाकेदार तरीके से।
कांग्रेस पार्टी को यदि बहू मत मिली तो कौन बनेगा मुख्यमंत्री भूपेश या बाबा या फिर होगी खेला होबे की एंट्री... इस बार आपरेशन लोटस की सरकार।

हाल के दिनों में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं और यह कयास जब तक लगाएं जाते रहेंगे जब तक चुनाव का रिजल्ट 3 दिसंबर को रिलीज नहीं हो जाता। बावजूद इसके ज्यादातर लोगों की मानें तो छत्तिसगढ़ राज्य में कांग्रेस पार्टी फिर से सूबे में सरकार बनायेगी। अब लोगों की यह सोंच कंहा तक सही है यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन कांग्रेस पार्टी के अंदर मौजूद दो बड़े सियासी धड़ों में मची धमाचौकड़ी को देखकर लोगों की कयासों को और ज्यादा हवा मिल रही है।
कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं में शुमार टी एस सिंहदेव मुख्यमंत्री पद को लेकर पिछले काफी दिनों से बेबाक ढंग से अपनी बात को रखते हुए देखे जाते रहे है तो वंही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी बड़ी बेबाकी के साथ अपनी प्रतिपर्धा को लेकर नकारते हुए जवाब देते हुए देखे जाते रहे है। हालांकि बिते दिनों चुनावी मंच पर राहुल गांधी तक भूपेश बघेल को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखने की मंशा जाहिर कर चुके हैं।
लेकिन टी एस सिंहदेव यानी कि बाबा जी है जो मानते ही नहीं है। लिहाजा वे अक्सर मुख्यमंत्री वाली बूटी को जगह जगह बांटने पर तूले हुए प्रतित नजर आते रहते हैं। सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद ईडी की जांच महादेव सट्टा कारोबार से जुड़े हुए मामले को लेकर और ज्यादा तेज हो सकती है।
शुभम सोनी ने बिते दिनों सी एम और बिट्टू भैय्या से लेकर बड़े बड़े रसूखदारो का नाम उगला था। मामले को लेकर ईडी की जांच का दिशा सी एम और बिट्टू तक कभी भी पहुंच सकता है। विशेष रूप से बिट्टू भैय्या के तरफ जिसका फायदा बतौर किसे मिल सकता है यह बताने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में सी एम साहब की कप्तानी जाने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। यदि कप्तान साहब पिछले दफा की तरह बार ज्यादा नखरा दिखाया तो आपरेशन लोटस के जरिए छत्तीसगढ़ राज्य की सियासी सरजमीं पर खेला होबे से इंकार नहीं किया जा सकता है।