बालोद : जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में महिनों से चल रही चुनाव की तैयारी, फिर प्रचार और उसके बाद सफल तरीके से मतदान संपन्न होने की जानकारी। निश्चित रूप से हमारी लोकतंत्र की गरिमा में यह सफल आयोजन एक नया अध्याय बन कर जुड़ गया है।
इसी के साथ छत्तीसगढ़ राज्य में महिनों से जारी विधानसभा चुनाव का दौर अब खत्म हो गया है। विधानसभा चुनाव का रिजल्ट 3 दिसंबर को रिलीज होगा।
यानि कि 3 दिसंबर को यह साफ हो जाएगा कि राज्य में किसकी सरकार तख्तोंताज संम्हालने हेतू सत्ता की कुर्सी पर बैठ रही है।
फिलहाल सभी राजनीतिक दल के सभी उम्मीदवारों की सांसें 3 दिसंबर तक रूक रूक कर धीमी गति से चलती रहेगी। इस बीच मतदान संपन्न होने के बाद बड़े बड़े राजनीतिक पंडित सक्रिय होकर उम्मीदवारों की जीत व हार पर सियासी मनगणित की भविष्यवाणी करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
परिणाम स्वरूप कई उम्मीदवारों की सांसें कभी थम जाती है, तो कभी तेज रफ्तार से दौड़ने लग जाता है। दूसरी ओर ग्रामीण मतदाता भी अपने कार्यों से फुर्सत निकाल कर चौक चौराहों पर बैठते ही अलग अलग चुनावी परिणाम को लेकर महफिल में अपने अपने दावे को आजमाते हुए नजर आ रहे हैं। इस दौरान यह भी देखने को मिल रहा है कि ज्यादातर लोग कांग्रेस पार्टी के लिए कार्तिक पूर्णिमा के तुंरत बाद दिए गए इस चुनावी परिक्षा को बढ़िया मानकर चल रहे हैं। लोगों की धारणा के मुताबिक जिला के तीन विधानसभा सीटों में से दो विधानसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी इस बार भी चुनाव जीत रही है।
जबकि बांकी किसी एक विधानसभा सीट भाजपा या निर्दलीय की पाले में जाने की कयास लगाई जा रही है। वैसे देखा जाए तो राजनीति के इतिहास में जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में इस बार कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी को निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में तगड़े दावेदार मिले हैं। तीनों विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवारों ने राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवारों की चिंता पूरे विधि-विधान से विधानसभा चुनाव के दौरान बने रहने दी और जबतक चुनाव का रिजल्ट घोषित नहीं हो जाता तबतक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के उम्मीदवारों की यह चिंता जायज बना रहेगा।
विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने राजनीतिक दल के हाथों फिर बेंच डाली दो सौ और तीन सौ रुपए में अपनी कीमती वोट
बालोद के तीनों विधानसभा क्षेत्र में इस बार हुए विधानसभा चुनाव के दौरान शराब की नदियां बहाने वाली घटनाएं ना के बराबर देखने को मिली है, लेकिन तीनों विधानसभा क्षेत्र के मतदाता चुनाव सम्पन्न होने के बाद पैसे लेकर वोट देने की बात दबे पांव ढिंढोरा पिट पिट कर बंया कर रहे हैं।
चुनाव के चलते शासन ने 15 से 17 तारीख तक शुष्क दिवस घोषित कर दिया था लिहाजा शराब के शौकीन लोगों को शराब मिलना बंद हो गया था।
इस दौरान लोग यह मानकर चल रहे थे कि हर चुनाव में राजनीतिक दल वोट खरीदने हेतू शराब तो बांटती है, इस बार भी बांटेंगे,काम बन जाएगा,लेकिन जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्र में मौजूद ज्यादातर शराबी इस बार चुनाव में भी शराब पीने के लिए तरसते हुए नजर आए,जो इस बात की तस्दीक करती है कि इस बार चुनाव में शराब का उपयोग नहीं हुआ है,लेकिन दूसरी ओर यही लोग मुंह बनाते हुए बंया कर रहे हैं कि नेताओं ने ही उन्हें शराब के बदले पैसे दिए हैं। लोगों के इन बातों में कितनी सच्चाई है।

यह तो भगवान और किए कराए को अंजाम देने वाले लोग ही जाने, लेकिन संसार के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश में आज भी इस तरह की गंदे रिवाज इस के मतदाता और राजनीतिक दल के नेता बड़ी खूबसूरती से खुलेआम अपना रहे हैं यह चिंता का विषय है। यह सवा आना सत्य है कि चुनाव में जीत हासिल करने हेतू राजनीतिक दल के उम्मीदवार हर हत्थकंडे अपनाते हैं लेकिन क्या यह जरूरी है कि मतदाता हर उम्मीदवारों की झांसे में आकर ही अपना मतदान करें।