@विनोद नेताम रायपुर : इन दिनों पूरे संसार भर में आर्थिक स्थिरता का माहौल बना हुआ है। पहले तो विश्व के कई देशों को कोरोना की महामारी ने डराया उसके बाद रूस और युक्रेन युद्ध ने पूरे संसार को दो भागों में बांट दिया, रही कसर इजरायल और हमास के बीच छिड़ी हुई जंग ने पूरी कर दी। इस बीच भारत शांति और समृद्धि का रास्ता अख्तियार करते हुए शांति और सहयोग की अपील करते हुए देखे गए है। आर्थिक आधार पर देखा जाए तो संसार भर में फैली हुई इस अस्थिरता के चलते कई देशों में भंयकर तरीके से आर्थिक स्थिरता पनप गई है। जिसके चलते गरीब से लेकर अमिर तक मजलूमो में तब्दील हो गये है। ऐसे में आधुनिक भारत तरक्की और उन्नति का सपना देखते हुए अगले आने वाले सालों में आर्थिक रूप से और ज्यादा मजबूत होने के लिए दिन रात मेहनत कर रही है। हालांकि देश के अंदर मौजूद रहने वाले ज्यादातर गरीब और मजलूम इस बात को मजबूती से कहते है कि वे यदि मेहनत नहीं करेंगे तो खायेंगे क्या। चूंकि खाड़ी देशों में छिड़ी जंग और रूस युक्रेन युद्ध के चलते पूरे संसार भर के सभी देशों में जरूरी सामान की आवाजाही प्रभावित हो रही है। ऐसे जरूरत मंद लोगों को जीवन उपयोगी जरूरी सामान उपलब्ध नहीं हो रहे है। जिसके चलते जरूरी सामानों की कीमतों में इजाफा हो रहा है। जिसका बोझ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों पर पड़ रहा है।
▪️भारतीय रूपया के गिरते हुए स्तर बहुत कुछ आंकड़े बंया करते हुए राजनीतिक दलों से इन दिनों सवाल पूछा जा रहा है कि फोकट में रेवड़ी कल्चर की आखिरकार क्या मायने हैं?▪️
▪️ आखिरकार नेताओं की ओर से की जाने वाली चुनावी घोषणा की पूर्ति सरकार बनने के बाद कैसे पूरी की जाती है। क्या सत्ता में रहने वाले लोग चुनावी घोषणा की पूर्ति हेतू पैसे अपने खूद की तिजोरी से निकाल कर भरते है ?▪️
देश के अंदर चुनाव माहौल का इन दिनों गरमाया हुआ है। बड़े बड़े राज्यों में इस वक्त विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने की शुरुआत हो चुकी है। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राज्यो में हो रही इस विधानसभा चुनाव को फाइनल से पहले सेमीफाइनल मुकाबले की तरह बताई जा रही है। विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने हेतू लगभग हर राजनीतिक दल बड़ी बड़ी चुनावी घोषणाओं को जनता के मध्य रख रहे है, ताकि वे इन घोषणाओं के बदौलत चुनाव में जीत हासिल कर सकें। भाजपा जंहा समाजिक समानता की बात कहते हुए सबका साथ सबका विकास पर ध्यान देते हुए चुनावी घोषणा पत्र को जारी किया है, तो वंही कांग्रेस पार्टी गांव,गरीब किसान, महिला और मजदूर को ध्यान में रखते हुए इन घोषणाओं को पूरा करने का दावा कर रही हैं।
हालांकि कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी इस घोषणा पत्र में महिलाओं और किसानों को खुश करने हेतू कांग्रेस पार्टी ने बड़ा दांव खेला है,लेकिन युक्रेन और रूस में छिड़ी हुई जंग और इजरायल मोसाद की लड़ाई से पैदा हो रही भंयकर संकट के इस दौर में फैली हुई आर्थिक स्थिति के बीच इन घोषणाओं की पूर्ति क्या संभव है इस पर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य जैसे छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर राज्य में कांग्रेस पार्टी ने बतौर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसानों की कर्जा माफी और घरेलू रसोई गैस उपभोक्ताओं को सिलेंडर 500 रूपए में देने का ऐलान किया है। विदित हो कि कांग्रेस पार्टी की सरकार ने पूरे अपने कार्यकाल के दौरान कर्ज लेकर अनेक योजनाओं को धरातल पर साकार करने का अबतक जोखिम लिया है। सरकार के द्वारा लिए गए जोखिम के चलते छत्तीसगढ़ राज्य के माथे पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है।
ऐसे में दोबारा जोखिम प्रदेशवासी के लिए कुंए में कूद कर जान देने से ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन जिस तरह से सत्ता हासिल करने हेतू कांग्रेस पार्टी सहित भारतीय जनता पार्टी और अन्य राजनीतिक दल घोषणा कर रहे है। उसे देखकर लगता है कि राज्य को कर्ज से मुक्ति दिलाने हेतू किसी भी राजनीतिक दल की कोई मंशा नहीं है, बल्कि प्रायः प्रायः सभी राजनीतिक दल चुनाव में जीत हासिल कर सत्ता हथियाने हेतू आम आदमी को रेवड़ी दिखाकर मलाई खाने की विचारधारा से प्रभावित होकर घोषणा करते हुए दिखाई दे रही है।
गौरतलब हो कि कर्ज का बोझ मंहगाई और तंगहाली के इस दौर में किसी भी आम जनता के लिए मुनाफे का सौदा कतई नहीं माना जा सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि सरकार बनने के बाद राजनीतिक दल कर्ज के दबाव को कम करने हेतू जनता के जेब पर ही डालेगी, लेकिन मंहगाई और बेरोजगारी के दौर में क्या जनता इस लायक है कि उनके जेब में डांका डाला जा सकता है।