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आखिरकार गरीबों के साथ अन्याय क्यों।

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में सूबे की ज्यादातर जनसंख्या निवास करती है। ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीण फसल की कटाई होने के बाद विवाह योग्य युवक युवतियों की विवाह हेतू तलाशी अभियान की शुरुआत कर देते है। आमतौर पर इस दौरान ज्यादातर यह देखने को मिलता है कि विवाह योग्य युवतियों को और उनके परिजनों को सरकारी नौकरी में पदस्थ दुल्हा या दामाद ही चाहिए होता है, बस बात खत्म। अब सवाल यह है कि बैगर सरकारी नौकरी वाला विवाह योग्य युवक आखिरकार करें तो क्या करें? खैर उपर वाला सबके लिए कंही ना कंही बंदोबस्त किए देता है। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के मुखिया माटीपुत्र भूपेश बघेल की सरकार सरकारी नौकरियों की नियुक्ति मामले में बुरी तरह से सवालों की घटघड़े में खड़ी हुई नजर आ रही है। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छत्तीसगढ़ राज्य के दूसरे राजधानी मानें जाने वाले जगदलपुर में सवालों की बौछार करते हुए दिखाई दिए थे। हालांकि नगरनार स्टिल प्लांट को निजी हाथों में देने को लेकर बस्तर के माटीपुत्रो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की केन्द्र सरकार पर भी सवाल उठाए हैं। इस बीच कुछ दिन बाद विधानसभा चुनाव सम्पन्न होना है और भरोसे की सरकार और नामुमकिन को भी मुमकिन कर देने वाली सरकार राजनीति के मैदान होंगे। ऐसे में छतिसगढ़ राज्य के ज्यादातर माटीपुत्र जो भी आज भी बेरोजगार हैं और लगातार सरकारों की झूठे वादों से आहत हो रहे उनके भी कई सवाल हैं।

@विनोद नेताम :

रायपुर : जब कभी गरीब देशों की बात उठती थी, तब दक्षिण अफ्रीका महाद्वीप के देश खासकर सोमालिया और नाइजीरिया आदि की चर्चा होती थी. लेकिन पिछले कुछ सालों में भारत की इतनी दुर्दशा हुई है कि उसने उन देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। अब तक माना यह जाता था कि नाइजीरिया में दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब रहते हैं, लेकिन यह कलंक अब भारत के मत्थे दुनिया के पांचवे सबसे बड़ी इकोनॉमी की सम्मान के साथ मढ़ दिया गया है। भारत में अब दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब लोग रहते हैं। वंही अमीरों की भी कोई कमी नहीं है। जाहिर सी बात है, जब नेताओं के रिश्तेदार गलत तरीके से अधिकारी बनेंगे और आदिवासियों की जमीन बनाई गई फैक्ट्रीयों में गैर आदिवासी नौकरी करेंगे तो आर्थिक असमानता सामान्य सी बात है।


“बिजनेस इनसाइडर अफ्रीका” में छपी खबर के अनुसार अब तक अफ्रीकी देश नाइजीरिया को दुनिया का “पॉवर्टी कैपिटल” ( गरीबों की राजधानी ) माना जाता था। वहां सबसे ज्यादा गरीबों की संख्या थी. पर “वर्ल्ड पॉवर्टी क्लॉक” के नए आंकड़ों के अनुसार भारत ने अब नाइजीरिया को पीछे छोड़ दिया है।नए आंकड़ों के अनुसार भारत में 2022 में संयुक्त राष्ट्र की अनुमानित गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 8.3 करोड़ लोग हैं।

गरीबी से संघर्ष-छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ गरीब राज्य है, जिसकी लगभग एक-तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। छत्तीसगढ़ में गरीबी का स्तर 39.93% है, जो विकास हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है। हालाँकि राज्य भारत के कुल इस्पात उत्पादन में केवल 15% का योगदान देता है, लेकिन सीमित आर्थिक अवसरों के कारण यह महत्वपूर्ण गरीबी से जूझ रहा है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्र, विशेष रूप से, बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं तक पहुंच की कमी से पीड़ित हैं, जो इसकी उच्च गरीबी दर में योगदान देता है। होने वाले विधानसभा चुनाव के मैदान में दोनों राजनीतिक दल अपनी अपनी सरकारों की वाहवाही जनता के मध्य खूब जोर शोर से उछालेगें इसमें कोई शंका नहीं होनी चाहिए लेकिन हकीकत में जो मंजर जमीनी धरातल पर मौजूद है उसकी चर्चा नहीं के बराबर होगी। माना जाता है कि छत्तीसगढ़ राज्य के लोग भोले भाले होते है। अपने अधिकारों के लिए लड़ने के बजाए छोड़ ना बे मोर पारी आही तब देखहूं इन विचारों को लेकर चलते हैं। इसलिए ज्यादातर संसाधनों पर अमीरों का कब्जा होता जा रहा है। विधानसभा में मौजूद प्रदेश के अधिकांश विधायक और मंत्री करोड़ पति बताए जाते है। ऐसे में गरीबों को आगामी विधानसभा चुनाव में सोंच समझ कर मतदान करना चाहिए

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