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भूपेश बघेल जरूरी है, लेकिन संगीता सिन्हा मजबूरी है। एक बिहारी दूसरा बिमारी।

@विनोद नेताम
मजबूरी के चलते कांग्रेस पार्टी की महिला "जिला पंचायत सदस्यों ने खरीदा निर्दलीय नामांकन पत्र"साहू समाज के अंदर खुशी की लहर।
कांग्रेस पार्टी के दो महिला जिला पंचायत सभापति की नामांकन पत्र खरीदने पर संजारी बालोद विधानसभा की राजनीति में आई सूनामी। संगीता सिन्हा और भैय्या राम सिन्हा के सियासी पारी पर उठे गंभीर सवाल।
बालोद : संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में ऐसा पहली बार देखने को मिल राहा है कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के द्वारा समर्थित उम्मीदवारों का विरोध ना सिर्फ आम जनता के द्वारा किया जा रहा है बल्कि दोनों राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं की ओर से भी विरोध के स्वर बुलंद किए जा रहे हैं। विरोध का आलम इस कदर बना हुआ है कि विधानसभा के आवाम दोनों बड़े राजनीतिक दल के प्रत्याशियों को बिहारी और बिमारी के नाम से संबोधित करते हुए नकार रहे है। सर्व विदित है कि भाजपा ने राकेश यादव को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार घोषित किया है जो कि 25 अक्टूबर को नांमाकन दाखिल करने वाले हैं जबकि कांग्रेस पार्टी से संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के लिए दोबारा संगीता सिन्हा को टिकट देकर उम्मीदवार बनाया है जो कि 26 अक्टूबर को नांमाकन दाखिल करने वाली है। वंही विधानसभा क्षेत्र के अंदर दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों को लेकर जनता के मध्य उत्साह नहीं के बराबर देखने को मिल रही है। क्षेत्रवासियों की मानें तो दोनों राजनीतिक दलों ने जनता की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम किया है। नेता जनता के लिए होता है और नेता को जनता अपने हितों के लिए चयन करती है, लेकिन राजनीति के इतिहास में पहली बार देखने को मिल राहा है कि राजनीतिक दल जनता के लिए नेता चुन रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों के द्वारा चुने गए नेताओं को मतदाताओं को झक मारकर अपना नेता मानना पड़ेगा और खड़े गए नेताओं में से ही एक को चुनना पड़ेगा। निश्चित रूप से राजनीतिक दलों की इस तरह के विधारधारा से संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की जनता को आघात पहुंचा है। जिसके चलते पूरे विधानसभा क्षेत्र में दोनों राजनीतिक दलों की समर्थित प्रत्याशीयों को लेकर नाखुशी जताते हुए लोगों को देखा जा रहा है।
ना संगीता सिन्हा और ना ही राकेश यादव की बारी,ये दारी दोनों नेता पब्लिक को झूठ बोल रहे है,बारी बारी। 
संगीता सिन्हा कांग्रेस पार्टी से दोबारा विधानसभा चुनाव प्रत्याशी बनाए गए है। संगीता सिन्हा की यह दूसरी पारी है जबकि उनके परिवार के लिए तीसरी बारी है। संगीता सिन्हा की विधायकी कार्यकाल पूरी तरह से विवादों से घिरी हुई नजर आई है जबकि उन्हें छत्तीसगढ़ विधानसभा के सभी गणमान्य सदस्यों ने उत्कृष्ट विधायक की सम्मान से सम्मानित करते हुए देखे गए है। विधानसभा क्षेत्र की जनता संगीता सिन्हा के बजाए भैय्या राम सिन्हा को विधायक के तौर पर जानते है, जबकि उत्कृष्ट विधायक होने के हिसाब से नैतिकता के पैमाने पर इसे उचित नहीं माना जा सकता है। वंही राकेश यादव जिला मुख्यालय बालोद शहर के नगर अध्यक्ष रह चुके है। भाजपा के दिग्गज नेता माने जाते हैं, लेकिन जिस तरह से छत्तीसगढ़ियावाद की लहर हमर राज पार्टी के सदस्यों ने पूरे प्रदेश भर में चला रखा हुआ है,उस हिसाब से देखा जाए तो राकेश यादव को परदेशिया बताया जा रहा है। बाहरी होने के चलते भाजपा उम्मीदवार राकेश यादव जनता की पसंद से कोसो दूर खड़े हुए बताए जा रहे हैं। इस बीच हमर राज पार्टी मेहनत कर रही हैविधानसभा क्षेत्र के जनता की मांग पर साहू समाज से ताल्लुक रखने वाली दो कांग्रेस पार्टी की महिला जिला पंचायत सदस्यों ने खरीदा निर्दलीय नामांकन पत्र। 
लगातार दोनों राजनीतिक दल के उम्मीदवारों को लेकर उठती हुई सवालों के बिच जिला पंचायत सभापति बालोद मीना सत्येन्द्र साहू और ललिता पीमन साहू ने खरीदा निर्दलीय नामांकन पत्र। दोनों महिला कांग्रेसी नेत्रीयों की निर्दलीय नामांकन पत्र खरीदने पर संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक में हड़कंप। संगीता सिन्हा और उनके पति भैय्या राम सिन्हा की सियासी साख को लगी चूना। सियासी सरजमीं पर मौजूद राजनीतिक पंडितों की मानें तो दोनों महिलाओं ने बारी बारी से सियासी तमाचा जड़ा है। जिला के राजनीतिक हलकों में चर्चा का गर्म। ऐसे में क्या कांग्रेस पार्टी निर्दलीय नामांकन पत्र खरीदने वाले जिला पंचायत सभापतियों की बगावती सुर को लय में लाने के लिए उत्कृष्ट विधायक सम्मान से सम्मानित संजारी बालोद विधानसभा उम्मीदवार संगीता सिन्हा की और उनके पति भैय्या राम सिन्हा के कारनामों पर पड़ी पर्दा को उठाने का प्रयास करेंगे ?क्या कांग्रेस पार्टी मोहब्बत के बाजार में नफरत की दुकान चलाने वाले भैय्या राम सिन्हा की राजनीतिक आचरण पर उठते हुए सवालों का जवाब संजारी बालोद क्षेत्र की आम मतदाताओं को देना पसंद करेंगे? आखिरकार क्यों कांग्रेसी महिला जिला पंचायत सभापतियो को बगावती सुर अख्तियार करना पड़ा है, जबकि संगीता सिन्हा एक खुद महिला है।अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर क्या ललीता पीमन साहू और मीना सत्येन्द्र साहू जो कि जनता की मांग पर इस कदम को आगे बढ़ाने में सफल हुई है उनकी कदमों को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी फिर कोई नई चाल को अंजाम देने का प्रयास करेंगी या फिर संगीता सिन्हा और उनके पति पूर्व विधायक भैय्या राम सिन्हा से कांग्रेस पार्टी उम्मीदवारी की दावेदारी वापस ले लेगी।


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