महिला मिडियाकर्मी को कांग्रेसी विधायक पति पूर्व विधायक भैय्या राम सिन्हा का चमकाते हुए विडियो वायरलबालोद :सार्वजनिक जीवन में मौजूद लोगों को जवाबदेह ठहराए जाने की यह अनिच्छा अब राजनीतिक व्यवस्था में वायरस की तरह फैल गई है। हर राजनेता अब अनिच्छित सवालों से बचने हेतु अपनी नजरें बचाकर भाग खड़ा होने की तरीकों को भंलिभांती जानते व समझते हैं। वंही अब राजनेता अपनी वाहवाही के लिए चाटूकारों की मंडली साथ में रखना भी जानते है।जिनका मुख्य काम है राजनेताओं से जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर सवाल कम पुछना और शेखी में ज्यादा लिखना। इन चाटूकारों ने मिडिया की साख को गर्त में धकेल दिया है।दुख की बात है कि मीडिया असहमति जताने और सत्ता से सच बोलने के अधिकार की रक्षा करने के बजाय,अपारदर्शी,सत्तावादी नेतृत्व की सराहना करना पसंद करते है, जबकि स्वस्थ लोकतंत्र में मिडिया को विपक्ष की भूमिका में तैनात लोकतंत्र की पहरी माना गया है। जानकारों की मानें तो यह हालत हमेशा से ऐसा नहीं था। जब 1970 के दशक के मध्य में इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया, तो उनके खिलाफ खड़े होने वालों की संख्या और बढ़ गई,जबकि 1980 के दशक के अंत में, जब राजीव गांधी ने मानहानि विधेयक पेश किया,तब उस समय मीडिया ने एक स्वर में विरोध जताते हुए सरकार को चेताया तब भी मिडिया को जनता का भरपूर सहयोग मिला। वैसे देखा जाए तो मीडिया के ख़िलाफ़ सरकारों ने हर मामले में मनमाने इस्तेमाल के लगभग हर पैंतरे आजमाए है और अजमा रहे है आगे भी आजमायें जायेंगे। आज चाटूकार लोगों की करतूतों के चलते अब जब कोई राजनेता मीडिया पर हमला करता है, तो एक बड़ा दर्शक वर्ग होता है जो किनारे से जयकार करता है, जो शायद समाज में वैचारिक दरार को दर्शाता है। शायद मीडिया जगत को भी आत्ममंथन करने की जरूरत है कि उन्होंने अपने साथ ऐसा क्यों होने दिया। जब टेलीविजन समाचारों में संवेदना की जगह सनसनी ले ली जाती है, जब राजनीतिक लोग समाचार की प्राथमिकताएं निर्धारित करते हैं, जब स्वामित्व पैटर्न गैर-पारदर्शी होते हैं, तो मिडिया नेताओं और उनकी भाड़े की सेनाओं के लिए टट्टू बन कर रह जाता है और टट्टू मिडिया स्वस्थ लोकतंत्र के लिए कितना घातक हो सकता है यह छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले में भी देखने को मिल राहा है। जंहा पर एक सत्ताधारी राजनीतिक दल के नेता सत्ता में रहने के दौरान किस तरह से मिडिया को धमकाने का प्रयास करता है और कैसे वहीं मिडिया कुछ दिन बाद धमकाने वाले सत्ताधारी नेता की चारनभाट बनकर रह जाता है और उसी नेता की वाहवाही में जुट जाता है। दरअसल भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार महिलाओं को धूंए से छुटकारा दिलाने हेतू उज्जवला योजना की शुरुआत करते हुए गांव गांव और घर घर घरेलू गैस कनेक्शन मुहैया कराई है। छत्तीसगढ़ राज्य में भी यह इस योजना के तहत गांव गांव और घर घर कनेक्शन बांटे गए है। जिसमें बालोद जिला भी शामिल है।
जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र में इण्डेन गैस एंजेसी धारक कांग्रेस पार्टी के विधायक पति पूर्व विधायक भैय्या राम सिन्हा बताये जाते है। कुछ दिन पहले विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत चिरचारी में इंडियन गैस सिलेंडरों में वजन कम होने को लेकर गांव में काफी बवाल मचने की खबर अखबारों के हवाले से लोगों को जानकारी मिली थी। किसी अखबार ने मामले में सवाल उठाते हुए गंभीरता से सिलेंडर में वजन कम होने की बात को लिखा तो किसी अखबार ने पूर्व विधायक भैय्या राम सिन्हा के द्वारा मिडिया कर्मी को धमकाने की बात को लेकर भी सवाल दागा था लेकिन मामले में अबतक क्या हुआ किसी को कोई जानकारी नहीं है। खैर यंहा मिडिया की साख को लगती बट्टा पर सवाल है क्योंकि उज्जवला योजना अंतर्गत बांटी गई सिलेंडर जिसके चलते ग्राम पंचायत चिरचारी में बवाल मचा था उसका विडियो टाप भारत के पास मौजूद हैं। इस विडियो में एक महिला मिडियाकर्मी को पूर्व विधायक भैय्या राम सिन्हा के द्वारा स्कूली बच्चों के सामने चमकाने की वाक्या को देखा जा सकता है।