डाक्टर उंगली वाले बाबा की करामत से पूरा कयानत हैरान, लेकिन विधायक महोदया जी नहीं हुई परेशान।
@विनोद नेताम
मानवता के इतिहास में दर्ज हर पन्ने पर डाक्टरों को धरती का दूसरा भगवान बताया है। कारण बताने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जिस तरह से एक वाक्या संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक रण भूमि क्षेत्र में विगत कुछ वर्ष पहले सुनने व देखने को मिला है वह घटना मानवता के इतिहास में लिखे गए हर पन्ने की शब्दों को पुनः परखने पर मजबूर कर देता है।
बालोद : आजादी के सत्तर वर्षों बाद भी हम अपने आचरण, चरित्र, नैतिकता और काबिलीयत को एक स्तर तक भी नहीं उठा सके। हमारी आबादी की पैमाना 76 वर्षों में करीब चार गुना हो गई है पर हम देश में 500 सुयोग्य और साफ छवि के राजनेता आगे नहीं ला सके, यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होने के साथ-साथ विडंबनापूर्ण भी है। आज भी हमारे अनुभव बचकाने हैं। जमीन आजाद हुई है, जमीर तो आज भी कहीं, किसी के पास गिरवी रखा हुआ है। अब गिरवी किसके यंहा रखी जाती है या फिर रखा जाता है "यह बताने की आवश्यकता नहीं है, जबकि लोकतंत्र की कुर्सी का सम्मान करना हर नागरिक का आत्मधर्म और राष्ट्रधर्म है "क्योंकि इस कुर्सी पर व्यक्ति नहीं, चरित्र बैठता है, लेकिन इसे हमारे लोकतंत्र की त्रासदी ही मानी जाएगी कि इस पर स्वार्थता,महत्वाकांक्षा, बेईमानी, भ्रष्टाचारिता को प्रमुखता से निचोड़कर खाने वाले लोग ही बैठते हुए दिखाई देते हैं। लोकतंत्र की टूटती सांसों को जीत की उम्मीदें देना जरूरी है। इसके लिए साफ-सुथरी छवि के राजनेताओं को आगे लाना समय की सबसे बड़ी जरूरत माना जा रहा है। यह सत्य है कि नेता और नायक किसी कारखाने में पैदा करने की चीज नहीं हैं, इन्हें समाज ही पैदा करता है और समाज ही वो फैक्ट्री है जिससे निकल कर यही नेता इसी फैक्ट्री को ही अंदर अंदर खोखला करने में तूले हुए प्रतित नजर आते है। हालांकि काबिलीयत और चरित्र वाले लोग बहुत हैं, पर परिवारवाद, जातिवाद, भ्रष्टाचार व कालाधन उन्हें आगे नहीं आने देता है। बहरहाल छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की आखिरी तैयारियों ने अब रूप लेना शुरू कर दिया है। बिते कल कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ राज्य के 90 विधानसभा सीटों में से 30 विधानसभा में अपनी प्रत्याशियों का नाम उजागर करते हुए विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया है। इस बीच कई सिटिंग विधायकों को कांग्रेस पार्टी ने इस बार भरोसे के सरकार की भरोसे का वजूद तहस-नहस करने हेतू बाहर का रास्ता दिखा दिया है,तो वंही भरोसे की सरकार के भरोसे को मुरीयामेट करने वाले कई और विधायको की उम्मीदों पर पानी फिरे जाने की आंशका जताई जा रही है। भरोसे के सरकार की भरोसा को मुरीयामेट करने को लेकर संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की मौजूदा विधायक संगीता सिन्हा को लेकर भी काफी लंबे समय से सवाल उठाए जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो विधानसभा क्षेत्र के कई कांग्रेसी नेता पिछले दिनों दिल्ली में विधायक संगीता सिन्हा की उम्मीदवारी पर कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं को आईना दिखाते हुए देखे गए है। यह दुर्लभ नजारा किसी भी राजनेता के लिए यह शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है कि उनके ही पार्टी के सहयोगी नेता उनका ही विरोध इस तरह से करें, लेकिन सवाल यह है कि यह नौबत क्यों आई हुई है ? जबकि मौजूदा विधायक संगीता सिन्हा इस बार भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ओर से मजबूत उम्मीदवार बताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि विधायक संगीता सिन्हा की छवि बिलकुल बेदाग और साफ होने के साथ साथ ईमानदार है, लेकिन उनके कूनबे में शामिल नवरत्नों में से एक - एक नवरत्न बिलकुल नगीने के सामान अनोखे और करिश्माई है।