@विनोद नेताम
"गोबर दे बछरू गोबर दे चारों घुंटा ल लिपन दे ,अपन खाथे गुदा गुदा हमला देथे फोकला फोकला "
क्यों न टामन सिंह सोनवानी को गोबर से गणेश बनाने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए। एक तरफ युवाओं को गोबर की गुणवत्ता पर गोबरधन की पाठशाला वंही दूसरी ओर गोबर बुद्धि रसूखदारो के द्वारा बनाए गए गोबर गणेश की पूजा। मुस्कुराते रहिए आप छत्तीसगढ़ में है।
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य की सरजंमी पर स्थानीय लोगों को दरकिनार करते हुए उनके अधिकारों को सुनिश्चित तरीके से हड़पने का सिलसिला बरसों से बदस्तूर जारी है।

हड़पने वाले लोगों में से क्या भिखमंगे,क्या लोटाधारी और क्या सफेदपोश नेता और क्या टामन सिंह सोनवानी सब शामिल है। अन्य दूसरे राज्यों से आकर यहां पर बसने वाले लोग स्थानीय लोगों से कई गुना अधिक अमीर और सम्पन्न बताये जाते है,जबकि छत्तीसगढ़ राज्य के कई हिस्सों में मौजूद आम जनता आज भी अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रहते हुए जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। ऐसे में उन्हें भी उन्नति और समृद्धि की ओर आगे आने अधिकार है और इस अधिकार को बेहतर तरीके से शिक्षा ही गरीबों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है" क्योंकि शिक्षा मनुष्य के लिए वह हथियार माना जाता रहा है जिसके बुनियाद पर मनुष्य का संपूर्ण जीवन चक्र निर्भर करता है। देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न अब्दुल कलाम साहब की मानें तो शिक्षा शेरनी का वह दूध है जिसे जो पियेंगा वो दहाड़ेगा। भारत आज अंतरिक्ष शिक्षा के दम पर स्पेश मिशन में तहलका मचा दिया है। बावजूद इसके देश में गोबर बुद्धि अमीरचंद फोकट टाइप रसूखदारों के औलादों को गणेश बनाने की मुहिम छिड़ी हुई है। हालांकि गोबर आज सदियों से उपयोगी संसाधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन सत्य यह भी है कि बुद्धि और गोबर कोई मेल नहीं हो सकता है।
बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य जंहा पर लोक सेवा आयोग की परिक्षा परिणाम को लेकर जारी सूची में दर्ज अभ्यर्थियों के खुलासों के बाद बवाल मच हुआ है। जिसके चलते कई रसूखदारो को गोबर से गणेश बनाने के ऐवज में खूब खरी-खोटी सुनना पड़ा है। इस बीच लोक सेवा आयोग परीक्षा में दिन रात मेहनत करने वाले असंख्य युवा नवजवान अपने किस्मत पर रोते हुए वर्तमान समय में जगह जगह लोक सेवा आयोग परीक्षा परिणाम में धांधली करने वाले तमाम रसूखदारो की माई का दाल बनाते हुए देखे जा सकते हैं।


वंही लोक सेवा आयोग के एक और कारनामा ने युवाओं के द्वारा बनाई जा रही रसूखदारो की माई के दाल में मशाला डालने का काम कर दिया है। दरअसल 771.5 अंक पाने वाले अभ्यर्थी को बाहर और 770.50 अंक पाने वाले का चयन किए जाने की सूचना प्राप्त हुई है। जिसके चलते एक बार फिर छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग (पी एस सी) भर्ती परीक्षा में अपने कारनामों को चलते सुर्खियों में है। अब एक नया मामला फिर सामने आया है, जिसमें राज्य लोक सेवा परीक्षा 2022 के साक्षात्कार 771.5 अंक पाने वाले अभ्यर्थी को साक्षात्कार में नहीं बुलाया गया है, जबकि 770.50 अंक पाने वाले अभ्यर्थी को साक्षात्कार में बुलाकर उसका सहायक जेल अधीक्षक के रूप में चयन किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बकायदा बाहर होने वाले उक्त अभ्यर्थी ने गत 20 सितंबर को इस संदर्भ में सचिव और परिक्षा निंयत्रक को पत्र लिखकर संपूर्ण दस्तावेज मुहैया कराई है। मामले को लेकर राजनीति भी चरम पर है। वंही दूसरी ओर हाईकोर्ट बिलासपुर में भी बहस छिड़ी हुई है।
अब देखना यह है कि रसूखदारो के द्वारा बनाई गई गोबर से गणेश क्या टिक पायेगी और टिक पायेगी तो वह किस हद तक गोबर बुद्धि के दम पर लोक सेवा का महत्व पर बल दे पायेगी। वैसे देखा जाए तो छत्तीसगढ़ राज्य की सरजमीं पर यह पहला अवसर नहीं है जब रसूखदारो ने अपने रसूख के दम पर गोबर बुद्धि के लोगों को काबिल और मेहनती अभ्यर्थियों की जगह गणेश बना कर लोगों की सेवा हेतू स्थापित करने की कवायद को अमलीजामा पहनाने का काम किया है। इससे पहले 2003 और 2005 में हुई लोक सेवा आयोग परीक्षा परिणाम को लेकर भी गड़बड़ी पाई गई थी। जिसके बावजूद गोबर से गणेश बनाने का सिलसिला समूचे छत्तीसगढ़ राज्य में बदस्तूर जारी है। ऐसे में ग़रीबों के मेहनतकश बच्चों का हक मरना स्वाभाविक है।
