भारत जिसे साहेब Global Economic Powerhouse कहना सुनना पसंद करते हैं वहाँ...
सबसे ऊपर के 1% देश की 41% दौलत हथिया चुके हैं और दिनोंदिन उनके हक़ में यह आँकड़ा और सरकता जा रहा है।
इनके बाद के 4% के हाथ में देश की क़रीब 22% दौलत सिमट चुकी है, ये भी लगातार विकास पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।
इसके बाद 5% हैं जो क़रीब क़रीब देश की 10% दौलत अपने हिस्से कर चुके हैं।
यानि ऊपर के दस प्रतिशत लोगों के हाथ देश की दौलत का क़रीब क़रीब 73% हिस्सा अब तक साहेब की अठारह घंटे रोज़, बिना एक दिन का नागा किये, देशसेवा से पहुँच चुका है।
इसके बाद साहेब के लिये घंटा घड़ियाल/ट्विटर फ़ेसबुक इंस्टा व्हाट्सएप टेलीग्राम आदि पर तलवार चलाने वाला अधिकतर हिंदू सवर्ण जातियों से बुना हुआ आबादी का क़रीब 20% हिस्सा है जो थ्री बीएचके, फ़ोर बीएचके, सी फेंसिंग फ़्लैट, कार, शेयर बाज़ार, एयर ट्रैवेल, विदेश भ्रमण आदि में क़रीब क़रीब 17% देश की दौलत के साथ इंगेज है।
इसके बाद देश में मेहनत करके रोटी कमाने में किसी तरह सफल हो सकी 20% आबादी है जो क़रीब क़रीब देश की 7% दौलत में उलझी पड़ी है जिसमें से हर साल थोड़ा ऊपर वालों के हिस्से में सरक जाता है।
सबसे नीचे क़रीब आधी आबादी लगभग भिखारी के हाल में है जिसके पास न रेगुलर काम है न उसके जीवन में मनुष्य की बुनियादी ज़रूरतों के लिए रोशनी की किरण। उसे पाँच किलो अनाज मुफ़्त देकर जीवित रखने की एक योजना चल रही है जिसके एवज़ में दुनिया को दिखाने के लिये उससे राज्य और केंद्र की सरकारों के निर्माण के लिए बीच बीच में वोट नामक सहमति जानवरों के रेवड़ की तरह हांका लगाकर ले ली जाती है, इनके स्लम, झुग्गियों, झोपड़ियों और फुटपाथों में भी देश की क़रीब 3% दौलत जा फँसी है जिसे भी ख़ाली करवाकर कहीं कहीं एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी की तरह अड़ानी साहेब को विकसित होने के लिए सौंप दिया जाता है।
ये सब आँकड़े जुटाने वाले Oxfam को साहेब ने आते ही देश बाहर कर दिया था। साहेब गरीब और ग़रीबी को पर्दे में रखने के हक़ में हैं, अभी G20 के वक्त आपने देखा ही होगा।
ये नया भारत है जो विश्वगुरु है!