बालोद /डौंडीलोहारा :जिला के एक मात्र अनु.जन.जाति आरक्षित विधानसभा क्षेत्र डौंडीलोहारा जंहा के मिट्टी में समाई हुई बहुमूल्य खनिज को इस मिट्टी की छाती से चीर कर दिन रात एक करके निकाल ली गई और आधुनिक युग के तमाम कलपुर्जे बना लिए गए। साथ ही तरह तरह के आधुनिक उपकरणों का निर्माण भी कर लिया गया और किया भी जा रहा है,लेकिन इस मिट्टी पर प्राचीन काल समय से बसने वाले आदिवासियों को आधुनिक युग के निर्माताओ ने इनके सुविधा अनुसार जीवनयापन करने के हेतू बेबसी और लाचारी का दंश सौगात स्वरूप भेंट सौंप दिया है। क्या आधुनिक युग के निर्माताओ को जो कि बड़े कार्पोरेट घरानों में गिने जाते रहे है, उन्हे गरीब आदिवासियों के बस्तियों को उजाड़ कर खुद के घर को रोशन करने में शुकून मिलता है? यदि ऐसा है तो याद रखें कुदरत की लाठी में आवाज कम और दर्द बेतहाशा होता है। निश्चित रूप से आधुनिक युग के निर्माता हमारी इन सवालों पर कुछ जवाब देने के बजाए स्थानीय नेताओं की ओर मुख मोड़ देंते है। अब आधुनिक युग के निर्माता स्थानीय नेताओं की ओर मुख क्यों मोड़ते है और इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं। यह आधुनिक युग में आधुनिक युग के निर्माताओ के समक्ष जाहिर करना शायद उचित नहीं है। वैसे भी आज देश के ज्यादातर नागरिक सवालो का जवाब नेताओं से पुछने के बजाए खुद से तलाशना शुरू कर दिए हैं। अतः समझदार के लिए इशारा काफी माना जा सकता है।
यह सवा आना सत्य है, कि स्थानीय नेताओं ने कभी इस विधानसभा क्षेत्र की मिट्टी पर रहने वाले गरीब आदिवासियों को वोंट बैंक की राजनीति से ज्यादा कुछ

और नहीं समझ रखा है, जबकि इस मिट्टी पर चुने हुए प्रतिनिधि का जितना अधिकार है इस मिट्टी पर उतना ही अधिकार इस पर जन्म लेने वाले हर आदिवासी का है। बावजूद इसके इस मिट्टी पर जन्म लेने वाले ज्यादातर आदिवासी गरीबी जैसी महामारी का दंश झेलने पर मजबूर हो चले हैं। इन्हीं आदिवासियों की अधिकारों के लिए लड़ने वाले महान शहीद शंकर गुहा नियोगी को साजिश पुर्वक खत्म कर दिया गया, तब से आदिवासियों पर दमन और शोषण का दौर आज भी दर बदस्तूर जारी है। दो साल पहले विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम तूंएगोंदी में बाहर से आए एक संत का देहान्त हो गया था। आदिवासी संस्कृति और रिती रिवाज के अनुसार किसी भी मानव शरीर के देह छोड़ने पर गांव में आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए लोग आत्मा की शांति हेतु समाजिक व धार्मिक अनुष्ठान करने की पंरपरा व्यापक स्तर पर सदियों से निभाते हुए आ रहे हैं। आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली कैबिनेट मंत्री जो कि समाज कल्याण विभाग के भी अहम जिम्मेदारी को निभाते हुए आ रही है, वे स्वंय आदिवासी होने के नाते आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए तमाम रिती रिवाजों को भंलिभांती समझती है। बावजूद इसके हैरानी की बात यह है, कि मंत्री महोदया जी के रहते हुए इस मिट्टी पर महान संत के आत्मा की शांति में एकत्र हुए आदिवासी समुदाय के लोगों को ना सिर्फ बाधा पहुंचाया गया बल्कि आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए तमाम लोगों को मारा व पिटा गया है। मामले में आज तक आदिवासियों के हितैषी केबिनेट मंत्री अनिला भेड़िया सामने नहीं आई है, जबकि आदिवासियों से मारपीट करने वाले ज्यादातर लोग भाजपा और धार्मिक संगठन से जुड़े हुए पाए गए हैं। हालांकि आदिवासियों से मारपीट करने वाले आरोपियों के समर्थन में भाजपा खुलेआम खड़े हुए नजर आई है।
अब जब विधानसभा चुनाव सर पर है तब क्या भाजपा अपने पुराने रूख पर खड़े रहते हुए डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक सरजमीं पर रहने वाले नेताओं की असल माई बाप यानी जनता से आंख में आंख डालकर आरोपियों के साथ होने की बात कह पायेगी। वंही दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी तूंएगोंदी मामले को लेकर आदिवासियों को बीच मझधार में छोड़ भाग खड़े हुई थी। ऐसे में कांग्रेस पार्टी तूंएगोंदी मामले को लेकर विधानसभा क्षेत्र के आदिवासियों को क्या मुंह दिखा पाने में सफल हो पाएगी यह एक बड़ा सवाल है। बहरहाल आदिवासी समाज को मामले में न्याय की दरकार है। अतः तूंएगोंदी में डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारो से कई सवाल हैं। क्या तूंएगोंदी में मौजूद आदिवासियों की सवालों का जवाब देने हेतू नेता अब सामने आयेंगे? वैसे छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा दो चरण में संम्पन्न होंगे।


पहला चरण में नेता आपके चरण छूएंगे और दूसरे चरण में आप नेताओं का चरण छूते हुए नजर आयेंगे। अब देखते हैं पहले चरण की शुरुआत डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के उम्मीदवार देवलाल ठाकुर कब और किस तरह से करते हैं। साथ ही कांग्रेस पार्टी के नेता तूंएगोंदी कब आते है।