"मामले में जिला कलेक्टर तक को लोगों ने कहा बहरे, लेकिन बावजूद इसके पलारी में दाग बहुत गहरे।
बालोद /गुरुर - : बालोद जिला के इतिहास को गौरवान्वित कराने वाला ऐतिहासिक पुण्य भूमि की नगरी ग्राम पंचायत पलारी की पावन धरा जंहा के कण कण में भगवान रूद्रेश्वर महादेव का वाश होने की प्रत्यक्ष प्रमाण मौजूद हैं। इस पुण्य भूमि को प्रभू श्रीराम का भी आर्शीवाद प्राप्त है। छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर सबसे बड़े रामायण मंच की ख्याति इस गांव की पावन धरा को कलजुग के इस दौर में सुशोभित कर रहा है। राजनीतिक दृष्टिकोण के हिसाब से यदि देखें तो यह गांव राजनीति में बहुत खास स्थान रखता है। सत्ताधारी राजनीतिक दल के बड़े नेताओं की एवं विपक्षी राजनीतिक दल के नेताओं की कई हरी राम नाई इस पुण्य भूमि की पावन धरा में अवतरित बताए जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि इस पावन धरा को कुछ दिन से बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रूपया जैसी मानसिकता रखने वाले लोगों की भूमि के तौर पर देखा जा रहा है। अब लोग यह विचार क्यों रख रहे हैं। इसके पीछे भी उनका विचार होगा इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। बहरहाल ग्राम पंचायत पलारी में विगत कुछ वर्षों के दौरान से अवैध शराब और अवैध सट्टा कारोबार ने इस पुण्य भूमि की पहचान को मुरीयामेट होने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बावजूद इसके रूद्रेश्वर महादेव के इस पवित्र प्रांगण में असंख्य अपराधी अंदर ही बैठे बैठे अपने राजनीतिक भुमिका को अमलीजामा पहना रहे है। हर ग्रामवासियों की तरह ही पलारी के जिम्मेदार नागरिक भी अपने जन्मभूमि को बेहतर से बेहतर बनते हुए देखना चाहता है और गांव को बेहतर बनाने हेतू गांव में अपराध और अन्याय को बढ़ावा देने वाले लोगों से छुटकारा पाना चाहता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस पुण्य भूमि की बेहतरी हेतु चुने गए ग्राम पंचायत के पंच जिन्हें पंचायती राज व्यवस्था में परमेश्वर की संज्ञा प्रदान की गई है' वे सब पलारी के जनता की बातों को सुनने के बजाए पंचायत तक में आना पसंद नहीं करते हैं। निश्चित रूप से पलारी के ग्रामीणो के लिए यह एक बढ़िया खबर नहीं है, लेकिन बीते एक सप्ताह से ग्राम पंचायत पलारी में जो कुछ देखने को मिला उसे देखकर तो कोई भी व्यक्ति आंख बंद करके कह सकता है कि ग्राम पंचायत पलारी के चुने हुए पंच ठगरा है। बीते सप्ताह ले देकर एक बार स्थगित होने के बाद ग्राम सभा का आयोजन किया गया था। ग्राम पंचायत पलारी के पंचायत में आयोजित इस ग्राम सभा में पलारी के एक दर्जन से भी अधिक पंच गायब नजर आए।
सचिव ग्राम पंचायत पलारी
पंचों की गायब रहने को लेकर जब हमसे ग्रामीणों से सवाल किया गया तो ग्रामीणों ने बताया कि उनके गायब रहने वाले ज्यादातर पंच चोर है। इन सभी लोगों ने ग्राम पंचायत पलारी में रहने वाले ग्रामीणों की भरोसे और विश्वास का चोरी किया है। खुलेआम ग्रामीणों और शाला परिवार के विरुद्ध जाकर नियम विरुद्ध तरीके से सरकारी स्कूल के बगल में उसना राइस मील को ग्राम पंचायत एन ओ सी दिया है। जरा सोचिए गांव के बच्चे स्कूल में राइस मिल चालू होने के बाद पढ़ाई करेंगे या फिर मील की आवाज को सुनेंगे। वंही दूसरी ओर राइस मील मालिक ने ग्राम पंचायत से एन ओ सी मिलने के बाद करोड़ों रुपए खर्च कर मील तैयार कर लिया है। राइस मील ना खोला जाए करके कुछ ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर महोदय जी को भी आवेदन प्रस्तुत किया है, लेकिन वर्तमान समय में राइस मिल लगभग बन कर खड़ा है। अब जब राइस मील चालू ही होने वाला है, तब ग्रामीण अब राइस मील के खिलाफ लामबंद हो कर खड़े हो रहे हैं, जबकि राइस मील मालिक ने सभी जरूरी दस्तावेज कानूनी तरीके से बना रखे हुए हैं। ऐसे में पलारी के ग्रामीणो को विरोध करने से पहले दुसरे पक्ष को भी देखना होगा ताकि उनका कोई राजनितिक स्वार्थ सिद्धि प्रयोजन हेतू गलत इस्तेमाल ना कर सके। सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव में राइस मील की एन ओ सी मामले को राजनीतिक मुद्दा बना कर एक राजनीतिक दल के लोग ग्राम पंचायत पलारी के पुण्य भूमि पर राजनीतिक रोटियां सेंकने पर उतारू हो चुके है। इससे पहले राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले उतारू व्यक्ति को महान सट्टाकिंग और महान अवैध शराब तस्कर के रूप में कांग्रेस पार्टी की गरीमा को सुशोभित करते हुए देखे गए है। अब जब सेंकी हुई रोटी कांग्रेसी नेताओं को खाने हेतू मिल रहा था, तब तक सब कुछ ठीक ठाक चलना स्वाभाविक है। इतना सब कुछ करने के बाद पुलिस महकमा इन्हें सलाम ठोकता रहा, लेकिन जैसे ही रोटी मिलना कांग्रेसी नेताओं को बंद हुई, उसके बाद गिर गई महान सट्टाकिंग की मकान। टूटे मकान की अरमानों पर आंसू बहाते बहाते थक गया जब सट्टाकिंग तब केजरीवाल के साथ हाथ में झाड़ू थाम लिया और आज पलारी के गलियों से अपराध को शांत करने का दावा ठोंक रहा है। क्या उत्तम साहू जिसने पलारी जैसी ऐतिहासिक और पौराणिक भूमि को सट्टा कारोबार का गढ़ और अवैध शराब का महशूर किला बनाने में सबसे अधिक योगदान दिया है। सूत्रों की मानें तो उत्तम साहू वह व्यक्ति हैं जिसने अपने नाबालिग बच्चे तक का इस्तेमाल अपने काले कारोबार को संचालित करने में किया है। ऐसे में चिंतन का विषय यह है कि क्या वह किसी दूसरो के बच्चे के लिए भला विचार रख सकता है।आखिरकार जब अपने बच्चे को अपने काले कारोबार में शामिल करने से जो व्यक्ति नहीं चुका उस पर पलारी के ग्राम वासी क्यों भरोसा करें ? क्या उत्तम साहू पलारी को पलारी के ग्रामीणो की बच्चों के बारे में फैसला लेने का अधिकार है? बांकी स्वंय विचार करें....