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मवेशियों के साथ क्रुरता करने वाले मवेशी कोचिया को गुण्डरदेही पुलिस ने क्रुरता पूर्वक पिटा।


@विनोद नेताम
बालोद : बालोद जिला के अंतिम छोर पर बसा एक छोटा सा गांव बागतराई, थाना पुरूर, विकासखंड गुरूर। वैसे तो यह गांव बालोद जिला से कंही ज्यादा धमतरी जिला के संपर्क में रहता है,लेकिन प्रशासनिक ढांचा बालोद जिला से जुड़ा हुआ है। इस गांव में रहने वाला एक बेरोजगार युवक गोविंदा अपने बच्चों के मुंह में दो बख्त का चारा(रोटी) मुहैया कराने हेतू पिछले कई सालों से मवेशी कारोबार से जुड़ कर अपना गुजारा चला रहा है, जिसके बदौलत गोविंदा अपने बच्चों के मुंह में दो बख्त के चारा (रोटी) को भर पाने में सक्षम हो पाता है। गोविंदा इस धंधे में जिला के गांव गांव घुम घुम कर पशुपालक किसानों से मिलता है और जो किसान अपने मवेशियों को बेचना चाहता है, उनसे मोल भाव कर मवेशियों को खरीदता है। पशुपालक किसानों से खरीदे हुए मवेशियों को खरीदने के बाद गोविन्दा करहीभदर बैला बजार जिला बालोद छत्तीसगढ़ और मुसुरपुट्टा बैला बजार कांकेर जिला छत्तीसगढ़ जैसे बड़े मवेशी बाजार में लेकर जाता है, जंहा पर वह पशुपालक किसानों से खरीदे हुए मवेशियों को बेंच देता है। गोविंदा से मवेशियों को खरीदने वाले लोग या तो दूसरे मवेशी कोचिया होते है या फिर किसान। जाहिर सी बात है, इसमें पशु तस्करी जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन गोविंदा इन दिनों खुद को पशु तस्कर कहे जाने से नाराज़ हैं। इसके पीछे का सच एक सच्चाई है जिसके बारे में समस्त देशवासियों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।


गोविंदा की मानें तो कोई भी कारोबारी निश्चित रूप से मुनाफा कमाने हेतू बेहतर विकल्प का इस्तेमाल करेगा इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। यदि मवेशी बाजारों तक मवेशी पालक किसानों से खरीदी हुई मवेशियों को गाड़ी में भरकर बेंचने के लिए बाजार ले जाने हेतू निकलते है तो क्या हम पशु तस्कर बन जाते है? हमें बार बार पशु तस्कर बोल कर प्रताड़ित किया जाता है, जबकि सरकार मवेशियों को बाजार में खरीदी बिक्री करने की अनुमति प्रदान करती है। मवेशियों को बाजारों में खरीदने का काम किसान करते हैं। कुछ दिन पहले मुझे मेरे वाहन चालक के साथ पशुपालक किसान से खरीदी हुई मवेशियों से भरी हुई गाड़ी को गुण्डरदेही पुलिस ने पकड़ लिया। बजरंग दल से जुड़े हुए लोगों की शिकायत रही कि छोटे से गाड़ी में मेरे द्वारा एक साथ दस मवेशियों को क्रुरता पूर्वक भरा गया था। पकड़ने के बाद पशुपालक किसान से खरीदी हुई सभी मवेशियों को पुलिस ने मेडिकल जांच पश्चात किसी अन्य जगह सिप्ट किए जाने की जानकारी प्राप्त हुई। मैं इन मवेशियों को पशुपालक किसान से खरीदने के बाद मवेशी बाजार में लेकर जाने वाला था, लेकिन मुझे और मेरे साथी वाहन चालक को गुण्डरदेही पुलिस ने रात भर थाना में रखा। इस दौरान मेरे परिजनों को पुलिस ने मेरे पकड़े जाने की सूचना तक देना मुनासिब नहीं समझा,जबकि थाने में बंद रहने के दौरान गुण्डरदेही पुलिस के द्वारा मेरे साथ बुरी तरह से मार पिट की गई है। मारपीट के चलते मैं कराह रहा था,बावजूद पुलिस ने मुझे जेल भेजना उचित समझा बजाए इलाज के। तीन दिन जेल में रहने के बाद मैं जेल से जमानत पर रिहा हुआ। जब घर वापस पहुंचा तो मेरे शरीर पर मार के चलते काले निशान पड़ चुके थे। जिसे देखकर घर वाले लोगों ने तत्काल धमतरी के एक प्राइवेट हास्पिटल में इलाज के लिए भर्ती कर दिया। आज मैं पूर्ण रूप से बेरोजगार हूं और रोज मेरे बच्चे मुझे घर पर रोज खाली बैठे हुए देखते हैं, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य में गोबर तक की खरीदी हो रही है लेकिन मवेशी कारोबार करना अपराध बन गया है। बावजूद इसके मुझे अब इस कारोबार को करने में डर लगने लगा है।
 भारत की भूमि को सनातन संस्कृति की पवित्र धरा माना गया है, हालांकि वर्तमान परिदृश्य के दौरान सनातन संस्कृति के नाम पर हमारे चुने हुए राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि भारत की भूमि में सदियों से स्थापित सनातन संस्कृति पर घटिया राजनीति करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। घटिया राजनीति करने वाले जनप्रतिनिधियों में लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेता एक ही थाली के चट्टे बट्टे के समान बताये जाते रहे हैं। जिनका एक ही काम है गाड का नाम जपना और दूसरे गाड का माल हड़पना। भारत वर्तमान समय के दौरान दुनिया भर में गौ मांस और दूध के सबसे बड़े निर्यात के तौर पर शामिल है,जबकि देश में गौमाता को भगवान का दर्जा प्राप्त है साथ ही गाय माता की सेवा के नाम कई समाजिक संगठन अपनी रोटी सेंकने में मस्त देखें जाते हैं। अलबत्ता इन संगठनों को कभी भी बड़े बड़े गौमांस निर्यातक कंपनीयों के दरवाजे पर बवाल मचाते हुए नहीं देखा गया है, हालांकि मवेशी कारोबार से जुड़े हुए लोगों को बीच सड़क पर कुटते हुए दिखाई देना आम बात बन गई है। सनातन संस्कृति और हिन्दू आस्था का केन्द्र गाय,बैल,और बछड़े देश के असंख्य गरीब और मध्यम वर्गीय पशुपालक किसानों के परिवारों में भी परिवार के सदस्यों की भांति पाला जाता रहा है। एक किसान मवेशियों की उम्र भर मां बाप की तरह बनकर सेवा करता है। इस दौरान गौ माता की कई वंश पशुपालक किसानों के यंहा परिवार के सदस्यों की भांति पल जाता है। ऐसे में एक मध्यम वर्गीय पशुपालक किसान के लिए ज्यादा पशुओं को एक साथ रखना मुश्किल वाली बात हो जाती है। इससे बचने के लिए पशुपालक किसान पशुओं को बेंच देते है। आधुनिकीकरण की इस दौर में भारत जंहा आज चांद पर पहुंच गया है तो वंही दूसरी ओर भारत के अंदर आज भी गरीब और मध्यम वर्गीय किसानों के लिए आधुनिकरण के नाम पर अमीर किसानों के यंहा देखी जाने वाली मौजूद आधुनिक मशीनें है। देश के असंख्य गरीब किसान आज भी मवेशियों के दम पर खेती किसानी करते हुए देखे जाते हैं। इन किसानों को खेती किसानी से जुड़े हुए कार्यों की पूर्ति हेतू मवेशियों की आवश्यकता होती है। यदि सरकार इन किसानों तक मवेशी कारोबार के जरिए मवेशियों को पहुंचाने वाले कारोबारीयो को पशु तस्करों की भांति समझते हुए व्यवहार करेगी तब  तो यकीनन रूप से इन गरीब और मध्यम वर्गीय पशुपालक किसानों और खेती किसानी में मवेशियो का इस्तेमाल करने वाले तक मवेशियों की पहुंच कम होगी। लिहाजा इसका असर खेती किसानी से जुड़े हुए कार्यों पर पड़ेगा।

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