बगैर शिक्षक के संचालित हो रही है कनेरी की सरकारी स्कूल, पालक और बच्चों में रोस।
बालोद :किसी भी भारतीय नागरिक के लिए वैसे तो शिक्षा प्राप्त करना एक कानून है, लेकिन इस कानून को लागू करने वाले लोगों को ही शिक्षा व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं तब ऐसे में इस कानून का क्या हाल हो सकता हैं इसे समझा जा सकता है। देश के पूर्व राष्ट्रपति मिशाइल मैन भारत रत्न अब्दुल कलाम साहब की मानें तो शिक्षा शेरनी का वह दूध है जिसे जो पियेंगा वो दहाड़ेगा,लेकिन सवाल यह है कि क्या गरीबों के बच्चों को सही तरीके से यह दूध मिलता होगा।
चूंकि देश के ज्यादातर संसाधनों पर अमीरों का कब्जा है। ऐसे में गरीबों के बच्चों को शेरनी का दूध उपलब्ध हो पाता होगा इस पर संदेह बरकरार है। दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर बिते कुछ माह से शिक्षा विभाग में जमकर तबादला का दौर देखने को मिल रहा है। इस तबादला के दौर में विभाग धड़ाधड़ शिक्षकों का तबादला करने में जुटा है, जबकि शिक्षकों के तबादले से कई स्कूल शिक्षक विहिन हो रहे हैं। इसके चलते सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित होना बताया जा रहा है। गुरूर विकासखंड क्षेत्र के कनेरी स्कूल में पदस्थ ज्यादातर शिक्षकों का प्रमोशन और तबादला हो गया है। जिसके चलते सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं आ रहे हैं। शिक्षकों की उपस्थिति नहीं होने से पालक और स्कूली बच्चे परेशान हो चुके है। मामले में तत्काल शिक्षकों की पदस्थापना हेतू ग्रामीणों के द्वारा जिला प्रशासन से गुहार लगाई है। इससे पहले भी ग्राम पंचायत कनेरी के ग्रामीण चंदा करके अलग से गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शिक्षक की व्यवस्था करते हुए आ रहे हैं। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन बालोद कनेरी की सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शिक्षक की व्यवस्था आखिरकार कब तक करता है।