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धमतरी ... बस्तर प्रवास से लौट रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सर्व आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष अरविंद नेताम ने पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में आदिवासी समाज प्रमुखों से मुलाकात की। इस दौरान मीडिया से बातचीत उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखी। आरक्षण को लेकर अरविंद नेताम ने कहा कि सरकार में इच्छाशक्ति नहीं है इसलिए उसे उलझा दिया गया है मामला अदालत में है। 32 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा या नहीं इस पर अभी भी संशय है। आरक्षण जिसको सरकार में रहना है उन्हें लागू करना पड़ेगा,क्योंकि आदिवासी समाज सदियों से सताए गए है उन्हें वंचित रखा गया है।जातिवाद छुआछूत वर्ण व्यवस्था में उन्हें बांधकर पीछे धकेल दिया गया है। पेसा कानून पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार पेशा कानून को लेकर इमानदार नहीं है। मूल कानून में जल जंगल जमीन का जो अधिकार आदिवासियों को दिया गया था,उसे इन सरकारों ने खत्म कर दिया। समाज के लिए यह खतरे की घंटी है। सर्व आदिवासी समाज द्वारा चुनाव लड़ने के ऐलान किए जाने के मामले को लेकर उन्होंने स्पष्ट कहा कि समाज को चुनाव होने का शौक नहीं है लेकिन हमारे संवैधानिक अधिकार एवं कानून की उपेक्षा हो रही है। 10-15 वर्षों में समाज का कटु अनुभव रहा है पिछले 10 सालों से लगातार आदिवासी समाज 23 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन प्रदर्शन कर रही है लेकिन एक भी मांग पर सुनवाई नहीं हो रही है कोई सुनने को तैयार ही नही है। समाज मांग करते करते थक गया है ऐसे में समाज आखिर कहाँ जाए। मजबूरी में समाज को चुनाव लड़ना पड़ रहा है। हम 50 से 55 सीटों में चुनाव लड़ेंगे। 33 आरक्षित सीटों के अलावा 20 सामान्य सीटों में भी चुनाव लड़ेंगे,जहां आदिवासियों की बड़ी संख्या है। बस्तर के सिलगेर में पिछले 2 साल से आंदोलन हो रहा है लेकिन सरकार इस मामले में कोई सुनवाई नहीं कर रहा है इसके अलावा बस्तर में कई आंदोलन चल रहे हैं जिसकी सुनने वाला कोई नहीं है यहां तक कि बस्तर में मंत्री आते जाते भी नहीं है।