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हर तरफ मच गई खलबली,अब बताओ रे किसके हैं,संकट मोचक बजरंगबली।

रायपुर : बिते दिनों कांग्रेस पार्टी देश के अगले होने वाले सत्ताधारी राजनीतिक दल के माफिक बर्ताव करते हुए वर्तमान समय के दौरान केन्द्र की सत्ता पर मौजूद नरेंद्र मोदी सरकार को ललकारते हुए लोगों को दिखाई दिया है। चाहे वह किसी भी मामले को लेकर हो। स्वार्थ सिद्धि राजनीति से लेकर भ्रष्टाचार और झूठी सियासत पर भाजपा के नरेंद्र मोदी सरकार को कांग्रेसियों ने नाकों चने चबवा दिए हैं। हालांकि कांग्रेसीयों के द्वारा चबाई गई चने से अब तक किसी भी भाजपाइयों की दांतों के मध्य चिकनी सड़क बनने की खबर अबतक प्राप्त नहीं हुई है। शायद भाजपाई नेता इन दिनों डेटाल से मूंह धोने लगे हैं इसलिए ऐसा हो सकता है। राजनीतिक नजरिए के जरिए से यदि, इस नजारे को देखा जाए, तो यह नजारा भाजपा जैसी दिग्गज राजनीतिक दल के लिए कांग्रेस पार्टी की ओर से सीधे शब्दों में राजनीतिक चेतावनी है। अब इस चेतावनी को भाजपा किस तरह से स्वीकार करती है, यह उनकी समझ है। वैसे ज्यादातर कांग्रेसी नेता इस चेतावनी के जरिए यह कहते हुए भी लोगों को स्पष्ट रूप से दिखाई दियारा है, कि चल हट अब मेरी बारी है।
कहने का मतलब समझना आसान है। हालांकि केन्द्र में जब से नरेंद्र मोदी की सरकार वजूद में आई है,तब से भाजपा जैसी दिग्गज राजनीतिक दल ने कथित तौर पर पूरे देश भर में कांग्रेस मुक्त भारत योजना संचालित कर रखा है। इस योजना को जब से भाजपाई नेताओं के द्वारा लागू किया गया है। तब से कांग्रेस पार्टी के बड़े बड़े शुरमा और कथित रूप से एक से बढ़कर एक भ्रष्टाचारी नेता भाजपा की पवित्र धारा में डूबकी लगाते हुए कांग्रेस पार्टी के लिए आए दिन सत्यानाशी माला का जाप करते हुए देखे गए है। गौरतलब हो कि सत्यानाशी माला का जाप करने वाले ज्यादातर फूल छाप कांग्रेसी नेता पुराने दिनों के दौरान महाघोटाले बाज के तौर पर भी देखें जाते रहे है, लेकिन भाजपा के पवित्र धारा में डूबकी लगाते रहने व लगातार कांग्रेस पार्टी के लिए सत्यानाशी माला का जाप करने के कारण उनका वजूद बकायदा भारतीय जनता पार्टी जैसे संस्कार वादी राजनीतिक दल में फूल छाप कांग्रेसी नेता की तौर पर ही सही लेकिन बना हुआ है। उदाहरण दोहराने की आवश्यकता नहीं है वरणा हमारे ज्यादातर फूल भैय्ये मित्र भड़क जायेंगे इसलिए "इसे मेरी कलम की मर्यादा समझे। बहरहाल हम यह बता दें कि कांग्रेस पार्टी के लिए लगातार सत्यानाशी माला का जाप करने वाले फूलछाप कमल भैय्ये नेताओं ने कांग्रेस पार्टी को हमेशा गर्त में डालने का काम किया है। अमूमन लोगों को अबतक यही देखने को मिला है और माना भी जाता कि घर भेंदी लंका ढाए इसलिए कांग्रेस पार्टी के लिए यह कोई नया बात नहीं है,लेकिन कांग्रेस पार्टी की ओर से बिते दिनों कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जारी किए गए घोषणापत्र ने सारे कांग्रेसियों की किए कराए पर पानी फेर दिया है। चूंकि बरजंग दल एक हिंदू धर्म से रिलेटेड संगठन है और इस वक्त केन्द्र में जो सरकार सत्ता पर वह हिन्दुत्व के मुद्दे को लेकर ही देश की सियासी सरजमीं पर कदम रखा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को इस संगठन के खिलाफ जाना सीधे तौर कंहा तक सही है यह तो समय ही बताएगा। बहरहाल इस मुद्दे को लेकर जैसा कि माना जा रहा था बिल्कुल ठीक उसी तरह बवाल मचना शुरू हो गया है। हालांकि बजरंग दल का इतिहास देश के लिए ज्यादा कुछ अच्छा नहीं रहा है। बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी को बजरंग दल से भिड़ने की आवश्यकता हाल फिलहाल बिलकुल नहीं थी। इस बात को ज्यादातर कांग्रेसी नेता अंदर ही अंदर स्वीकार भी कर रहे हैं। इस बीच भाजपा कांग्रेस पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप मढ़ते हुए चुनावी मैदान में लगभग वापसी को तैयार नजर आ रही है।
इसका फायदा भाजपा को निश्चित रूप से मिलना तय है। वैसे भी शुरू से हिन्दुत्व के एजेंडे पर आधारित राजनीति को अंजाम देने के जाने जाती है। कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव से पहले या किसी भी राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सीधे तौर पर इस तरह के कदम उठाने से पहले बचना चाहिए था। चूंकि कांग्रेस पार्टी के द्वारा जारी किए गए इस घोषणापत्र से भाजपा बजरंग दल को आगे रखकर हिन्दुत्व की हवा के जरिए अब कांग्रेस पार्टी को सबक सिखाने की तैयारी में जुटी हुई है। वंही कांग्रेस पार्टी भी अब बजरंग दल पर बैन को लेकर भाजपा और बजरंग दल से दो दो हाथ करने की तैयारी में जुटी हुई है‌। जिसके चलते कांग्रेस शासित सभी राज्यों में बजरंग दल पर बैन को लेकर चर्चा तेज हो गई है। छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीधे शब्दों में यह कहते हुए साफ कर दिया है कि उनकी सरकार भी छत्तीसगढ़ राज्य में बजरंग दल पर बैन लगा सकती है। साथ ही उनके द्वारा एक नवजवान युवक को बजरंग दल के द्वारा किस तरह से संस्कार देकर समाजसेवा में लीन किया गया है, यह भी उक्त युवक का विडियो
शेयर करते हुए कांग्रेस पार्टी को मजबूती प्रदान करने की कोशिश को अंजाम दिया है। कांग्रेस पार्टी की मानें तो हिन्दू धर्म से जुड़े बजरंग दल नामक संगठन समाज में हिंसा और अपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देती है जिसके चलते समाज का एक बड़ा तबका भयभीत रहता है। अतः समाज को भयभीत करने वाले कोई भी संगठन देश के अंदर नहीं हो ना चाहिए। देश में शांति और सद्भाव एवं भाईचारा के साथ एकजुटता कांग्रेस पार्टी की सोंच है। हालांकि कांग्रेस पार्टी के द्वारा उठाए गए इस कदम का फायदा भाजपा उठाने की कोशिश करेगी,क्योंकि भाजपा शुरू से हिन्दुत्व के एजेंडो पर देश में राजनीति कर रही है। ऐसे में इस घोषणापत्र को जारी करने से पहले कांग्रेस पार्टी को एक बार सोचने की आवश्यकता थी। एक तरफ भाजपा लगभग कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सिधे तौर पर कांग्रेस पार्टी से पिछड़ते हुए देखा जा रहा है। लेकिन कांग्रेस पार्टी के द्वारा बजरंग दल को छेड़ने के चलते भाजपा को कर्नाटक में अब कुछ उम्मीद नजर आने लगी है। जिसका असर कई जगहों पर दिखाई देने की संभावना स्पष्ट रूप देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सहित भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता कांग्रेस पार्टी की घोषणापत्र से राजनीतिक रूप से संतुष्ट होंगे क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान खुद की कमजोरी और भाजपा की मजबूती को लोगों के मध्य रख दिया है। वंही बजरंग दल पर शुरू यह विवाद जल्द खत्म होने का आसार नहीं दिख रहा है और भाजपा भी यही चाहती होगी क्योंकि इसके जरिए भाजपा ध्रुवीकरण की राजनीति को सियासी सरजमीं पर बखूबी तरीके से इस्तेमाल कर पायेगी।
@विनोद नेताम


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