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जांगरचोट्टा नौकरशाहो के दम पर कैसे गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ बताबे कका।

 

रायपुर : जैसे कि हम सभी को भंलिभांती पता है कि खनिज संसाधन पूरे संसार में किमती और बहूमुल्य संसाधन हैं। धरती का सीना चीर कर निकली जा रही खनिज संसाधनों ने दुनिया की दिशा और दशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए, लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि खनिज संपदा को निकालने के चक्कर में ना जाने कितने जीव-जंतु और प्राणी जगत का समूल नाश हुआ हो चुका है और अब भी हो रहे हैं। इससे पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ रहा है। भौगौलिक दृष्टिकोण के हिसाब से भारत की धरती में भी कई प्रकार के दुर्लभ खनिज संपदा की भंडार पाई जाती है। देश के अलग अलग राज्यों में तरह तरह की खनिज संपदा वर्षों से निकाली जा रही है और बेंची जा रही है। भारत सरकार अलग-अलग राज्यों से निकलने वाली खनिज संपदा का दोहन करने से पहले या फिर बेचने से पहले या फिर बाद में खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्यो की तरक्की और उन्नति के लिए उनको भी बकायदा हिस्सा प्रदान करती है।
उदाहरण के तौर पर भारत में स्पष्ट रूप से कई राज्य मौजूद हैं। जंहा से भारत सरकार लगातार खनिज संपदा निकाल रही है और नियमानुसार राज्य सरकार को उनका हिस्सा भी प्रदान कर रही है,लेकिन इसके बावजूद देश के अंदर मौजूद खनिज संपदाओं से परिपूर्ण लबालब कुछ राज्यों में विकास और उन्नति जंमी और आसमां तलाश करने पर भी पर दिखाई नहीं देता है। अब सवाल यह है कि विकास और उन्नति को जंमी खा गया या फिर आसमां। उदाहरण के तौर पर छत्तिसगढ़ राज्य को देख लिजिए। जंहा पर आए दिन एक  खनिज भंडार खाली हो रही है तो वंही दूसरी खनिज भंडार खुलने की तैयारी हो रही है। इन तैयारियों के बीच वे लोग खड़े हैं जिन्हें भंडार खुलने के पहले तरक्की और विकास का वादा दिया गया था साथ ही इनके मध्य वे भी शामिल हैं जिन्हें भंडार खुलने से पहले फिर वही तरक्की और उन्नति का भरोसा दिया गया है। छत्तीसगढ़ देश की 15% खनिज संसाधन आपूर्ति का जिम्मा अपने कंधों पर उठाए रखी हुई है,जबकि राज्य में गरीबी, बदहाली, बेरोजगारी चरम पर है। विकास और उन्नति के नाम पर जीरो बट्टा सन्नाटा साफ तौर पर देखा जा सकता है। दूसरे राज्यों से आकर बसने वाले लोग स्थानीय लोगों से कंही ज्यादा अमिर हो गए हैं जबकि छत्तीसगढ़ राज्य के लोग गरीबी का तमगा माथे पर चिपका कर छत्तिसगढ़ राज्य सरकार द्वारा आबकारी विभाग निती के तहत आंबटित सरकारी शराब दुकान पर मिलने वाली देशी सोम रस का पान करने के बाद गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा बुलंद करने में जुटे हुए है।
** प्रशासनिक अकर्मण्यता का जिंदा मिसाल सेवा जतन सरोकार **

पिछले विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार ने यह नारा दिया था कि उनकी सरकार गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की संकल्प शक्ति से आगे बढ़ते हुए विकास और उन्नति को जंमी पर उतारेगी। अपनी संकल्प शक्ति के अनुरूप राज्य में मौजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने काफी कुछ करने का प्रयास किया है लेकिन विकास और उन्नति लोगों को समझ नहीं आई है। छत्तीसगढ़ राज्य के धरातल पर विकास और उन्नति तभी संभव हो सकता है। जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार सदैव सचेत रहते हुए दिन रात पहरेदारी कर रही हो और वैसे भी कहा जाता है जो सोया वो खोया। अब किसी के लिए दिन रात जागना तो मुनासिब नहीं है। ऐसे में दिन रात जागते रहने वाले संसाधनों की उपलब्धता फिलहाल छत्तिसगढ़ राज्य सरकार के लिए अनिवार्य हो गई है,ताकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की आंख और कान दोनों बराबर काम करने के लायक  ठीक-ठाक अवस्था में बने रहे। अन्यथा घुरवा के दिन तक को बौरा कर पूरे दुनिया भर में सनसनी फैलाने वाले इस सरकार तक को घुरवा में कचरा बनकर शामिल होने से कोई नहीं रोक सकता है। चूंकि सरकार की आंख और कान राज्य में मौजूद प्रशासनिक अमला होता है जो जनता की हर बात हर समस्या को सरकार तक लेकर जाती है उनका निराकरण करती है और उनके मध्य में रहकर जनता की सेवा करती है। इसी लिए प्रशासनिक अधिकारियों को सरकार की आंख और कान माना जाता है। कांग्रेस पार्टी छत्तिसगढ़ राज्य की सियासी सरजमीं पर विपक्ष की भूमिका को काफी लंबे समय तक रहते हुए झेल व देख चुकी है। इसलिए उन्हें प्रशासनिक अकर्मण्यता के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल है। विडंबना यह है कि जानकारी हासिल होने के बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की अकर्मण्यता चरम पर है। बिते दिनों कांकेर जिले में पदस्थ एक अधिकारी के जो नमूना पेश किया है‌। उसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार को करीब से देखना चाहिए, ताकी प्रशासनिक अकर्मण्यता की मर्यादाओं को कैसे एक अदना सा अधिकारी बड़े जिम्मेदारी से निभा जाता है। उनकी साफ झलक उन्हें करीब से मिल सके साथ ही सरकार को यह भी अंदाजा हो सके कि एक अदना सा अधिकारी जब इतना बड़ा बवाल कर सकता है, तो इससे बड़े अधिकारी कितना बड़ा बवाल करते होंगे चूंकि राज्य के अंदर पिछले कई महीनों से केन्द्रीय जांच एजेंसी पर्वतन निदेशालय की टिम लगातार छापामारी और धरपकड़ कर रही है। धरपकड़ अभियान के तहत कई बड़े नौकरशाह इस वक्त जेल की हवा खा रहे है जबकि छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अधिकारीयों के बचाव में खड़े हुए दिखाई देते नजर आते हैं। एक ताजा बवाल की सूचना बालोद जिले से भी सूनने को मिल रहा है, जंहा पर हुक्का पानी बंद होने से पिड़ित परिवार को समाज के मुख्यधारा में शामिल होने के लिए एक लाख रुपया दंड देना पड़ रहा है। जबकि उक्त पिड़ित परिवार ने जिला में मौजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हर सरकारी आंख और कान में तेल डालते हुए अपनी दूख और तकलीफों को अवगत कराया है। बावजूद इसके जिला में मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों को कांग्रेस पार्टी की सरकार को सोई हुई सरकार की संज्ञा से नवाजे जाने पर कोई गुरेज नहीं है बल्कि अधिकारी लगातार कई महीनों से एक दूसरे पर डाल कर मस्त आराम से नौकरी बजाने में व्यस्त हैं। अब देखना यह है कि राज्य में जल्द विधानसभा चुनाव सम्पन्न होना है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी की भूपेश बघेल सरकार अकर्मण्यता के दायरे को पार कर जांगरचोटाई करने वाले नौकरशाहो को क्या सौगात भेंट करना पसंद करती है।

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