रायपुर :- बिते कुछ दिनों से केंद्र में मौजूद भाजपा सरकार पर केन्द्रीय जांच एजेंसीयो का गलत इस्तेमाल का करने का आरोप विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से लगातार लगाई जा रही है। इस मुद्दे को लेकर केंद्र में मौजूद भाजपा सरकार पर लगभग सभी विपक्षी राजनीतिक दल एक साथ भयानक तरीके से हमलावर हैं। विपक्षी राजनीतिक दलों की इस तरह से हमलावर होने के कारण स्पष्ट है कि भाजपा शासित राज्यों में केन्द्रीय जांच एजेंसीयो की गाड़ी कभी भूल से भी नहीं गुजरती है, जबकि गैर भाजपा शासित राज्यों में इन जांच एजेंसियों की गाड़ीयों के चलते स्थानीय सत्ताधारी नेताओं की गाड़ीयों के पहिए तक उखड़ गए है। आये दिन केन्द्रीय जांच एजेंसीयो की टिम लगातार गैर भाजपा शासित राज्यों में मौजूद विपक्षी राजनीतिक दल के नेताओं को भ्रष्टाचार से जुड़े हुए विषयों में दबोच कर पुछताछ के बहाने महिनों जेल में ठूंस रही है,जबकि भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार से संबंधीत मामलों को लेकर एक से बढ़कर एक फूलभैय्ये नेता फूलमती गाने पर मस्त ठुमका लगाते हुए फलांना है तो मुमकिन है नारा लगाते हुए देखे जाने की सूचना आम है। ऐसे में जाहिर सी बात है बवाल तो मचेगा ही,अब देखना यह है कि इस बवाल का असर भाजपा को किस कगार पर ला कर छोड़ती है। चूंकि केन्द्रीय जांच एजेंसियों की धर-पकड़ को लेकर ज्यादातर राजनीतिक दल तंग आ चुके हैं। कई राज्यों में उल्टे इन जांच एजेंसियों पर मामले दर्ज कराई जा रही हैं। उदाहरण के तौर पर छत्तीसगढ़ और दिल्ली को देख लिजिए जंहा पर बिते कुछ महीनों के दौरान ईडी ने कई बड़े सख्शियतो को भ्रष्टाचार के मामले में दबोच रखा है,जबकि कुछ लोगों ने ईडी पर जांच के दौरान उन्हें डराने, धमकाने व प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए मामला तक दर्ज कराया है। वंही दिल्ली में भी केन्द्रीय जांच एजेंसियों को लेकर इसी तरह की खबर है, मामले में अदालत को जानकारी देने की बात तक सामने आई है,जबकि ईडी आये दिन शराब घोटाला से जुड़े हुए मामले में आरोपित व्यक्तियो की तार तलाश करने में जुटी हुई हैं। इस बिच केन्द्रीय पर्वतन निदेशालय की टिम ने छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर एक और बड़ा घोटाला मौजूद सरकार की कार्यकाल के दौरान होने का खुलासा किया है। केन्द्रीय पर्वतन निदेशालय की मानें तो छत्तीसगढ़ में 2 हजार करोड़ रुपए तक की शराब घोटाला को व्यापक स्तर पर अंजाम दिया गया है। मामले में कई बड़े बड़े वीवीआईपी संदेह के दायरे में है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कई करीबीयों का इस मामले में हाथ होने की बात कही जा रही है। मामले पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान जारी कर एक बार फिर वही बयान दुहराया है कि ईडी भाजपा के इशारे पर उनकी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने हेतू इस तरह की भ्रम पैदा किया जा रहा है। यदि कांग्रेस पार्टी ने कुछ ग़लत काम किया है तो जांच चल रही है जांच में जो भी सामने पाया जायेगा हम उसके लिए तैयार हैं लेकिन भाजपा शासन काल के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य की शराब नीति भी दिल्ली सरकार की शराब नीति के समान ही थी जब दिल्ली सरकार में शराब घोटाला हो सकता है,सरकार के मंत्री जेल जा सकते है तो छत्तीसगढ़ राज्य में मौजूद भाजपाई नेता क्या दूध के धुले हुए हैं। जिन्होंने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को पूर्व में सुनियोजित तरीके से अपनाते हुए पूरे राज्य भर में शराब बेचा था। जांच एजेंसी जब दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है तब समान आबकारी निती अपनाने वाली पूर्व छत्तीसगढ़ राज्य में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह और पूर्व आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल पर चार हजार करोड़ रुपए तक की शराब घोटाला को अंजाम देने वाले लोगों को क्यों छोड़ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बयान पर प्रतिक्रिया दिया है और कई गंभीर सवाल दागे है। छत्तीसगढ़ जैसे गरीब प्रदेश में राज करने वाले किसी भी राजनीतिक दल की सरकार को सबसे पहले शराब बेचने से पहले गहराई से चिंतन और मनन करना चाहिए कि राज्य में मौजूद गरीबों और पिछड़ों के मध्य इस तरह से शराब बेचना नैतिकता की पैमाने पर सही है या नहीं है। यदि सही नहीं है तो आम जनता के मध्य शराब परोसने वाले तमाम राजनीतिक दलों की सरकारों को चूल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए, क्योंकि गरीबी और पिछड़ेपन के शिकार लोगों को रोजी, रोटी,कपड़ा और मकान की आवश्यकता होती है शराब की नहीं। आगे आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव है और चुनाव के दौरान राज्य में शराब की खपत किसी से छुपा नहीं हुआ है। सोसल मीडिया में वायरल
राज्य के अंदर होने वाले ज्यादातर चुनावों में मतदाताओं को शराब पीलाना आम बात बनकर रह गया है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी की सरकार पर दो हजार करोड़ रुपए की लागत राशि तक की शराब घोटाला की आरोप लग रहा है। अब देखना यह है कि शराबबंदी के उलझन में फंसी कांग्रेस पार्टी के लिए दो हजार करोड़ रुपए का यह कथित शराब घोटाला गले की फांस बनती है या फिर केन्द्रीय जांच एजेंसी को फंसाती है। बहरहाल विधानसभा चुनाव में इस बार शराब और शराब ही दिखाई दिए जाने की संभावना है।
राज्य के अंदर होने वाले ज्यादातर चुनावों में मतदाताओं को शराब पीलाना आम बात बनकर रह गया है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी की सरकार पर दो हजार करोड़ रुपए की लागत राशि तक की शराब घोटाला की आरोप लग रहा है। अब देखना यह है कि शराबबंदी के उलझन में फंसी कांग्रेस पार्टी के लिए दो हजार करोड़ रुपए का यह कथित शराब घोटाला गले की फांस बनती है या फिर केन्द्रीय जांच एजेंसी को फंसाती है। बहरहाल विधानसभा चुनाव में इस बार शराब और शराब ही दिखाई दिए जाने की संभावना है।