पुलिस महकमा की ज़िम्मेदार ही निकले शिवराज मामू के असली गुनहगार।
भोपाल : यूं तो भाजपा अपने आप को बड़े संस्कारवादी राजनीतिक दल मानकर देश की सियासी सरजमीं पर खुद को प्रर्दशित करती रहती है। भले तमाम भाजपाई नेता अपने आप को संस्कारवादी नेताओं की जमात में अगवा समझे इसमें किसी कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए और ना है,लेकिन तमाम संस्कारवादी नेताओं की जमात सिर्फ भाजपा की तिजोरियों में बंद रहे यह जरूरी नहीं है। चूंकि भाजपा के अंदर मौजूद राजनेता भी इंसान हैं और इंसान गलती ना करें यह संभव नहीं है। अतः संस्कारवादी भाजपाई नेता देख सुन कर संस्कारीवादी होने का परिचय देवे तो,कोई गुरेज किसी को नहीं होगा। विशेष रूप से महिला अपराध पर जिसे लेकर आज के वर्तमान परिदृश्य में भाजपा की सरकार संस्कारविहिन रूप अतिख्यार लोगों को स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। चूंकि भाजपा आज के वर्तमान समय में जंहा पर राजनीतिक फायदा मिलना तय होता है वंही पर संस्कारवान होने का भाव प्रकट करती हुई दिखाई हैं। लिहाजा भाजपाई नेताओं की संस्कारवादी विचारधाराओं से जुड़े विषयों को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं,लेकिन विगत कुछ वर्षों के दौरान भाजपा की लगभग सभी सरकारों ने बेटियों को लेकर एक अलग संवेदना दिखाने की कोशिशों को अंजाम दिया है। भले यह कोशिशें वोट बैंक हासिल करने का एक पैंतरा है,लेकिन सच यही है कि बेटियों को भी सरकार की इस प्रयास से फायदा मिला है। हालांकि यह एक राजनीतिक पैंतरा ही सही लेकिन बेटियों के लिए यदि कोई सरकार कुछ बढ़िया करने की सोचती है तब ना सिर्फ बेटियों का मान बढ़ता है अपितु सरकार का भी नाम समाज में ऊंचा होता है। मध्य प्रदेश में इन दिनों शिवराज सिंह मामू की सरकार चल रही है। शिवराज मामू ने बकायदा बेटीयों के सूरक्षा और विकास हेतू कई सरकारी योजना धरातल पर अमलीजामा पहना कर रखी हुई हैं।
लाडली लक्ष्मी योजना शिवराज मामू की खास योजनाओं का एक छोटा सा उदाहरण है। मध्यप्रदेश में रहने वाले बांसिदो की मानें तो इस योजना से उनके ऊपर पड़ने वाले बोझ में पहले की अपेक्षा काफी कमी आई है, लेकिन शिवराज मामा की सरकार मध्यप्रदेश की बेटियों को सूरक्षा के नाम पर उनके द्वारा दिए गए वायदों को सही समय पर पूरा कर पाने में सफल हो पा रहे हैं यह एक बड़ा सवाल है। सूत्रों की मानें तो शिवराज मामू की राज में बेटियां सुरक्षित नहीं है। हैरानी की बात यह है कि शिवराज मामू ने जिन अधिकारियों को बेटियों की सुरक्षा हेतू जिम्मेदारी दे रखी है। बकायदा वहीं अधिकारी बेटियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हुए बताये जा रहे हैं। दरअसल मामला मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिला छिंदवाड़ा की बताई जा रही है। जंहा पर पुलिस महकमा में पदस्थ एक बड़े अधिकारी से जिसका नाम सचिन कुमार अतुलकर बताया जा रहा है। सचिन कुमार अतुलकर काफी हैंडसम और स्मार्ट बताए जाते हैं। जिनके चक्कर में देश भर के अलग-अलग राज्यों से उनके सैकड़ों महिला फैन्स होने की होने सूचना जगजाहिर है। छिंदवाड़ा पुलिस महकमा में पदस्थ इस अधिकारी की सोसल मीडिया में कई आई डी मौजूद हैं। ज्यादातर आई डी फेक बताई जाती है। जिनके जरिए कई महिलाओं के साथ जघंन्य अपराध घटित होने की सूचना है। मामले में पिड़ित युवतीयां सचिन कुमार अतुलकर से मिल कर शिकायत करने हेतू पिछले चार दिनों से लगातार उनके आफिस और बंगले का चक्कर कांट रही हैं,लेकिन पुलिस महकमा में पदस्थ शिवराज मामू के इस जिम्मेदार हैंडसम अधिकारी को मामू के बताए सिख की जरा सी भी परवाह नहीं है। बेटियों की सुरक्षा के नाम पर शिवराज मामू के यह जिम्मेदार अधिकारी हर महीने हजारों रुपए का पगार हजम कर जाता है, लेकिन जब बात जिम्मेदारी निभाने की आती है, तब पिड़ित बेटियों को यह शिवराज मामू के राज में बेटियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने की कसमें खाने वाला अधिकारी पिड़ित युवतियों को अपने सरकारी बंगले और आफिस का चक्कर लगाने हेतू मजबूर कर देता है। क्या मध्यप्रदेश में शिवराज मामू की सरकार के अंदर एक जिम्मेदार सरकार होने की भूख मिट चुकी है। जिसके चलते सरकार के द्वारा बिठाए गए एक जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारीयों को निभाने की बजाए पिड़ित युवतियों का सामना करने से बच रहा है। हद तो तब हो जाती है जब बकायदा सचिन कुमार अतुलकर के आफिस में मौजूद पुलिस कर्मी पिड़ित युवतियों की विडियो बनाने में भिड़ जाता है। इस दौरान पिड़ित युवतीयो के द्वारा इस तरह विडियो बनाए जाने पर आपप्ति दर्ज कराई जाने के बाद पुलिस आफिस में पदस्थ पुलिस कर्मी ने पिड़ित युवतियों को धमकाने की सूचना भी प्राप्त हुई है। जरा सोचिए समाज में पुलिस की भूमिका लोगों की सुरक्षा और समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए होती है, लेकिन जब रक्षक ही भक्षक बन बैठे तब क्या समाज को चुपचाप बैठकर आंख बंद कर लेना चाहिए?शिवराज मामू जिस तरह से बेटियों की सम्मान में एक से बढ़कर एक उपलब्धि आए दिन हासिल कर रहे हैं। यदि उनके ही राज में बेटियों की सुरक्षा को तार-तार करने वाले अधिकारी मौजूद रहेंगे तब क्या शिवराज मामू दुनिया के सामने अपने आप को एक बढ़िया मामा सिद्ध कर पायेंगे। मामले में पिड़ित युवतीयां अपनी दुख और वेदना को लेकर छिंदवाड़ा के गलियों की चक्कर लगाने को मजबूर हो चुकी है लेकिन छिंदवाड़ा की धरती में कोई मां का लाल पैदा नहीं हुआ है जो समाज में मौजूद इन बेटियों को न्याय दिला सकें। मामले को लेकर एक युवती छिंदवाड़ा कलेक्टर शितला पाटले से मुलाकात की है और मामले से संबंधित विषयों की जानकारी प्रदान की है। अब देखना यह है कि शिवराज मामू की यह महिला जिला दंड अधिकारी अपने ही जिला में पदस्थ पुलिस महकमा में पदस्थ सचिन कुमार अतुलकर पर क्या एक्शन लेती है।