चंद्रपकाश सिन्हा
धमतरी/ छत्तीसगढ़-- प्रदेश में सियासी घमासान फिर तेज हो गई है, जहां भाजपा के दिग्गज कद्दावर वरिष्ठ नेता नंद कुमार साय कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। कांग्रेस भवन में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली।
जिस तरह से भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय का पार्टी से अचानक इस्तीफा देना और दुसरे दिन कांग्रेस भवन पहुंच कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेना लोगों को हजम नही हो रही है, जिससे लोगों के जेहन में कई सवाल खडे हो रहे है।
क्या पहले से तय था नंदकुमार साय का कांग्रेस पार्टी में जाना जिस तरह से पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा 16 से 15 सीट में सिमट गई और उपचुनाव में भी अपने सीट नही बचा पाई।
वही पार्टी के कर्णधार रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता साय ने अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया कि उनके सहयोगी साजिश रच रहे थे। और उनकी छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे थे, जिससे उन्हें बहुत दुख हुआ।
क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव है और जिस तरह वरिष्ठ नेताओं की पुछ परख कम हो रही थी।
वही पार्टी हाईकमान के व्दारा 70 प्लस उम्र के नेताओं के लिए जो निर्देश मिला था उसको लेकर भी साय नराज थे क्योंकि साय अपने ब्यान मे कह चुके है वो छत्तीसगढ़ महतारी की अभी सेवा करना चाहते है और समाज को एक नई दिशा में ले जाना चाहते है।
जानकारों का तो यहां तक मानना हैं की ये सब अचानक नही हुआ है इसके लिए पहले से पृष्ठभूमि तैयार की गई थी। यूही किसी बडे नेता का अचानक नराज होकर पार्टी से इस्तीफा देकर तत्काल नये पार्टी ज्वाईन करना संभव नही है। ढाई-ढाई साल के फार्मूला को लेकर नराज तो टीएस सिंहदेव भी चल रहे है, लेकिन इसका मतलब यो तो नही है की आप पार्टी से इस्तीफा देके तत्काल नये पार्टी ज्वाईन करें। किसी भी वरिष्ठ नेता के लिए पार्टी छोड़ना इतना आसान नही होता, इसके लिए बहुत विचार विर्मश कर निर्णय लेना पड़ता है।
बाहरहाल भाजपा के दिग्गज वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, कैबिनेट मंत्री की मौजूदगी में नंदकुमार साय ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ली। नंदकुमार साय के सदस्यता लेने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें मिठाई खिलाई और कांग्रेस में स्वागत किया।
कल ही नंदकुमार साय ने बीजेपी से इस्तीफा दिया था। पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलायी।
नंदकुमार साय के कांग्रेस में शामिल होने से पहले कांग्रेस भवन में मंत्री मोहम्मद अकबर और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय काफी पहले पहुंच चुके थे। इधर अचानक साय के इस्तीफे से बीजेपी में हड़कंप मचा हुआ है।दो बार के लोकसभा सांसद और तीन बार के विधायक नंदकुमार साय पूर्व में छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्य प्रदेश दोनों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। साय ने अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया कि उनके सहयोगी साजिश रच रहे थे। और उनकी छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे थे। जिससे उन्हें बहुत दुख हुआ।
साय को कांग्रेस में ले जाने के लिए कांग्रेस के ही एक स्थानीय नेता ने पृष्ठभूूमि तैयार की है। साय को छत्तीसगढ़ में भाजपा की नींव रखने वाले नेताओं में से एक माना जाता है। पूर्व अध्यक्ष लखीराम अग्रवाल के साथ मिलकर उन्होंने छत्तीसगढ़ में भाजपा का संगठन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है। साय छत्तीसगढ़ के प्रथम नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। इसके अलावा 2003 में विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ मरवाही से चुनाव लड़ने की वजह से साय काफी चर्चा में आए थे।
वे सांसद रहने के अलावा अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। साय बीच-बीच में पार्टी में अपना असंतोष जाहिर करते रहे हैं। कुछ दिनों पहले जब आरक्षण को लेकर उन्होंने धरना दिया था तब भाजपा का कोई नेता उनके साथ खड़ा नहीं हुआ था।