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सेवा जतन सरोकार की संकल्प को आगे बढ़ाती मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की पांच साल का अंतिम बजट।

 

छत्तीसगढ़:- भारतीय राजनीति के इतिहास में दर्ज पन्नों को यदि हम खंगाले तो कांग्रेस पार्टी का वजूद काफ़ी पुराना और लोकतंत्रातिक मूल्यों के मुताबिक भारत के हिसाब से अहम माना जाता राहा है। लेकिन समय के साथ परिवर्तन होना स्वाभाविक है। कांग्रेस पार्टी में भी काफी परिवर्तन बीते कई दशको से लेकर अबतक देखने को मिले है। जिसके बावजूद पार्टी समयानुसार नए वजूद के साथ भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल सियासी भूमि पर सक्रिय भूमिका में बरसों से बराबर निभाती हुई आज तक दमदार तरीके से विराजमान हैं। आज के वर्तमान समय में देश के अंदर कई राजनीतिक दलो का वजूद भारत की इस सियासी सरजमीं पर मौजूद है। लेकिन किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं को आज तक यह कहते हुए नहीं सुना गया है,कि वे पुराने ढिमका राजनीतिक पार्टी के पुराने कार्यकर्ता है। हां कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता बड़े जोश और रोब के साथ कहते हुए दिखाई दिए जाते हैं कि वे पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ता है और यही कांग्रेस है। यानी कि कांग्रेस पार्टी का वजूद काफी पुराने दिनों से देश की अवाम के रग रग में बसा हुआ हैं यह माना जाना जा सकता है। अब के मोदी युग में जंहा एक ओर कांग्रेस मुक्त भारत की बात कही जा रही है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी अपनी वजूद को बेहतर बनाने हेतू राज्यों में मौजूद अपनी सरकारों के माध्यम से दिन रात मेहनत ईमानदारी से मेहनत करने में जुटी हुई है। भले केन्द्र में स्थित भाजपा की सरकार कांग्रेस पार्टी की जड़ और उनकी शाखा को भ्रष्टाचार की आग में लपेटने हेतू केन्द्रीय जांच एजेंसीयो को जगह जगह बिठा कर रख दिया हो, लेकिन कांग्रेस पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पहले से ज्यादा मजबूत स्थिति में उभर कर उठ खड़े होने की जुगत में लगातार प्रयासरत है। एक ओर केन्द्र में राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी आलाकमान के ज्यादातर नेता मोदी सरकार की गलत नीतियों को दमदार तरीके से सड़क और सदन में पछाड़ रही है,तो वंही दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी की राज्यों में मौजूद सरकारे भी अधिक मेहनत कर रही है, और मेहनत के दम पर भारत के सियासी सरजमीं पर बेहतर सरकार चलाने का तरीका जनता के मध्य प्रस्तुत कर रही है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी को देश अंदर मौजूद अलग अलग राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम हासिल करना होगा। ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य में भी विधानसभा चुनाव सम्पन्न होना है। कांग्रेस पार्टी की बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने भी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कमर कस लिया है और विधानसभा चुनाव का सामना करने हेतू तैयार बैठी हुई नजर आ रही हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल-फिलहाल अपनी सरकार की ओर से अंतिम बजट को प्रस्तुत किया है,जाहिर है चुनावी साल है "अतः भरोसा सब पर बरकार रखना मौजूदा सरकार की जिम्मेदारी है। फलस्वरूप काफी बेहतरीन बजट लोगों को धरातल पर देखने को मिला है, लेकिन सरकार के द्वारा प्रस्तुत किए बजट से राज्य के कुछ तबका नाराज हो चुके है और इसकी जानकारी भी बकायदा सरकार को मिली चुकी है।
मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जानकारी साक्षा किया है कि उनकी सरकार जल्द नाराज लोगों को मना लेंगे यानी कि खुश कर देंगे यह दावा है। हालांकि बजट में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने अपनी सेवा जतन सरोकार की संकल्प को नया दिशा प्रदानमंत्री करने हेतू शिक्षा, गांव,और कृषि क्षेत्र में विशेष ध्यान देने का फैसला लिया है,जो कि काबिले तारीफ माना जा राहा है। लगभग हर वर्ग की मंशा अनुरूप सरकार ने इस बजट में ध्यान दिया है, लेकिन पंचायत, शिक्षा और कृषि जैसे महत्वपूर्ण सेक्टर में सरकार ने पिछली बार से कंही अधिक ज्यादा खर्च करने का फैसला लिया है। आत्मानंद स्कूल छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार बजट का मुख्य केंद्र बिंदु राहा है। सरकार राज्य में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने हेतू ध्यान दें रही है। इस पर बकायदा खर्च करने की इच्छा जाहिर कर रही है। सरकार के द्वारा लिया यह निर्णय निश्चित रूप से तारिफ के काबिल है। छत्तीसगढ़ जैसे गरीब और पिछड़े हुए राज्य के लिए शिक्षा अहम है, लेकिन पढ़ें लिखे नवजवानों को रोजगार मिले यह एक बड़ा चिंता का कारण है। अब छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जंहा पर बेरोजगारों की संख्या ना के बराबर है वंहा पर बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है। यदि सरकार आज बेरोजगारों को भत्ता देने की बात कह रही है तो फिर विगत चार साल में सरकार बेरोजगारी भत्ता देने से क्यों पीछे रही? क्या इसके पीछे का कारण बेरोजगारी का आंकड़ा है जिसे कांग्रेस पार्टी की छत्तिसगढ़ सरकार सामने लाने से बचते हुए राज्य में बेरोज़गारी की आंकड़ा को कम बता रही थी और राज्य में कम बेरोजगारी दर पर खुद की पीठ थपथपा रही थी। चूंकि बेरोजगारी भत्ता देने की बात कांग्रेस पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव की घोषणा पत्र में शामिल किया था, लेकिन सरकार में बैठते ही अचानक राज्य में बेरोजगारों की संख्या कम हो गई और सरकार अपने वादों से मुकर गई, लेकिन अब फिर वापस सर पर चुनाव है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी की बेरोजगारी भत्ता को लेकर फिर वही घोषणा है।

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