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बिजली चोरी में विधुत विभाग की भूमिका सरपल्स संदेहास्पद।

बालोद/गुरुर :- संसार भर में समस्त मानव जाति के लिए बिजली एक महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता हैं। आधुनिकीकरण की इस दौर में जंहा बिजली और विधुत के बीना कुछ भी संभव नहीं हो सकता है, तो वंही आज के वर्तमान परिदृश्य में इंसानों की बिजली पर निर्भरता धरती और पर्यावरण पर भी खासा असर डाल राहा है। हालांकि सरकार बिजली की उपलब्धता को सुनिश्चित करने हेतू उचित और कारगर प्राकृतिक संरचना पर ध्यान दें रही है और बकायदा इसमें सफलता हासिल भी कर रही है। जिसके बावजूद बिजली अति दुर्लभ संसाधनों में से एक है। बहरहाल छत्तीसगढ़ बिजली के मामले में अग्रणी राज्य माना जाता है इस हिसाब से देखा जाए तो छत्तीसगढ़ राज्य में बिजली की कोई समस्या नहीं है, लेकिन बिजली देश की सार्वजनिक संपत्ति है इसलिए इसका दुरोपयोग नहीं होना चाहिए। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को व राज्य में मौजूद जिला प्रशासन एवं विद्युत महकमा को यह तय करना चाहिए कि बिजली का गलत उपयोग ना हो, लेकिन विडम्बना यह है कि राज्य में मौजूद ज्यादातर जिला के अंदर बिजली संरक्षण के लिए बनाई गई तमाम नियमों और कानूनों को दरकिनार करते हुए खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। यह सवा आना सत्य है कि राज्य में जिस जिस पार्टी की सरकार सत्ता पर काबिज होती है उस पार्टी के नेता ही सरकारी निर्माण कार्यों का ठेंका हासिल करते हैं। नेताओं को ठेंका हर स्तर पर हासिल होती है चाहे वह निर्माण कार्य से जुड़े हुए कोई भी काम हो और वह कार्य कोई भी विभाग से जुड़ा हुआ क्यों ना हो,भले निर्माण कार्य में नेता जी उर्फ ठेकेदार साहब अनुभव विहिन हो, लेकिन सत्ता जब साथ में हो तब क्या संभव नहीं हो सकता है यह बताने की आवश्यकता नहीं है। अब जब सब कुछ नियमों को ताक कर किया जा रहा हो तो निर्माण कार्यों में बिजली की चोरी निश्चित रूप से बहुत छोटी बात होगी। दरअसल बालोद जिला के अंदर जगह जगह जगह निर्माण कार्यों में बिजली की चोरी महकमा के जिम्मेदार कर्मचारियों की संरक्षण में किया जाता रहा है।


हालांकि कई बार जरूरी निर्माण कार्यों में बिजली की चोरी माफ़ की जा सकती है लेकिन हर बार बड़े निर्माण कार्यों में बिजली चोरी की छूट निश्चित रूप से गैर जरूरी माना जा सकता है। हैरानी की बात यह है कि बिजली महकमा में पदस्थ लाइनमेन चंद सिक्कों के चलते महकमा की जिम्मेदारी को दरकिनार करते हुए निर्माण कार्य में लगे हुए ठेकेदार को खुलेआम बिजली चोरी को बढ़ावा दे रहे हैं। गुरूर विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत कवंर में इन दिनों सड़क निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी है। गांव के लगभग चारों दिशाओं में इस वक्त सड़क निर्माण कार्य किया जा रहा है। सड़क निर्माण कार्य से जुड़े हुए ज्यादातर ठेकेदार निर्माण कार्य के दौरान बिजली की चोरी करते हुए देखे गए है। निर्माण कार्य से जुड़े हुए कर्मचारियों से पूछताछ करने में जो जानकारी बताई गई है। उसके आधार पर बिजली चोरी कर निर्माण कार्य से जुड़े हुए कार्यों को करने की अनुमति उन्होंने ने कवंर में पदस्थ लाइनमैन से ले रखी है। अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या विधुत विभाग के लाइनमैन को नियम विपरीत इस तरह की अनुमति सड़क निर्माण कार्य से जुड़े हुए ठेकेदार को देना शोभा देता है। क्या यह कृत विभाग के नियम विपरीत नहीं है। यदि नियम विपरीत है, तो विद्युत महकमा बालोद, क्या लाइनमैन पर विभागीय कार्यवाही को अंजाम देगा। निश्चित रूप से बिजली महकमा के लिए यह एक बड़ा सवाल है और महकमा को मामले को लेकर उचित कार्यवाही करना चाहिए ताकि नियमों का सख्ती से पालन हो सके। वैसे भी बिजली देश की सरकारी संपत्ति है यदि सरकारी संपत्ति की खुलेआम चोरी हो रही हो तो कार्यवाही करना विभाग की नैतिक जिम्मेदारी है। अब देखना यह है कि बिजली महकमा बालोद विभाग के दामन पर लग रही दाग से कैसे छुटकारा पाती है। क्या विभाग खुलेआम बिजली चोरी करने वाले सड़क निर्माण कार्य से जुड़े हुए ठेकेदार पर कार्यवाही सहित विभाग में पदस्थ लाइनमैन पर कार्यवाही करेगा अथवा महकमा में पदस्थ उच्च अधिकारी सवालों का जवाब देने से बचने हेतू सवाल पुछने वाले लोगों की मोबाइल नंबर को ब्लैकलिस्ट में डाल देगा।

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