रायपुर : सूब्बे की सियासी सरजमीं पर इन दिनों सियासी पारा जमकर चढ़ा हुआ है। सड़क से लेकर विधानसभा एवं मुख्यमंत्री निवास तक भाजपाइयों की बवाल से सहम गया है। इस दौरान भाजपाई नेताओं पर सूरक्षाकर्मियो के साथ धक्का मुक्की,पत्थराव एवं अभ्रद व्यवहार करने तक की बात कही गई है। वंही सूरक्षाकर्मियो के साथ हुई भिड़ंत में कई भाजपाई नेता भी घायल होने की खबर वायरल है। जाहिर सी बात है चुनाव है, और चुनाव में सबका पारा चढ़ना स्वाभाविक है। अब जब सबका पारा चढ़ा हुआ है तो फिर कोई चुप क्यों बैठेगा? निश्चित तौर पर जैसे की भारतीय राजनीति में देखा जाता है ठीक उसी तरह नूरा कुश्ती का दौर इन दिनों सूब्बे की सियासत में भी नजर आ राहा है। चुनाव है सामने है और चुनाव किसका होना है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है जाहिर सी बात है नेताओं का अब नेता एक दूसरे से नूरा कुश्ती ना करें तो और कौन करे भला ? बहरहाल सूब्बे की सियासी अखाड़ा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के पहलवान जनता से जुड़े हुए मुद्दों को लेकर आपस में जबरदस्त तरीके से भिड़ रहे हैं। एक ओर जहां सूब्बे के सियासत में मुखिया की भूमिका निभा रहे दाऊ जी की सरकारी खेमा खड़ी हुई है तो वंही दूसरी ओर डॉ. रमन सिंह और भाजपा के धूंरधर सेना सामने हैं। यह वही सेना है जिन्होंने बकायदा सूब्बे की सियासत में 15 वर्षों तक अपना दबदबा कायम रखा था। राजनीतिक पंडितों की मानें सत्ता में दोबारा काबिज होने के लिए किसी भी राजनीतिक दल की सरकार को तीन महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान देना ज्यादा ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ है। हालांकि कई और ऐसे कार्य है जिनके बदौलत सरकार की वाहवाही होती है। फिर भी वो तीन महत्वपूर्ण कार्य है, बिजली, सड़क और कानून व्यवस्था। ताजा उदाहरण हाल-फिलहाल उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार राज्य में कानून व्यवस्था के दम पर दोबारा काबिज हुई है। "यह सवा आना सत्य है। वंही बिजली और सड़क के नाम पर ना जाने कितने राजनीतिक दल की सरकारों की लूटीया डूबी है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। फिलहाल छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नेतृत्व में विगत चार साल से सरपट दौड़ रही है,और दौड़ते दौड़ते अब फिर वापस विधानसभा चुनाव के ठीक सामने मजबूती से खड़ी है। वो भी भाजपा जैसे दिग्गज राजनीतिक दल को चल हवा आन दे कहते हुए स्टाईल में। निश्चित रूप से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीनी स्तर पर बहुत कुछ करने का प्रयास किया है। जिसके चलते कांग्रेस पार्टी अपनी सरकार को लेकर यह तक दावा करती है, कि उनकी सरकार सेवा जतन सरोकार की संकल्प भाव से गांव, गरीब, किसान और मजदूर की विकास पर जोर देते हुए गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की अवधारणा को पूरा करने में जुटी है। हालांकि कांग्रेस पार्टी और मौजूदा सरकार के दावे की पीछे का जमीनी सच्चाई कुछ और भी है, जिस पर छत्तीसगढ़ राज्य में मौजूद मुख्य विपक्षी राजनीतिक दल भाजपा गांव से लेकर विधानसभा तक बवाल कर रहे है। दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना पर काम रुक गया। काम रुकने के चलते लाखों गरीब परिवारों को आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। इस मुद्दे को लेकर भाजपा भूपेश बघेल सरकार को बहुत दिनों से कोस रही है इसमें कोई संदेह नहीं है। चूंकि राज्य में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव है। अतः भाजपाई नेताओं की विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोर आवास मोर अधिकार पर मचाई जा रही बवाल राजनीतिक दृष्टिकोण से उचित है,लेकिन भाजपाई नेताओं की इस स्टंट की भनक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लग चुकी थी,शायद इसलिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बवाल पर जवाब फिर कई सवाल भाजपा के लिए मौजूद तय कर रखे हुए थे। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सरकार ने बजट सत्र में आवास योजना पर उठ रहे सवाल का जवाब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दे दिया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आगे आने वाले दिनों में आवास योजना पर आगे काम करने वाली है जिसके लिए सरकार ने योजना बना ली है।