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बढ़ती हुई अत्याचार और अपराध के बीच शेखी बघारते हुए अंचल के जिम्मेदार अधिकारी।


बालोद
: लोकतांत्रिक देश होने की हैसियत से भारत की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी लोकतंत्रात्मक व्यवस्था को मजबूती से धरातल पर स्थापित करना है। इससे पहले भारत की भूमि पर जन्म लेने वाले अनेक पिढ़ीयो ने गुलामी परतंत्रता का वह दंश को झेला है। जिसे आज के वर्तमान परिदृश्य में मौजूद ज्यादातर भारतीय सूनना तक पसंद नहीं करता है। जबकि सूरक्षित भविष्य निर्माण हेतू ना जाने कितने लोगों ने अपनी वर्तमान को खो दिया। गुलामी का वह  दिन ना देखना पड़े यह सोच कर ना जाने कितने लोगों नेताओं सर्वोच्च बलिदान हंसते हुए निवछावर किया है। आजादी के बाद संविधान में निहित मूल्यों के आधार पर केन्द्र सरकार से राज्य सरकार,राज्य सरकार से जिला प्रशासन,जिला प्रशासन से ग्राम पंचायत और ग्राम से सीधा आम परिवार तक तिरंगा की महानता को बरकरार रखने की जिम्मेदारी देश के संविधान निर्माताओं ने तय कर रखा है। जिम्मेदारी अनुसार तमाम जिम्मेदारों को पूरे जिम्मेदारी से तय की गई जिम्मेदारी को निभाना है। चाहे वह प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री,मुख्य न्यायाधीश,राज्यपाल,सांसद, विधायक,मंत्री,संत्री, कलेक्टर,चपरासी,वर्दीधारी,बैगर वर्दीधारी, सफेद वर्दी धारी,काली वर्दी ,पीली वर्दी धारी हो अथवा यंहा तक वे पंच परमेश्वर जो गांव के चौपाल में बैठकर आज भी पूरे गांव की घरों में चूल्हा बुझने तक अपनी चूल्हा में आग नहीं लगाते है।


तमाम जिम्मेदारों की जिम्मेदारी भरी जवाबदेही के चलते ही हर भारतीय नागरिक के दिल में तब जाकर तिरंगा धड़कन बनकर धड़कता है। भारत की धरती पर लोकतंत्र की सफल बहाली हेतू इन तमाम पहरेदारों को देश की आम जनता अपने बच्चों का पेट कांट कर अपनी पसीने की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दान करती है। बतौर टेक्स के रूप में चाहे वह किसी भी तरीके से लिया गया हो। ऐसे में इन तमाम पहरेदारों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि देश की मेहनतकश आवाम की जान और माल की सुरक्षा जिम्मेवारी से करें। आम जनता भी उनसे यही करने की अपेक्षा रखती है। शायद इसीलिए उन्हें भारत की पवित्र संविधान के प्रति निष्ठावान रहने की कसम दिलाई जाती है। ऐसे में जिम्मेदारी अनुसार सभी जिम्मेदारो को देश में मौजूद एक एक परिवार जो भारत की आन बान और शान की निशानी है। इनकी जान और माल की सूरक्षा ही नहीं बल्कि इनके सुख और दुख का साथी बनकर रहना भी हर परहेदारो की जवाबदेही भी है। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था का मुख्य आधार सरकार भी है, क्योंकि ज्यादातर जिम्मेदारी का कार्य उन्हीं के मत्थे पर टिका हुआ है। केन्द्र से लेकर राज्य सरकार अपने अपने स्तर पर आम जनता के लिए योजना बद्ध तरीके से कल्याणकारी योजना संचालित करती है। उस योजना के जरिए सरकार देश के हर एक परिवार तक तमाम सुविधाओं को पहुंचाती है। सभी पहरेदार सरकार के कल्याणकारी योजनाओं से सहयोग करते हैं।

सभी की सहयोग और सहायता के दम पर देश की सभी परिवार सकून से जीवन व्यतीत करता है। आज देश के तमाम नुमाइंदे और पहरेदार अपनी जिम्मेदारी किस तरीके से निभा रहे हैं यह बताने की आवश्यकता नहीं है। तमाम पहरेदारों को अपनी जिम्मेदारियों की ओर ईमानदारी से देखना चाहिए ताकी देश की मेहनतकश जनता अपने बच्चों का पेट कांटते बख्त अपने बच्चों का ख्याल ना रख के तमाम पहरेदारों की बच्चों का ध्यान पहले रखें। शायद छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला में पदस्थ पहरेदार अपनी जिम्मेदारीयो को भूल गए हैं। जिला में मौजूद जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी तरीके से निभाने की बजाए सेलेक्ट तरीके से नौकरी बजा रहे है। जिला में मौजूद ज्यादातर विभागों के कार्य 2022 में पूरा नहीं हो सका है, जबकि जिला में पदस्थ पहरेदार अपनी कार्यों की बखान आये दिन अपने चहेते अखबारों में बड़े बड़े तूर्रा छोड़ते हुए प्रकाशित कराते हुए आ रहे है। विभागों में पड़ी पैंडिसी के कारण मौजूदा राज्य सरकार की छवि हो रहा है प्रभावित। ऐसे में आगे आने वाले दिनों के दौरान राज्य में विधानसभा चुनाव होना है। लिहाजा सरकार को तमाम पहरेदारों की पहरेदारी को भांपना उचित होगा। 

जिला में कानून व्यवस्था की बिगड़ी हालत किसी से छुपी नहीं है। कानून व्यवस्था को बिगाड़ने में सहयोग प्रदान करने हेतू सत्ता रूढ़ राजनीतिक दल के गणमान्य नेताओं का नाम जिला वासी बड़े आदर से संबोधित करते हैं। ऐसे में जिला के अंदर मौजूद संविधान की अवधारणा का हालत क्या होगी समझा जा सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि कानून व्यवस्था को बरकरार रखने में बालोद पुलिस हाथ पैर नहीं मार रही है, बल्कि बालोद पुलिस के एक एक जवान मुस्तैदी से अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं,लेकिन सत्ता रूढ़ राजनीतिक दल के गणमान्य महापुरुषों की सहयोग के बीना यह संभव नहीं है। विडंबना यह है कि सत्ता रूढ़ राजनीतिक दल के गणमान्य महापुरुष ही इस दिशा में सही प्रयास करने से चूक रहे है। इस बिच जिला के एक रामायण मंच पर जल्द राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और जिला में मौजूद कुछ कांग्रेसी नेता देखें जा सकते हैं। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के साथ रामायण के मंच मौजूद रहेंने वाले नेताओं पर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद महिला अपराध से संबंधित संगीन धाराओं में अपराध पंजीबद्ध है। ऐसे में रामायण मंच पर इन सबकी मौजूदगी बहुत कुछ इशारा कर रही है।

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