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अब नहीं तो कब सुधरेंगे अंचल के किसान।

@विनोद नेताम
बालोद : भारत कृषि प्रधान देश है जिसके चलते भारत के विभिन्न हिस्सों को कृषि से जुड़े हुए नामों के आधार पर लोग जानते है। मशलन छत्तिसगढ़ राज्य को जिसे लोग धान की कटोरा के रूप में जानते हैं। ठीक उसी तरह भारतीय उपमहाद्वीप के अंदर मौजूद अलग अलग इलाकों को  उन क्षेत्रों में चर्चित कृषि कार्यों से जोड़कर लोग उन क्षेत्रों का नाम कृषि कार्यों से जोड़कर देखते हैं। वैसे भी छत्तीसगढ़ राज्य में धान की बंपर पैदावार होती है इसलिए धान का कटोरा छत्तिसगढ़ राज्य के लिए की मायने में सही है। राज्य के ज्यादातर किसान धान की फसल उगाते हैं। राज्य के अंदर मौजूदा सरकार भी किसानों को धान की उचित मुल्य प्रदान कर रही है। जिसके चलते राज्य के ज्यादातर किसान धान की फसल को किसानी में प्राथमिकता दें रहे है। चूंकि धान की फसल में पानी की खपत ज्यादा होती है और राज्य में लगातार पानी की भूमि गत जल स्तर तेजी से कम हो रहा है। ऐसे में धान की लगातार फसल किसानों को आगे आने वाले दिनों में मुश्किल में डाल सकता है। रबी सीजन के दौरान तक लोग ओनहारी की जगह धान की फसल उगाने की तैयारी में जुटे हुए है, जबकि शासन और प्रशासन दलहन और तिलहन फसलों को उगाने हेतू जिला के किसानों को लगातार प्रेरित करने का दावा ढोंक रही है। कृषि विभाग के अनुसार यदि देखें तो जिला के ज्यादातर किसान दलहन और तिलहन की फसल रबी के सीजन में उगा रहे है। जिला में मौजूद किसानों की मानें तो जिला कृषि विभाग से जुड़े हुए अधिकारी विभाग की नाकामयाबी छुपाने हेतू तथ्यहीन आंकड़े प्रस्तुत कर रही है, जबकि हकीकत के धरातल में जिला के ज्यादातर किसान रबी सीजन के दौरान पुनः धान की फसल उगाने की तैयारी में जुटे हुए है। 
सर्वविदित है कि जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र में भूमिगत जल तेजी से घट रहा है, जबकि हैरानी की बात यह है कि गंगरेल बांध यंहा से लगभग लगा हुआ है। बावजूद इसके लगातार गिरती हुई भूमिगत जल स्तर बहुत कुछ इशारा कर रहा है। लोग अब नहीं संम्हले तो आने वाले दिनों में भयानक पानी की किल्लत लोगों को समझने के लिए मजबूर करेगा। गुरूर विकासखंड क्षेत्र में गिरती हुई जल स्तर के मद्देनजर सरकार ने घर घर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण विगत कुछ वर्ष पहले किया है।

कृषि विभाग की जबदस्त उदासीनता 

राज्य सरकार और जिला प्रशासन सहित कृषि विभाग ने रबी सीजन की फसलों को लेकर हर बार की तरह पिछले दिनों टेबल पर काफी माथापच्ची किया होगा हर रबी सीजन के पहले ऐसा होता है और यह आम बात है या फिर यह सकते हैं यह सिस्टम की रिवायत है। हर बार की तरह टेबल पर की गई माथापच्ची जमीनी स्तर पर पूरी तरह फेल नजर आती है। कारण स्पष्ट है कृषि विभाग की लापरवाही। अबतक कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को कागजी दिखावे के लिए दलहन और तिलहन पर पानी डालते हुए नजर आए हैं। कहने को तो कृषि विभाग जिला के किसानों को लगातार जमीनी स्तर पर प्रोत्साहित कर रहे हैं, लेकिन किसानों को रबी सीजन के फसल हेतू दलहन और तिलहन फसलों की बुवाई हेतू समय पर बिच व खाद उपलब्ध नहीं करा पाई हैं। इस कारण ज्यादातर किसान आसपास में मौजूद बिच का उपयोग कर रहे हैं। सीधे शब्दों में कहें तो धान की फसल रबी सीजन के दौरान उगाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। वंही दलहन और तिलहन फसलों की खराब होने की स्थिति में सरकार समय पर मुआवजा तक नहीं दे पाती है। किसानों की मानें तो सरकार किसानों की मदद जमीन से नहीं आसमान से करना चाहती है जिसके चलते उन्हें किसानों की जमीनी मुश्किल के बारे में मुलामात नहीं है।गिरते भूमि गत जल स्तर के बावजूद धान की बार बार खेती भविष्य के लिए नुकसानदायक है।
 इस बात को किसान भी जानते हैं इसके बावजूद पानी की ज्यादा खपत वाली फसल को बढ़ावा दे रहे हैं अंचल के किसान। अब नहीं सुधरे तो कब सुधरेंगे अंचल के किसान।

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