धमतरी. रजा फाउंडेशन की ओर से उर्स आला हजरत मनाया गया। इस मौके पर अपनी नूरानी तकरीर में मुफ्ती मौलाना अख्तर हुसैन अलीमी ने फरमाया कि आला हजरत फाजिले बरेलवी का लोहा सिर्फ हिन्दुस्तान के नहीं बल्कि तमाम दुनिया के मुसलमान मानते है। इन्होंने इल्मे दीन की शमा को रौशन कर मजहबे इस्लाम को एक नई ऊंचाई दी।
जामा मस्जिद के मैदान में आयोजित तकरीर प्रोग्राम में मुफ्ती अख्तर हुसैन अलीमी ने आगे फरमाया कि अल्लाह के प्यारे महबूब पैगम्बरे इस्लाम जनाबे मोहम्मद रसूलल्लाहु अलैही वसल्लम से मोहब्बत का पाठ सही मानो में अगर किसी ने पढ़ाया है तो वे शख्सियत आला हजरत है। इश्क ए नबी में डूबकर आपने जो कुछ भी कहा और लिखा वो आला ओ औला हो गया। बेशक इस मोहब्बत को आपने सिर्फ लफ्जो के जरिए ही बयां नहीं किया बल्कि वो आपकी रूहानियत में इस तरह रच बस गई कि जो कोई सुनता वो भी नबी ए करीम के इश्क में डूब जाता। आका सल्ललाहु अलैहि वसल्लम का नूर सबके दिलों में कुछ इस तरह से उतर जाता कि सुनने वाला भी आशिके रसूल हो जाता। आज भी रोजाना लाखों करोड़ों लोग अपने नबी और रसूल पर रोजाना दरूदो सलाम का जो तोहफा भेज रहे हैं, वह हजरत आला हजरत का सदका व तुफैल ही है। उन्होंने बताया कि आला हजरत ने 72 से ज्यादा विषय पर एक हजार से अधिक किताबें लिखी। इनकी लिखी गई तमाम किताबें बहुत प्रसिद्ध हुई। इनके द्वारा लिखी गई तफसीर ए हदीस किताब ने लाखों मुस्लिमों को सुन्नीयत की राह पर चलना सिखाया। कन्जुल इमान किताब को आज कौन नहीं जानता। इन्होंने कुरान करीम का हिन्दी में तरजुमा किया, ताकि लोग कुरान को सिर्फ पढ़े नहीं बल्कि इसे तफसील से समझे। उन्होंने आगे फरमाया कि मोहब्बत और इंसानियत का सबक अपने बुजुर्गो से सीखकर इन्होंने इस्लाम के मिशन को आगे बढ़ाया। मौके पर मुकामी उल्माओ के अलावा अंजुमन इस्लामिया कमेटी के सदर हाजी नसीम अहमद, रजा फाउंडेशन के मोहम्मद आजम रिजवी, दिलावर रोकडिय़ा, मोहम्मद शाह अहमद, नजीर अली सिद्दीकी, युसूफ रजा, अब्दुल रज्जाक रिजवी, बशीर अहमद समेत अन्य लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
सात तलबो की हुई दस्तारबंदी
उर्स आला हजरत के मौके पर मदरसा कादरिया फैजाने कुरान के सात तलबो की दस्तारबंदी भी की गई। मुफ्ती अख्तर हुसैन अलीमी ने कहा कि इन बच्चों के सीने में कुरान हमेशा रौशन रहेगा और ये अपने इल्म के जरिए इमान की रौशनी फैलाते रहेंगे।
बांधा शमा
शायरे इस्लाम मौलाना अख्तर काशिफ झारखंड ने आला हजरत की शान में दिलकश आवाज में नात शरीफ पेशकर शमा बांधा। प्रोग्राम की निजामत मौलाना जमाल अख्तर ने की। सलातो सलाम का नजराना पेश करने के बाद फातिया हुई। सबके लिए दुवाए खैर की गई।