@विनोद नेताम
TOP BHARAT DESK RAIPUR : बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी चिर-परिचित अंदाज में राज्य की कुर्सी में विराजमान रहते हुए लगभग चार साल सफलता पूर्वक निकाल चुके है। पिछली बार 06 अक्टूबर 2018 को राज्य में विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ था। जोकि आगे 06 अक्टूबर 2023 तक बहाल माना जा सकता है। यानी कि आगे वाले साल में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान तय है। इस हिसाब से देखा जाए तो भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी के पास महज कुछ दिन बचे कुचे शेष रह गए है। इस बिच भूपेश बघेल सरकार प्रदेश की सत्ता पर दोबारा काबिज होने के फिराक में जुगत करते हुए देखा जा रहा हैं। चूंकि किसी भी सरकार के सत्ता में दोबारा वापसी हेतू तीन कार्य अति महत्वपूर्ण पूर्ण माना जाता राहा है। यह तीन कार्य सड़क,बिजली,और कानून व्यवस्था है। हालांकि अन्य और भी कार्य है, लेकिन खास तौर पर इन्हीं तीनों कार्यो को लेकर लोगों के मध्य चर्चा होती है। जानकारों के अनुसार यह कार्य जनता को दिखता भी है और आम जनता इससे प्रभावित भी होती है। इस हिसाब से देखा जाए तो भूपेश बघेल सरकार के लिए महज साल भर का समय बांकी रह गया है। इस साल भर के अंतर्गत नवरात्रि,दशहरा,नया साल, होली और फिर बारिश की छुट्टियां भी है। यदि साल भर के दौरान छुट्टियों का दिन निकाल दिया जाए तो कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास बहुत कम ही समय बचता है। सही मायने में कहा जाए तो जमीन पर काम दिखाने हेतू के लिए सिर्फ 8,9 माह समय मौजूदा सरकार के पास बचे हुए हैं। इससे पहले आपको याद होगा मध्यप्रदेश ज़हां पर दिग्गी राजा ( दिग्विजय सिंह) की सरकार खराब सड़के और बिजली की आंख मिचौली के चलते बुरी तरह से निपट गई थी। अतंत: दिग्गी राजा चुनाव हार गए,जबकि दो चीजों को छोड़ दें तो दिग्गीराजा की सरकार के 10 साल का टेन्योर उतना खराब नहीं था। ये तो हुई सड़क और बिजली की बात अब बात कानून व्यवस्था की बात कर लेते है। कानून व्यवस्था के नाम पर चुनाव जितने का ताजा उदाहरण है उतर प्रदेश। जबदस्त पोलिसिंग पोलिसी के बदौलत उतर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रहे। योगी आदित्यनाथ ने उतर प्रदेश में अपराधी भगाओ अभियान को जिस तरह से अंजाम दिया उसकी चर्चा पूरे देश में होती है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार को बिजली की समस्या पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। चूंकि राज्य में फिलहाल बिजली संबंधित कोई समस्या कंही पर नजर नहीं आ रही है। अतः इस ओर भूपेश बघेल को ध्यान भटकाने की जरूरत नहीं है, लेकिन खराब सड़के और खस्ताहालत में दम तोड़ती हुई कानून व्यवस्था,कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सत्ता पर दूबारा वापसी मंशा पर पानी फेर सकता है। ऐसे में इन बचे हुए दिनों के अंदर आम जनता को काम दिखाने हेतू इन दोनों विभागों में चुस्ती और फुर्ती लाना होगा। वैसे भी चार साल तक इन दोनों विभाग का जिम्मेदारी संम्हालने वाले मंत्री और अधिकारी अंशुमन गायकवाड़ और रवि शास्त्री तरह इन दोनों पिच पर ठूक -ठूक कर जम हूए है। अब जब भूपेश बघेल सरकार के पास समय कम है ऐसे में ट्वेंटी -20 मैच वाली पारी खेलने वाले लोगों की जरूरत है। इसलिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इन कम बचे हुए समय में श्रीकांत और सहवाग जैसे बल्लेबाजो की आवश्यकता साफ नजर आ रही है। सूत्रों की मानें तो छत्तिसगढ़ राज्य सरकार बांकी बचे कुचे दिनों के दौरान राज्य में सड़कों की हालत और बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था पर कड़े कदम उठा सकती है,लेकिन दो धारी तलवार पर खड़ी हुई प्रतीत नजर आने वाली भूपेश बघेल की मौजूदा सरकार क्या ऐसा करने में सफल हो पायेगी ? यह चिंतन का विषय है। गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद से अबतक कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने या फिर उनके चहेते ठेकेदारों ने प्रदेश के अंदर ज्यादातर सड़क निर्माण कार्य को अंजाम दिया है। ऐसे में खस्ताहाल सड़क निर्माण कार्यों के जिम्मेदार ठेकेदारों को मौजूदा सरकार क्या घटिया सड़क निर्माण कार्य पर सबक सिखायेगी। वंही दूसरी ओर राज्य के अंदर कांग्रेसी नेताओं ने कानून व्यवस्था को बेहतर बनाएं रखने में ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई है। सर्वविदित है कि राज्य में खुलेआम पुलिस प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद अवैध सट्टा कारोबार एवं अवैध शराब कारोबार फलता फूलता राहा है। इस कारोबार की सफलता के पिछे सत्ताधारी नेताओं की सरपरस्ती किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा उठाई जा रही कड़ी कदम उजड़े मड़वा म डिड़वा नाच साबित ना हो जाएं।