विनोद नेताम
बालोद : जिला शिक्षा विभाग में पदस्थ कई शिक्षकों में इन दिनों एक ओर जहां सालों की लंबी इंतजार के बाद मिली तबादला की खुशी है,तो वंही दूसरी ओर जिला शिक्षा अधिकारी के नये तेवर को लेकर शिक्षकों के बिच गहमागहमी की मौजूदगी भी स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। इन दोनों घटनाओं ने समूचे शिक्षा जगत को ना सिर्फ हैरान किया बल्कि यह सोचने के लिए भी मजबूर किया कि जिला में शिक्षा अधिकारी का भी कोई वजूद मौजूद है। वैसे देखा जाए तो जिला शिक्षा विभाग कुछ वर्षों से लगातार अपनी गिरती हुई स्तर को लेकर दिन दूनी रात चौगुनी प्रसिद्ध हासिल कर रहा है। इस बीच मौजूदा समय में पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी की कार्य प्रणाली को देखकर लोगों को लगता है,कि जिला शिक्षा विभाग बालोद में अब जल्द बदलाव की बयार आने की शुरुआत हो रही है। खैर जो भी हो जिला शिक्षा अधिकारी महोदय अचानक इन दिनों बदले बदले से नजर आ रहे है। लोगों को इस बदलाव पर काफी संदेह है फिर भी बदलाव हुआ है तो इसके पीछे भी कुछ ना कुछ वजह होगी। बहरहाल बदलाव का कारण जो भी हो,लेकिन बदलाव से शिक्षा का स्तर पहले के मुकाबले सुधरने की गुंजाइश आगे आने वाले दिनों में लोगों देखने को मिल सकता है,यह माना जा रहा है। बदलाव की शुरुआत करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने हाल फिलहाल एक प्राचार्य और एक शिक्षक पर कार्यवाही की गाज गिराई है। शराब के नशे में धुत एक प्राचार्य समीक्षा बैठक के दौरान पी कर पहुंच गए। अब शराब पीकर समीक्षा बैठक में पहुंचने वाले प्राचार्य यदि बैठक के दौरान राम भी कहेगा तो लोगों को मरा ही सुनाई देगा। वैसे भी पीने और पिलाने का अलग समय होता है। जिम्मेदार पद पर रहते हुए इस तरह से व्यवहार निश्चित रूप से समाज में शिक्षक की भूमिका को ठेंस पहुंचाती है अतः जिला शिक्षा अधिकारी ने उक्त प्राचार्य के खिलाफ समीक्षा बैठक में अनर्गल शब्दों का इस्तेमाल किए जाने और सरकारी कार्य में घोर लापरवाही बरते जाने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक को पत्र लिखा है। इसी प्रकार गुण्डरदेही विकासखंड के टेकापार में स्थित शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ एक शिक्षक द्वारा स्कूल में ही ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में रहना और नशे में बच्चों के साथ मारपीट किये जाने की शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी ने उक्त शिक्षक को तत्काल निलंबित कर दिया है। निश्चित रूप से शिक्षा विभाग में पदस्थ शिक्षकों की समाज में एक छवि है और उस छवि के अनुसार शिक्षको को समाज की ओर से काफी मान और सम्मान दिया जाता रहा है। शायद इसलिए संत कबीर दास जी ने कहा है कि सब धरती कागज करूँ, लेखनी सब बनराय,
सात समुंदर की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय! अर्थ – कबीर कहते हैं कि वे लोग अंधे हैं जो गुरु को ईश्वर से अलग समझते हैं। अगर भगवान रूठ जाएँ तो गुरु का आश्रय है पर अगर गुरु रूठ गए तो कहीं शरण नहीं मिलेगा। "
चूंकि जिला शिक्षा विभाग में आज भी ऐसे कई शिक्षक मौजूद हैं,जिनके कारनामों के चलते विभाग पर सवालिया निशान समय समय पर उठते रहे है। लिहाजा शिक्षक को ईश्वर का स्वरूप समझने वाला समाज अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करने को बाध्य है। ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा की गई इस कार्रवाई को लोग महज खानापूर्ति मानकर चल रही है, जबकि जिला शिक्षा विभाग इस कार्यवाही को बेहतर बताने की साबित हेतू प्रचार में जुटी हुई नजर आ रही है। लोगों की मानें तो जिला शिक्षा अधिकारी ऐसे कई मामलो पर चुप्पी साधे बैठे हुए है,जिन पर उन्हें सख्ती से कदम उठाना चाहिए था। हालांकि मामले में जिला शिक्षा अधिकारी महोदय पहले तो जांच का आश्वासन दे देते है,लेकिन लोगों की कार्यवाही संबंधी उम्मीद पर अचानक पानी फेर कर चुप्पी साध कर बैठ जाते है। दरअसल जिले के गुरूर विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत मोखा के शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी महोदय को एक शिकायत पत्र आज से कुछ माह पहले सौंपा गया था। मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच का भरोसा दिया था,लेकिन कई माह बीत जाने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी की जांच का ना तो अता है और ना ही पता है। मामले में कार्रवाई का आश्वासन देने के बाद विभाग के द्वारा अब तक कोई जांच नहीं होना जिला शिक्षा अधिकारी की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते है। अब ऐसे में देखना यह है कि आखिर जिला शिक्षा अधिकारी की गंभीरता महज कुछ शिकायतो पर ही बना रहेगा या फिर उन शिकायतों पर भी जारी रहेगा जिसके चलते शिक्षा विभाग को काफी बदनामी सहन करना पड़ा है।