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आखिरकार आधी अधूरी माफी के बाद कैसे खत्म हो गई लाम बंद ग्राम कोटवारों का आंदोलन।

फाइल फोटो
              विनोद नेताम      
बालोद -: छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंटवार्ता मुलाकात कार्यक्रम के सिलसिले में बस गुरूर पहुंचने वाले ही है। ऐसे में जिला के विभिन्न विभागों में पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों के मध्य हड़कंप मचने की जैसी नज़ारा स्पष्ट रूप से बनी हुई नजर आ रही है। चूंकि भेंटवार्ता मुलाकात कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री की गुस्सा का शिकार ना बने यह सोच कर ज्यादातर अधिकारी हड़बड़ी में गड़बड़ी करते हुए सिधे तौर पर जिला में देखें जा रहे। गौरतलब हो कि हड़बड़ी में गड़बड़ी का दिलचस्प वाकया पिछले दिनों जिले के राजनीतिक रण क्षेत्र गुरूर में घटित होते हुए देखा गया है। गनिमत रही कि बात ले देकर संवर गई वरना साहब की गाड़ी चल पड़ी थी। विदित हो कि तहसील मुख्यालय गुरूर में पदस्थ तहसीलदार साहब जिनके रवैए ने तहसील क्षेत्र के सभी ग्राम कोटवारो को खासा परेशान कर रखा है। नाराजगी का आलम यह है कि तहसीलदार से नाराज चल रहे कोटवारों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आने के ठीक पहले नाराजगी जाहिर करते हुए दो दिन तक लामलंद हो गए। गुरूर तहसील क्षेत्र के सभी ग्राम कोटवार तहसीलदार साहब के रवैए से नाराज हो कर दो दिन रेस्ट तक हाउस गुरूर के सामने हड़ताल पर डटे रहे। इस बिच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आगमन से ठीक पूर्व कोटवारों का जमावड़ा देखकर साहब तक हलाकान होते हुए देखें गए। बताया जाता है कि तहसील क्षेत्र के सभी ग्राम पंचायतों में कार्यरत कोटवार तहसीलदार साहब के बेतूकी फरमान से खासे चल रहे थे। दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नगर आगमन से पहले तहसीलदार साहब गुरूर तहसील कार्यालय गुरूर में साफ सफाई और बढ़िया व्यवस्था देखना चाहते थे,ताकि साहब के शान में किसी भी कमी होने का जिक्र तक ना सके खास तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। साफ सफाई के लिए मासिक बैठक में मौजूद ग्राम कोटवारों को टाइम बे टाइम तहसीलदार साहब तहसील परिसर में पड़ी हुई गिट्टी को साफ करने का आदेश दे दिया। साफ सफाई हेतू संसाधन नहीं होने के चलते व टाइम ज्यादा होने के कारण ज्यादातर कोटवार तहसील कार्यालय से अपने अपने घर रवाना हो गए। ऐसे में साहब का आदेश धरी की धरी रह गई, आनन-फानन में साहब ने लगभग 14 कोटवारों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया,भई साहब की शान में गुस्ताख़ी जो कि अब दो जवाब। अब नोटिस में साहब ने आदेश का पालन ना होना मुख्य कारण के रूप में भी दर्शा दिया। कोटवारों की मानें तो तहसीलदार साहब ने नोटिस में कई ऐसे कोटवारों का नाम भी शामिल कर दिया,जो उस दिन बैठक में मौजूद ही नहीं थे बल्कि तबियत खराब होने के चलते हास्पिटल में एडमिट थे। ऐसे में ग्राम कोटवारों का पारा गरम होना लाजमी है। लिहाजा भरे गेस्ट हाउस के सामने सारे कोटवार धरने पर बैठ गए, इधर साहब के कोटवारों की धरने पर जाते ही पारा पहले से और ज्यादा गरम हो गया। वैसे देखा जाए तो कोटवार गांव के प्रमुख लोगों की तौर पर देखें जाते है। ग्रामीण गांव के थानेदार की संज्ञा देते हैं। बकायदा कोटवारों को सरकार ने वर्दी प्रदान किया है साथ ही उनके सेवा कार्य हेतू ग्राम वासियों के ओर से उन्हें कृषि योग्य भूमि और सरकार की ओर से मासिक वेतन भी दिया जाता है। इन सब के बावजूद यदी आपको ग्राम कोटवार जिला के गुरूर तहसील कार्यालय अंदर कभी मजदूरों की तरह मजदूरी करते हुए  दिख जाए तो इससे हैरान मत जो आईये क्योंकि गुरूर तहसील कार्यालय में रोजाना ग्राम कोटवारों से गुरूर तहसील प्रशासन इसी तरह कार्य कराने हेतू पहचानी जाती है । गौरतलब हो कि ग्राम कोटवार के द्वारा की जा रही धरने के बाद कोटवारों का एक समूह तहसीलदार साहब से चर्चा करने हेतू तहसील कार्यालय भी पहुंचे हुए थे। तहसीलदार साहब के साथ चर्चा और ज्ञापन सौंपने गए कोटवारों को साहब की गुस्सा का कोप झेलना तक पड़ा है। अभ्रद्रता पूर्ण व्यवहार करने की बात तक सामने आई है। ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आगमन के दौरान यह मामला बवाल ना खड़ा कर दे यह सोच कर राजनीतिक दबाव में कोटवारों की धरने को समाप्त करने की सुचना प्राप्त हुई है। हालांकि ग्राम कोटवारों से चर्चा करने हेतू नयाब तहसीलदार शिवेंद्र सिन्हा को धरने स्थल पर भेजा गया था। नयाब तहसीलदार और ग्राम कोटवारों के मध्य चर्चा के बाद कोटवारों ने धरना खत्म कर दिया है। वंही धरने की खत्म होने पर सवाल खड़े किए जा रहे है। 1 क्या गुरूर तहसील कार्यालय में ग्राम कोटवार पहले की तरह मजदूरों की तरह कार्य करते हुए नजर आते रहेंगे?                              
    2. तहसीलदार गुरूर के द्वारा कोटवारों को इस तरह से मजदूरी करने का आदेश देना सही है?             

   3. क्या ग्राम कोटवार जिन्हें गांव के थानादार के तौर पर मानते हैं उन्हें लोग तहसील कार्यालय गुरूर में मजदूरी करते हुए देखना पसंद है?     

  4. धरना खत्म होने के बाद चर्चा के दौरान गुरूर तहसीलदार साहब के द्वारा कोटवारों को दिया गया धमकी सही है?                                              
5. आगे आने वाले दिनों गांव के थानेदार तहसीलदार साहब के खिलाफ पुनः इस मामले में लामबंद होंगे?

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