खबर की शुरुआत राहत इंदौरी साहब के मशहूर से शायरी से, बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं
विनोद नेताम
रायपुर : छत्तीसगढ़ की पावन धरा जिसके आंचल में ढाई करोड़ से अधिक जनता का भार लपटी हुई है!राज्य गठन के बाद प्रदेश की सत्ता पर प्रायः प्रायः सभी राजनीतिक दलों ने सरकार बनाई है!यानी सत्ता का स्वाद सबको बराबर चखने को मिला है,चाहे वह कांग्रेस पार्टी हो या फिर भारतीय जनता पार्टी! हां बिच में स्व:जोगी जी के लिए भी यदि जगह निकाल ली जाए,तो कांग्रेस पार्टी के रथ में बैठ कर ही सही लेकिन उन्होंने ने भी प्रदेश की सत्ता में अपनी मौजूदगी का अहसास कराया है! बहरहाल छत्तीसगढ़ में निवासरत बांसिंदो के लिए यह कहा जाता है,कि यंहा के लोग अमिर धरती के गरीब लोग है!स्व: जोगी जी स्वयं इस बात का जिक्र कई दफा कर चुके है!संसार की दूसरी सबसे बड़ी जनशक्ति का एक छोटा सा अंश प्रदेश के अंदर भी निवासरत है!देश के विकास में छत्तीसगढ़ राज्य का बहुत छोटा सा ही सही लेकिन महत्वपूर्ण योगदान अबतक रहा है!छत्तीसगढ़ स्टील उत्पादन में भारत का 15%स्टील का उत्पादन करता है,तो वंही छत्तिसगढ़ राज्य के कोयला देश की कई राज्यों की उर्जा जरूरतो की पूर्ति करता है!जीडीपी के हिसाब से देखें तो लगभग 3.25 लाख करोड़ (50 बिलियन डॉलर) के साथ छत्तीसगढ़ भारत के सबसे गरीब प्रदेशो की सुची में शामिल हैं!छत्तीसगढ़ भारत के सबसे गरीब राज्यों में पहले नंबर पर आता है!राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा लगभग 37% लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं!अब ऐसे में राज्य के सत्ता में काबिज रहने वाले सभी राजनीतिक दलों से एक सवाल बनता है,कि नया राज्य गठन उपरांत राज्य सरकारों ने प्रदेश के गरीब जनता को गरीबी की दलदल निकालने हेतू अब तक क्या-क्या प्रभाव शाली कदम उठाए हैं! सरकारों के द्वारा उठाई गई प्रयासो से अबतक कितने प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से ऊपर निकल कर जीवन जी रहे है!राज्य में वर्तमान समय के दौरान जो परिवार गरीबी की दलदल में फंसकर एक एक रूपए के लिए मोहताज हो रहे है उनके लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है!📌कर्ज की दलदल में उपर से नीचे तक धंसने वाले लोगों के लिए वापसी करना आसान नहीं होता है 📌वैसे देखा जाए तो छत्तीसगढ़ सरकार सरकार ने पिछले तीन साल में 51 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया है। जबकि पिछले सरकार का 41हजार करोड़ रुपए अब भी बकाया है!अब सरकार पर ऋण भार अनुमानित राजस्व आय का 106% हो गया है। मतलब, जितनी आय संभावित है उससे कहीं अधिक कर्ज राज्य के माथे पर लटक कर झूल रही है।दरअसल,प्रदेश सरकार पर कर्ज का भार 84 हजार करोड़ से अधिक हो गया है। यह राज्य के कुल बजट का करीब 87 प्रतिशत है!छत्तीसगढ़ के अंदर ऐसे कई जिला हकिकत के धरातल पर मौजूद है,जहां पर आजादी के 75 साल पूरा होने के बावजूद आज भी पीने के लिए स्वच्छ पानी,चलने और आवागमन हेतू सड़क,बच्चों के पढ़ाई हेतू शिक्षा संसाधन,राज्य की आम जनता के स्वास्थ्य सुविधा हेतू बढ़िया हास्पिटल भंयकर कमी है!वंही दूसरी ओर छत्तिसगढ़ राज्य के गरीब जनता पर राज करने वाले सियासी जमातों की तरफ देखे तो राज्य में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं!11 लोकसभा और 05 राज्यसभा की सीट है! राज्य के 90 विधायकों में से 68 विधायक ऐसे हैं जिनकी संपत्ति करोड़ो रुपयों में आंकी गई है! हाल-फिलहाल में राज्य सरकार ने प्रदेश के मंत्री और विधायकों की वेतन वृद्धि को पहले की अपेक्षा और ज्यादा इजाफा कर दिया है!प्रदेश के अंदर गरीबी को एक बिमारी की तौर पर देखा जाता है !लिहाजा बढ़ती हुई राज्य पर कर्ज का बोझ क्या गरीब जनता को गरीबी की बिमारी से बचा पायेगा या फिर सत्ता में काबिज रहने वाली सरकारे कर्ज के भारी बोझ तले राज्य का विकासदर को आगे बढ़ाने म
के लिए खड़ा हो पायेगी?