विनोद नेताम
बालोद : बालोद जिला जिसका अस्तित्व 1 नवंबर सन् 2012 को नया जिला के रूप वजूद में आया है! जब से जिला का निर्माण हुआ है तब से जिला में नये नये विकास कार्यों का सौगात आम जनता को मिलता रहा है'निश्चित तौर विकास कार्यों की सौगात के पिछे जिला के जनप्रतिनिधियों का योगदान अतुलनीय है,जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता है! जिला नवगठन पश्चात बालोद में निर्माण कार्यों में जबदस्त तरीके से इजाफा देखने को मिला है!जिला के गांव -गांव, शहर- शहर में नये नये निर्माण कार्य जिला वासियों की आवश्यकतानुसार सरकार के द्वारा कराई जा रही है!इन निर्माण कार्यो से संबंधित एक खबर यह है,कि सरकार के द्वारा खर्च कर किए जा रहे निर्माण-कार्यों में जमकर कमीशनखोरी हावी है,जो कि एक बड़ी चिंता का विषय मानी जा सकती है!
आपको बता दें,कि किसी भी निर्माण कार्य के लिए कमीशनखोरी वह जंग है,जिसके आगोश में आते ही निर्माण-कार्य की परत पतली होकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते हुए धाराशाही हो जाती है! निर्माणकार्यो में धांधली कमीशनखोरी आज के वर्तमान परिदृश्य में कोई नई बात नहीं है,जिसके बावजूद सरकारी तंत्र तमाशबीन बने खड़े रहती है यह एक बड़ी बात हो सकती है! यदि हम पूरे संसार भर की भ्रष्टाचार से संबंधित रैंक को देखें तो भारत की स्थिति ठीक नहीं माना जा सकती है! हालांकि भारत सरकार भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की बात कहते हुए लाख दावे प्रस्तुत करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले लोग देश के सफेदपोश नेता ही है जिनके कंधों पर देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने का भार है! इतिहास गवाह है जब जब भ्रष्टाचार की बात होती है,तब तब किसी सफेदपोश नेता की दामन पर लगी दाग सफेद पहले नजर आती है!!कुछ लोगों के लिए राजनिति आज व्यापार और कारोबार कर मोटी कमाई करने का जरिया बन गया है, जबकि राजनीति सेवा कार्य माना गया है!देश के राजनीतिक दलों में सेवा के आड़ में मेवा हजम करने वाले नेताओं की लंबी कतार मौजूद है! निश्चित रूप से यह कतार भारत के लिए चिंता का विषय है,साथ ही राजनीतिक दलों के लिए चुनौती भी ! 📌जिसकी लाठी उसकी भैंस 📌 राज्य के बालोद जिला में ज्यादातर निर्माण कार्यों से जुड़े हुए ठेंका सत्ताधारी राजनीतिक दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं को मिला हुआ है! यदि सरकार में बैठे लोग निर्माण कार्य कर रहे हो,तो मजाल है सरकारी बाबुओं का की,नेता से ठेंकादार बने सत्ताधारी नेताओं के निर्माणकार्यो में गुणवत्ता को परख सके और जंहा कमी है उस पर नुक्स निकाल सके!हमारे सुधी पाठक इस बात को भंलिभांती जानते हैं,कि सरकारी बाबू का क्या मजाल जो नेता जी उर्फ ठेंकादार को यह कह सके की आपका कार्य गुणवत्ताहिन है! वैसे देखा जाए तो बाबूओ को चुप रहने का ईनाम तय समय में मिल जाता है और यदि ना मिले तो भी कोई गुरेज नहीं है!वैसे भी जिला में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के नेताओं की मूंह कोई लगना नहीं चाहता है ऐसे में सरकारी बाबूओं को भी हिमाकत करने की कोई आवश्यकता नहीं है!सरकारी बाबुओं की ठेंकादारो पर इस तरह महेरबानी चाहे वह डर के मारे हो अथवा इनाम के वजह से हो दोनों स्थित में घटिया निर्माण कार्यों को बढ़ावा दे रही है!परिणामस्वरूप जिला वासियों को गुणवत्ताहिन निर्माण कार्यों का सौगात दिया जा रहा है,जिला के ज्यादातर निर्माण कार्यों में लिप्त ठेंकादारो के द्वारा निर्माण कार्य स्थल पर खुलेआम बिजली की चोरी खुलेआम किया जाता है!जब निर्माण कार्य से संबंधित ठेंकादार निर्माण के दौरान छोटी मोटी जरूरतों तक की चोरी कर रहा हो तो ऐसे में और कंहा कंहा चोरी होती होगी यह बताने की आवश्यकता नहीं है ! बहरहाल चोरी की बुनियाद पर बनाई गई निर्माण कार्य की गुणवत्ता को परखने की जरूरत नहीं है,यदि परखने की जरूरत है तो वह है हमारी सिस्टम जिसकी बुनियाद हमारे नेताओं ने इतनी कमजोर बना दिया है कि राजनीति के नाम को सुनते ही भ्रष्टाचार की बू आती है!खैर इस बू का वास्ता देश के नेताओं से नहीं पड़ता है,जिसके चलते इन्हें फर्क पड़ने की बात तो दूर है! अलबत्ता चोरी की बिजली और गुणवत्ताहिन निर्माण कार्य पूर्ण कर निर्माण कार्यों पर वाहीवाही बटोरने में बटोरने में कोई गुरेज नहीं करते हैं!