बालोद: जिले के सरकारी स्कूलों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना इन दिनों अधर में लटकी हुई नजर आ रही है! जिले के लगभग सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिलने वाले मध्याह्न भोजन को पकाने वाले रसोईयां,इन दिनों अनिश्चितकालीन हड़ताल में चले गए हैं! रसोईयों संघ के हड़ताल पर चले जाने से सरकारी स्कूलों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना प्रदान करने की सरकारी मंशा स्कूलों में चर्मराती हुई प्रतीत नजर आ है! लिहाजा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मध्याह्न भोजन के लिए आगे आने वाले दिनों अब तरसना भी पड़ सकता है! हालांकि शासन और प्रशासन ने रसोईयां संघ की इस हड़ताल पर पर्दा डालने की नियत से मध्याह्न भोजन पकाने और बनाने की जिम्मेदारी मध्याह्न भोजन संचालित करने वाले स्वयं सहायता समूहों पर छोड़ कर बेसुध अवस्था में कुंभकर्णी नींद का जोरदार खर्राटे लेते हुए आंनद ले रहे है! देश के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ने हेतू मध्याह्न भोजन योजना का शुभारंभ किया गया था, लेकिन साल दर साल इस योजना को लेकर नई नई विवाद सामने आते रहते हैं जिसके चलते सरकार की मंशा पर सवाल उठना लाजिमी है!एक ओर सरकार जंहा मंत्री से लेकर विधायकों की एक बार पुनः वेतन वृद्धि करने जा रही है तो वंही सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दो निवाला बना कर खिलाने वाले रसोईयों की वेतन वृद्धि को रोकी जा रही है! रसोईयां संघ की मानें तो सरकार उन्हें दो घंटा काम करने वाले लोग हो कहते हुए उनकी वेतन वृद्धि पर विचार करने तक पर ध्यान नहीं देती है,जबकि प्रदेश के अंदर सभी स्कूलों में तैनात रसोईयों को बच्चों के लिए भोजन पकाने की तैयारियों में लगभग 6, से 8 घंटा लगता है! राज्य के रसोईयां संघ लगातार शासन और प्रशासन के समक्ष अपनी वेदना को लेकर हाजिरी देते रहे हैं जिसके बावजूद रसोईयां संघ की मांग पर विचार करने की बजाय सरकार ने दिन भर जनता के मेहनत से कमाई हुई पैसों के दम पर जनसेवा करने का दावा प्रस्तुत करने वाले मंत्री और विधायकों की वेतन वृद्धि पर विचार किया है! रसोईयां संघ के अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते स्कूलों में मध्यान्ह भोजन स्वाद विहिन बनकर रह गई है' सूखा राशन बाटने वाला जो स्वयं सहायता समूह है, जिनकी सरपरस्ती में मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था संचालित होना है!अब उनके कंधो पर भार दे दिया गया है, जबकि पूर्व में रसोईयां संघ के द्वारा इसी तरह हड़ताल में जाने के दौरान इन्हीं महिलाओं की स्व सहायता समूहों के द्वारा मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था कराई गई थी!इस दौरान इन्हें रोजना प्रति रसोईयां तीन सौ रूपए रोज देने की बात जिला प्रशासन के द्वारा उस वक्त कहा गया था जिसका अभी तक ना तो अता है और ना ही कंही का पता है!इसका मतलब यह है कि शिक्षा विभाग के द्वारा मध्यान्ह भोजन संचालित करने वाले स्व सहायता समूहों के महिलाओं को भी रसोईयां संघ की तरह धोखे में रखकर काम लिया है! स्व सहायता समूह की महिलाओं का कहना है की अगर रसोईया हड़ताल में है तो वैकल्पिक व्यवस्था कर मध्यान भोजन पकाने वालो की नए सिरे से नियुक्ति किया जाए। वर्तमान में जो समस्या आ रही है उस समस्या का निराकरण के लिए कलेक्टर महोदय को हमारे समूह द्वारा लिखित आवेदन देकर मध्यान भोजन पकाने वाले रसोइया की तुरन्त व्यवस्था करने की मांग की है। जिसमे स्व सहायता समूह बालोद अध्यक्ष चंचल सरकार, उपाध्यक्ष मनीषा साहू, गुरूर ब्लाक प्रमुख जय प्रकाश सिन्हा, पार्वती साहू, गुंडरदेही ब्लाक से अंजू साहू , गायत्री साहू, रामगुलाल साहू, घना राम साहू
पुरसोतम साहू कमल कुमार और भी सदस्यगण की उपस्थिति रहे।