मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ॥ सदगुरु संत कबीर दास जी का यह दोहा समस्त मानव जाति को ज्ञान की महत्व को बताने का यह प्रयास है । त्याग, विनम्र, सद्भाव,दया एक संत का गुण और आचरण होता है, जिसके चलते समस्त मानव जाति उस संत को ईश्वर समझ कर पुजा करता है और उससे ज्ञान ,व सदमार्ग प्राप्त होता है ! छत्तीसगढ़ के माटी में भी महान संतों ने जन्म लिया है , और समाज को शांति , सद्भाव , त्याग , सेवा ,दया का राह प्रशस्त किया है , बाबा गुरुघासी दास, संत आत्मानंद, संत पवन दीवान जैसे अनेक दिव्य संतों ने जन्म लिया जिन्होंने संसार की तमाम सुख-सुविधाएं, ऐश्वर्य, समस्त वैभव का त्याग कर अपने जीवन को दूसरों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया और पुरी जीवन जनकल्याण में लगा दिया ! लोभ-मोह से दूर छत्तीसगढ़ के दबे गरीब तपके लोगों को आगे बढाने के लिए हमेशा प्रयास किया जिसके चलते छत्तिसगढ़ की पावनधरा पर अवतरित होने वाले इन संतों के लगभग सभी जाति ,वर्ग , समुदाय और धर्म में इनको मानने वाले लोग मौजूद है । लोगों को इन संतों के द्वारा दिए गए ज्ञान ,और उनके द्वारा दिखाएं गए सदमार्ग से मतलब है, किसी जाति , समाज ,वर्ग , समुदाय से मतलब नहीं है । किंतु बालोद जिला में एक महान त्यागी संत है जिनका आचार किसी गुंडे से कम नहीं है ,जिसकी काली करतूतों को लेकर राज्य के मूल निवासी समुदाय नाराज है , आक्रोशित हैं । जो सिर्फ बड़े अमीर वर्ग का संत है,फ्लाइट से सफर करने के शौकीन AC कमरों में रहकर मोबाइल के माध्यम से उपदेश देने वाले भाजपा समर्थित तथाकथित बाबा बालोद जिले में अशांति फैलाने के लिए इन दिनों जाना व पहचाना जा रहा है। उक्त महात्यागी बाबा रामबालक दास के संबंध में ज्यादातर लोगों का मानना है , कि बाबा पाटेश्वर धाम आश्रम से आधा किमी दूर पहाड़ी पर जिस आदिवासियों के देव स्थल पर जीव सेवा हुआ उसे अपने आश्रम का जगह बता कर अवैध अतिक्रमण कर खूंटा डाल कर बैठा हुआ है! दरअसल उक्त जमीन वन विभाग बालोद की अभिन्न अंग है, जंहा पर वन विभाग बालोद के द्वारा सरकारी पैसों का उपयोग करते हुए कई,निमार्ण कार्य को अंजाम दिया दिया है! खुद को महात्यागी बता कर एक संत गैरकानूनी तरीके से आश्रम का निर्माण कर शासकीय भूमि पर कब्जा कर बैठा हुआ है , जबकि एक संत को यह कृत्य कतैई शोभा नही देता है ! किसी भी संत के लिए संसारिक सुख ,मोह, माया से क्या वास्ता हो सकता है , देश के ज्यादातर संत तो मोह , माया ,लोभ को मानव की दुर्गुण बताते हुए समस्त मानव जाति से इससे दूर रहने की सलाह देते हैं ! वैसे देखा जाए तो बालोद जिला अंतर्गत तूएगोंदी गांव में 1 मई 2022 को 12 गांव के आदिवासी अपनी सभ्यता और संस्कृति के अनुरूप अपने मूल देवता की पूजा हेतू गांव की सरहद देव स्थल पर आदीवासी पंरपरा अनुसार इकत्र थे ,जिसे उक्त स्वंभू महात्यागी बाबा के द्वारा जीव हत्या का आरोप मढ़ते हुए अपने चेले चपाटों के माध्यम से पुजा कार्यक्रम में व्यस्त निर्दोष आदिवासियों के साथ जबरदस्ती मारपीट को अंजाम दिया गया , जबकि इस तरह से किसी संत को करते हुए आज तक मानव समाज ने नहीं देखा ! स्वंभू महात्यागी बाबा के चेले चपाटो के द्वारा 12 गांव से इकत्र आदीवासी समाज जो देव पुजा में शामिल होने आये थे उन्हें बुरी तरह से मारा और पिटा ,बाबा के समर्थक गुंडे लाठी ,डंडा और तलवार लेकर देव पुजा स्थल पहुंचे थे जिसके बाद घटणा को अंजाम दिया गया है ! अब जब सबके सामने यह स्पष्ट हो चुका है कि तुएगोंदी मामले के प्रमुख आरोपी बाबा बालक दास है तो धर्म का सहारा लेकर यूपी-बिहार के मठ प्रमुखों से लगातार मुलाकात करके बालोद जिला में दंगा करवाने के फिराक में है जिसके लिए स्वंभू महात्यागी अपने आडीयो संदेश लगातार प्राचारित कर रहे है और मामले में खुद को पिड़ित बताते हुए गलत आरोप मठ रहा है । इस दौरान छत्तिसगढ़ सरकार ,एवं विपक्षी दलों से लेकर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास करते हुए भी नजर आ रहा है , जिसके लिए अपने चेलों चपाटों को सरकार पर दबाव बनाने की बात कह रहे हैं , जबकि एक संत को सत्य और अहिंसा पर अडिग रहते हुए अन्याय का विरोध करना चाहिए यदि उनके साथ किसी भी प्रकार के अन्याय हुआ है , तो कानून के शरण में जाकर अपनी सत्यता को प्रमाणित करना चाहिए बार बार लोगों को आडीयो संदेश के माध्यम से खुद को पिड़ित और 1 मई को देव पुजा करने वाले तूएगोंदी एवं अन्य 11 गांव के आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए लोगों को विधर्मी घोषित कर रहे है और उनके साथ हूए अपराध पर 25 को जिला बंद के दौरान सर्मथन करने आये सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों एवं नेताओं सहित छत्तिसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल पर भी गंभीर आरोप लगा रहे है। एक संत को कैसा व्यवहार का प्रदर्शन समाज को करना चाहिए यह तय करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ समाज को है, लेकिन जिस तरह से स्वंभू महात्यागी बाबा रामबालक दास खुद द्वारा किए जा रहे कृत्य को जायज ठहराते हुए विभिन्न संगठनों को एवं राजनीतिक नेताओं को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे है । बाबा रामबालक दास के इस कृत्य को समाज के कुछ बुद्धिजीवी वर्ग लोगों का भी सहयोग मिल रहा है , जिन्हें उक्त बाबा के द्वारा मतिभ्रम करके व बरगला कर उनके समर्थन हेतू इस्तेमाल किया जा रहा है , ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ की धरा वह पवित्र भूमि है जहां पर सभी धर्मों एवं जातीयो का आदर और सम्मान ईश्वर की तरह किया जाता है । छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों को समस्त संसार भर के लोग छतिसगढ़ीहा सबले बढ़िया के नाम से जानते है । इस भूमि पर आज भी जगह जगह कई धार्मिक एवं सामाजिक संगठन ईमानदारी और अहिंसा के सदमार्ग पर चलते हुए प्रदेश के समाज में मौजूद गरीब , मजदूर ,बिमार , और जरूरतमंद लोगों का दिन रात सहयोग करते हुए समाज में ज्ञान का प्रकाश प्रचारित करने का प्रयास कर रहे है । ऐसे में महात्यागी बाबा रामबालक दास का इस तरह व्यवहार कंहा तक उचित है स्वयं विचार करें !
महात्यागी बाबा रामबालक दास पर क्षेत्र की ज्यादातर जनता का आरोप है , कि बाबा जी धर्म की आड़ में क्षेत्र के जंगलों में गांजा की खेती करता है, वाकैई बाबा पर यह आरोप गंभीर है इसकी निष्पक्ष जांच होना चाहिए ताकि आरोप में कितना सत्यता है इसकी जानकारी उजागर हो सके !
ग्रामीणों के अनुसार उनके द्वारा लगातार शिकायत की जाती रही है कि पाटेश्वर धाम के आस-पास की पहाड़ियों में गांजा की खेती की जाती है। साथ ही मलकानगिरी की ओर से आने वाले गांजा के खेप इसी रास्ते से दूसरे प्रदेश भेजा जाता है। लोगों के शिकायतों के बाद भी कभी भी पहाड़ियों में कितने एकड़ में गांजा की खेती की जा रही है। इसके मुख्य सरगना कौन हैं। यह जांच होना चाहिए था। लेकिन सुस्त कार्यप्रणाली से बड़े-बड़े सरगना बच जाते हैं और बाद में वही बड़े नेता के रूप में सामने आकर गरीब जनता का गला दबाते हैं।
सागौन की लकड़ी के तस्करी का आरोप !
लोगों का कहना है कि सबसे पहले केरीजंगेरा के आस-पास के सभी मार्गों में नाइट कैमरा लगना चाहिए। क्योंकि सबसे ज्यादा सैगोन तस्करी की शिकायत यहीं से है। ग्रामीणों के अनुसार बाहरी तत्व के लोग रात के अंधेरे में जंगलों की सफाई करने में लगे हुए हैं। अभी मामला गरमाने के बाद कुछ दिनों से शांत हैं वरना यहीं से रोजाना कई बड़े वाहनों से भरभर कर बेशकीमती लकड़ियां निकाली जाती रही है।
जुआ का बड़ा खेल -
पाटेश्वर धाम के आस-पास के जंगलों में बड़े-बड़े जुआ खाईवालों का डेरा लगा रहता है। क्योंकि यह क्षेत्र पुलिस की पहुंच से दूर है। ग्रामीण बताते हैं कि बाहर से लोग बोलेरो कार से इसी जंगलों की ओर आते हैं जहां करोड़ों का जुआ तास पत्ती का गेम होता है। जम्ही बबा के इस पवित्र स्थल को संरक्षित करने के लिए रास्ते में बड़े-बड़े नाइट विजन कैमरे लगाने चाहिए। परिवार और पर्यटन के लिए जाने वालों को छोड़ बाकी संदिग्धों के वाहनों की भी जांच होनी चाहिए। हो सकता है किसी कार में बाहर से आने वाले हथियार मिल जाये।