HomeRAIPUR NEWSकका कातिल है रे कांटे हसदेव के जंगल ला कका कातिल है!
कका कातिल है रे कांटे हसदेव के जंगल ला कका कातिल है!
TOP BHARAT DESK
05/06/2022
छत्तीसगढ़ का हसदेव जंगल इन दिनों चर्चा में है, भारत की फेफड़ा के नाम से मशहूर हसदेव अरण्य अभ्यारण क्षेत्र की जंगल को कोयला खनन हेतू आज के वर्तमान परिदृश्य में बेतहाशा कांटा जा रहा है,जिसे लेकर क्षेत्र की आम जनता लामबंद होकर विरोध कर रही है और इनके इस विरोध का समर्थन इन दिनों देश और विदेशों में भी किया जा रहा है ! लगातार हो रही विरोध प्रदर्शन के चलते छत्तिसगढ़ की मौजूदा सरकार सकते में है , जिसकी वजह से छत्तिसगढ़ सरकार और कांग्रेस पार्टी इन दिनों बैकफुट पर नजर आ रही है ! विदित हो कि कांग्रेस पार्टी हसदेव की जंगल को सुरक्षित रखने हेतू एवं अदानी को हसदेव अरण्य अभ्यारण जैसी संरक्षित जंगल को भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा बेंचे जाने को लेकर स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राहुल गांधी वर्ष 2015 को हसदेव अरण्य अभ्यारण को लेकर आंदोलनरत आदीवासियों से मिलकर तत्कालीन सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाते हुए करोड़ों रुपए का घोटाला को अंजाम देने का आरोप लगाते हुए आंदोलन की समर्थन में खड़े नजर आए थे ! राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार ने वर्ष 2019 को अदानी ग्रुप के MOD पर दस्तखत करते हुए क्षेत्र के कोल ब्लाक आवंटन को हरिझंडी दे दिया है ! कांग्रेस पार्टी की सरकार के द्वारा छत्तिसगढ़ राज्य में सरकार बनने के बाद MOD पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वंय हस्त्राक्षर करते हुए परसा कोल ब्लॉक आवंटन को अमलीजामा पहनाया ,जिसके बाद हसदेव अरण्य अभ्यारण क्षेत्र के जंगलों से वृक्षों की कटाई शुरू हो गई है ! वर्ष 2015 में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी उस दौरान कांग्रेस पार्टी विपक्ष में बैठी हुई थी ! उस समय क्षेत्र के जनता द्वारा किए जा रहे हसदेव अरण्य अभ्यारण आंदोलन को समर्थन देने के लिए हर जगह उतारू थी , किन्तु सरकार बनने के बाद हसदेव अरण्य अभ्यारण को लेकर आंदोलनरत लोग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनीति करने वाले लोग नजर आ रहे है , यदि ऐसा है तो भूपेश बघेल 2015 में राहुल गांधी के साथ मिलकर हसदेव अरण्य अभ्यारण क्षेत्र के जनता से जो वादा किया था वह क्या था ! वैसे मुख्यमंत्री भूपेंश बघेल के द्वारा हसदेव अरण्य अभ्यारण को लेकर दिए गए बयान को सोसल मीडिया के मंचों पर लगातार वायरल किया जा रहा है , जिसमें लोग छत्तिसगढ़ सरकार की जमकर मजे लेते हुए देखे जा सकते है ! छत्तीसगढ़ की स्थानीय भाषा में एक कहावत मशहूर है जरा गौर फरमाइएगा पहली अपन ला धो ,तब दूसरा के ला धोए बर सोंचबे ! एक तरफ छत्तिसगढ़ राज्य के अंदर लगभग सभी जिलों में हसदेव की जंगलों को कांटे जाने का विरोध लगातार जारी है! दूसरी ओर छत्तिसगढ़ राज्य के छतिसगढ़ीहा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजस्थान की बिजली संकट पर आंसू बहा रहे है, जबकि छत्तीसगढ़ की जनता हसदेव की जंगलो के विनाष को छत्तिसगढ़ के लिए नुकसानदायक बता रहे है ! हसदेव अरण्य अभ्यारण के जंगलों में पाई जाने वाली वृक्षों की कटाई से राज्य में पर्यावरण से संबंधित बड़ा परिवर्तन की संभावना जताई जा रही है , जिसके चलते सैकड़ों जंगली जीव जंतु का आश्रय स्थल होगा बर्बाद ! वैसे देखा जाए तो हसदेव अरण्य अभ्यारण से संबंधित विषयों को लेकर कांग्रेस पार्टी में ही मदभेद है ,जो इन दिनों स्पष्ट रूप से नजर भी आ रहा है एक ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजस्थान में पैदा हुई बिजली संकट पर आंदोलन करने वाले लोगों से लगातार अपिल करते हुए आंदोलन खत्म करने की बात कह रहे हैं ,तो वंही दूसरी ओर छत्तिसगढ़ राज्य के कई ऐसे कांग्रेसी नेता है जो आज भी हसदेव अरण्य अभ्यारण की जंगलों को कांटने वाले लोगों का विरोध करने वाले आंदोलनरत लोगों का साथ दे रहे है ! जिसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी बैकफुट पर है , मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों प्रदेश भ्रमण यात्रा पर है जंहा पर वे कांकेर पहुंचे हुए थे ,इस दौरान पत्रकारों ने हसदेव अरण्य अभ्यारण क्षेत्र में वृक्षों की कटाई ,एवं कोल ब्लॉक आवंटन संबंधी विषयों पर सवाल उठाए ! पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो बयान दिया है , उसे सुनकर स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है, कि हसदेव अरण्य अभ्यारण मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं असमंजस्य की स्थिति में है! हसदेव की जंगलों को लेकर हो रही लगातार आंदोलन और प्रदर्शन को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की हताहत अब लोगों को स्पष्ट रूप से नजर आने लगा है! भूपेश बघेल हसदेव की जंगलों को बचाने हेतू आंदोलन एवं प्रदर्शन करने वाले लोगों को एवं मामले को लेकर सरकार के फैसले का विरोध करने वाले लोगों पर मामले में राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि ,जो लोग इसका विरोध कर रहे है वो लोग अपने घरों की बिजली पहले कांटे , कोयला चाहिए तो खदान तो चलना पड़ेगा जितनी जरूरत है उतना ही कोयला खनन किया जायेगा ! हसदेव की जंगलों से वृक्षों की कटाई को लेकर हाय-तौबा मचाने वाले लोगों को कितना वृक्ष की कटाई होना यह पता नहीं है जबदस्ती क्षेत्र की भोले-भाले जनता को गुमराह कर रहे है ! मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं सत्ता से बाहर रहने के दौरान हसदेव अरण्य अभ्यारण क्षेत्र को अडानी ग्रुप को खनन हेतू आंबटित किए जाने का विरोध करते रहे है ! कांग्रेस पार्टी की लगभग सभी बड़े नेता क्षेत्र के आम जनता को हसदेव अरण्य अभ्यारण क्षेत्र को अडानी ग्रुप को बेंचे जाने को लेकर लगातार उकसाते और भड़काते हुए इनके आंदोलन को समर्थन देने की बात कहते रहे, लेकिन राज्य में जैसी ही कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी वैसी ही हसदेव अरण्य अभ्यारण को लेकर कांग्रेस पार्टी की सारी सोंच और विचार धरी की धरी रह गई है ! ऐसे में कांग्रेस पार्टी की नेताओं को लेकर आम जनता क्या धारणा आगे आने वाले समय में बनाती है ,यह देखने वाली बात होगी! बहरहाल हसदेव अरण्य अभ्यारण को बचाने हेतू छतिसगढ़ सरकार पर लगातार दबाव बनते हुए देखा जा रहा है ,तो वंही क्षेत्र की जनता सरकार के द्वारा दिए जा रहे अनर्गल बयान से चिंतित भी नजर आ रहे है ! सूत्रों की मानें तो छत्तिसगढ़ सरकार को हसदेव अरण्य अभ्यारण मामले को लेकर आगे आने वाले दिनों में बहुत बड़ी किमत चुकानी पड़ सकती है , जिसके चलते छत्तिसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मामले में संजिदा तरीके से विचार करते हुए इस समस्या की समाधान हेतू प्रयास करना चाहिए !