गुरुर-बालोद छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना गुरूर ब्लाक संयोजक झम्मन लाल हिरवानी ने कहा कि प्रकृति जल जंगल जमीन हमारे लिए वरदान है। इसको संभाल कर रखना हमारे नैतिक जिम्मेदारीयां है। प्रकृति से छेड़छाड़ करने की अंजाम मानव समाज ही नही बल्कि सम्पूर्ण जीव जगत मे इसकी खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। पर्यावरण के बिना हमारे जीवन की कल्पना नहीं की जा सकता। ऐसे में लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 5 जून को पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
हवा, पानी, खाद्य के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यह सब हमें प्रकृति ही तो देती है। पेड़-पौधे, नदियां, जंगल, जमीन, पहाड़ आदि जीवन के लिए बहुत ही जरूरी हैं। प्रकृति से हम कितना कुछ लेते हैं, लेकिन बदले में हम क्या करते हैं? प्रदूषण, दोहन...खनिज सम्पदा का नुकसान पेड़ काटना ? पेड़ लगाने, गंदगी और प्रदूषण न फैलाने जैसे छोटे-छोटे प्रयासों से हम प्रकृति के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। प्रकृति संरक्षित है तो मानवीय जीवन सुरक्षित होगा। प्रकृति ने समस्त जीवों की उत्पत्ति एक ही सिद्धांत के तहत की है,वह समस्त चर-अचर जीवों के अस्तित्व को एक दूसरे से जुड़ा हुआ है. लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब मनुष्य ने स्वयं को पर्यावरण का हिस्सा ना मानकर उसको अपनी आवश्यकताओं के अनुसार विकृति करने लगा. इन गतिविधियों ने प्रकृति के रूप को पूरी तरह बिगाड़ दिया. नदियां, पहाड़, जंगल और जीव पृथ्वी पर चारों तरफ जो नजर आते थे इनकी संख्या घटती गई. इनमें से ढेरों विलुप्त के कगार पर हैं. ऐसा लगता है कि इंसान समाज ने प्रकृति के विरुद्ध एक अघोषित युद्ध छेड़ रखा है और स्वयं को प्रकृति से अधिक ताकतवर साबित करने में जुटा हुआ है। झम्मन लाल हिरवानी ने कहा ताजा मामला अम्बिकापुर हसदेव अरण्य की है जिस तरह छत्तीसगढ़ सरकार ने 06 अप्रैल 2022 को एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है इसके तहत, हसदेव क्षेत्र में स्थित जंगलों को काट कर प्रकृति को नाश करके और उन जगहों पर कोयले की खदानें बनाकर कोयला की खोदाई करेगा जिससे आस पास के क्षेत्रों मे वातावरण ,पर्यावरण, जल जमीन प्रदूषित होगा जिससे मानव जन जीवन प्रभावित होगा। शासन द्वारा अमूल्य वन संपदाओं को छेड़ छाड़ कर रहे है जो उचित नहीं है। वनो को सहज कर रखना बेहद आवश्यक है।