@विनोद नेताम
बालोद : जेल एक ऐसी जगह है जहां पर जीते जीते कोई भी इंसान नहीं जाना चाहता है , जिसके बावजूद इंसान जानबूझ कर या फिर अनजाने में ही सही पहुंच जाता है ! इंसान के द्वारा किए गए हर अपराध के लिए सजा मूकरर है यह कहा माना जाता है चाहे व कानूनी तौर पर मिले या फिर कुदरती , लेकिन मिलता जरूर है यह ज्यादातर आम राय है ! भारत एक विशाल देश है ,अगर भारत में कैदियों की संख्या के बारे में बात कि जाए तो 4 . लाख से ज्यादा है जिनमें से आधे से ज्यादा विचाराधीन कैदी है ! छत्तीसगढ़ राज्य में भी जेलों की स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है !एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया था कि राज्य के जेलो में क्षमता से अधिक कैदी मौजूद है !
राज्य के पांच जेल में लबालब कैदी भरे पड़े है जबकि इनकी क्षमता कम है ,राज्य के ज्यादातर जेलों में क्या होता है यह किसी से छुपी नहीं है ! मत का अधिकार खो देने के बाद ,एवं समाज में सम्मान खत्म होने के बाद इंसान हर तरह से टुट जाता है ! प्रायः प्रायः बहुत बार बहुत से इंसान उस स्थिति का सामना करते हुए जेल में पहुंचता है ,उस स्थिति में उसे खुद का सामना करते हुए आत्म मंथन करना होता है और कहा भी गया है अपराधी के अपराध से घृणा करो अपराधी से नहीं, लेकिन जेल में क्या क्या सहन करना पड़ता है यह तो जेल में जाने वाले लगभग सभी इंसान भंलिभांती समझते हैं ! राज्य के ज्यादातर जेलों में गरीब निर्दोष अंदर है जिन्हें न्याय क्या होता है यह पता नहीं है !
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विगत दिनों काश्मीर डायरी नामक फिल्म देखने के बाद बस्तर पर बयान देते हुए कहा कि बस्तर डायरी बन सकती है ! राज्य के जेलो में सिर्फ निर्दोष ही नहीं है बल्कि कई ऐसे गंभीर अपराधी भी मौजूद है जो समाज के अंदर अपराधिक गतिविधियों को कारित करता है !
राज्य के पांच जेल में लबालब कैदी भरे पड़े है जबकि इनकी क्षमता कम है ,राज्य के ज्यादातर जेलों में क्या होता है यह किसी से छुपी नहीं है ! मत का अधिकार खो देने के बाद ,एवं समाज में सम्मान खत्म होने के बाद इंसान हर तरह से टुट जाता है ! प्रायः प्रायः बहुत बार बहुत से इंसान उस स्थिति का सामना करते हुए जेल में पहुंचता है ,उस स्थिति में उसे खुद का सामना करते हुए आत्म मंथन करना होता है और कहा भी गया है अपराधी के अपराध से घृणा करो अपराधी से नहीं, लेकिन जेल में क्या क्या सहन करना पड़ता है यह तो जेल में जाने वाले लगभग सभी इंसान भंलिभांती समझते हैं ! राज्य के ज्यादातर जेलों में गरीब निर्दोष अंदर है जिन्हें न्याय क्या होता है यह पता नहीं है !
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विगत दिनों काश्मीर डायरी नामक फिल्म देखने के बाद बस्तर पर बयान देते हुए कहा कि बस्तर डायरी बन सकती है ! राज्य के जेलो में सिर्फ निर्दोष ही नहीं है बल्कि कई ऐसे गंभीर अपराधी भी मौजूद है जो समाज के अंदर अपराधिक गतिविधियों को कारित करता है !
जो गरीब हैं और अपने किए अपराध से उन्हें पश्चाताप का आभास हो रहा हो सरकार को उनके विषय में जरूर सोचना चाहिए साथ ही गंगा रूपी समाज में गंदगी फैलाने के बाद समाज में खुलेआम घुमने वाले लोगों को भी समाज को शासन और प्रशासन के मध्य रखना चाहिए ! वैसे भी सलाखो के मध्य रहने वाले कैदियों की दुनिया कम ही रहती है , जंहा सुनवाई का एकमात्र साधन केवल खामोशी है !
बहरहाल हम छत्तिसगढ़ राज्य के बालोद उप जेल के विषय में चर्चा करने जा रहे है जंहा पर विगत कुछ दिनों से लगातार अनैतिक गतिविधियों को लेकर हमें सूत्रों से जानकारी प्राप्त हो रही है !(1) बताया जाता है , कि उपजेल बालोद प्रबंधन कैदियों से मिलने वाले परिजनों से मुलाकात व जेल अंदर खाने पीने के नाम लोगों से पैसा मांगी जाती है ! आमतौर पर राज्य के ज्यादातर जेलों में यह समस्या है ,जो कि किसी मायने में उचित नहीं माना जा सकता है ! किसी की मजबूरी का फायदा उठाकर किया गया छोटा सी भी चूक या गलती सभी रूप से गैरकानूनी है अतः इससे बचना चाहिए !(2) जिला उप जेल बालोद से पेशी आने-जाने के दौरान विगत दिनों एक नाबालिग आरोपी भाग खड़ा हुआ , जिसके लिए बालोद पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी , जिसके बावजूद बालोद उप जेल प्रबंधन लापरवाही बरत रही है ! जिला उप जेल के बाहर विचाराधीन कैदियों से काम लेने की खबर जो कि सूरक्षा के दृष्टिकोण से कतैई उचित नहीं माना जा सकता है !(3) जिला उप जेल बालोद में एक वर्ष परिरूद रवि कुमार के पिता अशोक कुमार ने बालोद पुलिस अधीक्षक के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है , जिसमें गंभीर आरोप लगाया गया है जिसपर न्याय की मांग करते हुए कार्यवाही का मांग किया गया है ! जेल में मानवाधिकार का पूर्ण रूप से पालन होना चाहिए , जिसके लिए लगातार जवाबदेही प्राप्त लोगों का दौरा करना चाहिए , ताकी जेल में रहने वाले व्यक्तियों के साथ कानूनी और मानवीय रूप से जेल में रहने वाले लोगों को जीवन पाप्त हो सके !