अमित मंडावी
बालोद : छत्तीसगढ़ की पावन धरा जंहा की मिट्टी के हर कण में खनिज संपदा व्यापक पैमाने पर मौजूद है ,जिसे पाने के लिए जानकार और चालक लोग दिन रात मौके की तलाश में लगे रहते हैं । राज्य के अलग अलग जिला में अनेक प्रकार की उपयोगी और किमती खनिज होने का स्पष्ट प्रमाण है। खनिज संपदा के मामले में वैसे बालोद जिला में देखा जाए तो छत्तिसगढ़ के अन्य जिलों की तरह यहां भी खनिज संपदा की प्रचुर मात्रा पाई जाती रही है !जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है' दल्ली राजहरा की प्रसिद्ध महामाया लौह अयस्क खदान ,जंहा की लौह अयस्क ने भिलाई स्टिल प्लांट जैसी औद्योगिक संयंत्र को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । निश्चित तौर दल्लीराजहरा की मशहूर लौह अयस्क की खदान बालोद जिला वासियों के लिए गौरवान्वित महसूस होने का भाव को पैदा करती है , लेकिन दल्लीराजहरा की वर्तमान स्थिति मच्छरों के द्वारा चूसे गए व्यक्ति की तरह बन कर रह गई है । आज भी महामाया लौह अयस्क खदान से प्रभावित स्थानीय आदिवासियों को उनकी जमीन से निकाली गई लौह अयस्क खदान का लाभ नहीं मिला जबकि खनन क्षेत्र होने के नाते इस क्षेत्र का सुमूचा विकास सरकार की जिम्मेदारी बनती थी । हर बार की तरह लोग सिस्टम के हाथों ठगे गए यह बात सत्य है, क्योंकि सीधा वृक्ष सदैव सबसे पहले कांटे जाते है और राज्य में आदिवासियों को ठगना शायद सबसे ज्यादा आसान है । राज्य के ज्यादातर वनांचल क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं की पहुंच आज भी दुर्लभ है लिहाजा इन क्षेत्रों में निवासरत लोगों को अपनी मौलिक अधिकारों ना के बराबर है । यंहा ज्यादातर जानकारी स्थानीय नेताओं के गुर्गों द्वारा आम जनता तक प्रचारित किया है , और राजनीतिक इच्छा शक्ति के माफिक फरमान जारी किया जाता रहा है , गुर्गों में सरकारी अफसर भी हो सकते है, और सरकारी अफसर यदि गुर्गा बना हुआ हो तो मालिक कौन हो सकता है यह समझना आसान है । बहरहाल हम बात कर रहे है बालोद जिला के वनांचल क्षेत्र,एवं मैदानी क्षेत्र में रात और दिन अवैध तरीके से हो रही है ,रेत और मुरूम,पत्थर , गिट्टी खनन की ,जिस पर जिला के तमाम जिम्मेदार अधिकारी मामले में गांधी जी के तीन बंदर के समान रूप में नजर आते है। जिला के ज्यादातर वनांचल क्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन , अवैध मुरूम खनन , अवैध पत्थर खनन ,एवं गिट्टी खनन का कारोबार जिला के रसूखदार लोगों के द्वारा खुलेआम सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए की जा रही है । परिणामस्वरूप वनांचल क्षेत्र के ज्यादातर हिस्सों को अवैध खनन करने वाले लोगों ने बुरी तरह से तहस-नहस कर दिया जा रहा है ,जो दिखने में भी खराब महसूस होता है । इस तरह कार्यों को खुलेआम अंजाम देने वाले लोगों को निश्चित तौर पर किसी ना किसी बहाने से या फिर तरीके से सत्ता रूढ़ पार्टी की नेताओं का संरक्षण प्राप्त होता है , जिसके चलते इन लोगों की गिरेबान तक सरकारी अफसर की हाथ पहुंचना तो दूर ,हाथ सिधे पैरों पर गिरता है ऐसा माना जाता है । अब देखना यह है कि बालोद जिला में इस तरह से अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले लोगों पर जिला प्रशासन आखिर कब तक कार्यवाही करता है ।