रायपुर 5 मई 2022 पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय सहित राज्य के सभी विश्वविद्यालय में चल रही है ऑनलाइन परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य आरंभ कर दिया गया वही मूल्यांकन के लिए विश्वविद्यालय के मान्यता प्राप्त शिक्षक शिक्षिकाओं के द्वारा घर पर उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का कार्य किया जा रहा है इसमें शिक्षकों ने स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन
चल रहा है इन उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में जो जानकारियां निकल कर सामने आ रही है वह चौंकाने वाली हो सकती है किंतु व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्न खड़े करने जा रही है ऑनलाइन परीक्षा में परीक्षार्थियों ने उत्तर लिखें लेकिन इन उत्तरों में अंतर है शिक्षकों ने बताया की लिखावट से अंतर को पकड़ा जा सकता है पर अंतर होने के बावजूद सभी परीक्षार्थियों को समान अंक देना जरूरी है इसलिए सभी को मिलते जुलते अंक दिए जा रहे हैं उनके द्वारा यह भी बताया गया की ज्यादातर उत्तर पुस्तिकाओं में विश्वविद्यालय के पंजीयक के द्वारा यह निर्देश है कि सभी को पास करना है वर्तमान में एक विश्वविद्यालय के पंजीयक से पदोन्नति के बाद शिक्षा विभाग में निदेशक के पद पर पहुंच चुके हैं सवाल यह है की ऑनलाइन परीक्षा में परीक्षार्थियों को लिखने की आजादी दी गई उत्तर खोजने की अनुमति थी फिर पंजीयक कि यह कौन सी मजबूरी है की वे शिक्षकों को परीक्षार्थियों को पास करने के लिए दिशानिर्देश देते हैं डिग्री बांटने के सिलसिले नहीं छत्तीसगढ़ नहीं पूरे भारत में बेरोजगारों की एक फौज खड़ा कर दी लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति से लेकर अब तक शिक्षा पद्धति में तीन बार बदलाव हो चुके हैं नई शिक्षा पद्धति में विद्यार्थियों को यह अनुमति दे दी गई है की एक अध्यापन वर्ष में 2 डिग्रियां प्राप्त कर सकते हैं कहने के लिए समस्त सरका रे बेरोजगारी खत्म करने के लिए कौशल उन्नयन के सात तमाम उपाय कर रही हैं फिर भी यह चिंता वाला प्रश्न है की बेरोजगारी घट नहीं रही वरन बढ़ती ही जा रही है राज्य सरकार ने शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए काफी महाविद्यालय और विश्वविद्यालय खड़े कर दिए परंतु क्या इन विश्वविद्यालय और महाविद्यालय से शिक्षित होने वाले शिक्षार्थियों का स्तर क्या है आकलन हो पाया है संभवत नहीं हो पाया है राज्य सरकार रोजगार देने का दावा करती हैं बेरोजगारी के प्रतिशत मे कमी की बात कहती हैं फिर भी नौबत यह है की प्लेसमेंट एजेंसियों से राज्य के समस्त विभागों में पद भरे जा रहे हैं
इसी परिपेक्ष में एक निजी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ देवाशीष मुखर्जी ने बताया कि लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति में युवा पीढ़ी को बाबू बनने का गुण दिया पहली बार पंडित जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में शिक्षा पद्धति में बदलाव हुआ और प्रौढ़ शिक्षा का महत्व मिला ताकि अनपढ़ की संख्या कम की जा सके बाद में शिक्षा में 10 प्लस 2 प्लस 3 शिक्षा पद्धति को सामने लाया गया इस दौरान यह कहां गया के कौशल उन्नयन के जरिए युवा पीढ़ी की फौज तैयार की जाए ताकि बेरोजगारी के प्रतिशत को घटा सकें इसीलिए 80 से 90 के दशक में टेक्निकल पाठ्यक्रमों की मांग बनी और काफी बच्चों ने शिक्षा प्राप्त की परंतु वे बच्चे बेरोजगार हो गए क्योंकि सरका रे रोजगार नहीं दे पाई 80 शिक्षा में फिर बदलाव लाया गया और ओल्ड मैट्रिक से निकालकर 12वीं पास हो रोजगार की दौड़ में शामिल कर दिया गया हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा है कि एक करंट ईयर में एक परीक्षार्थी तो उपाधि प्राप्त कर सकता है कहने का मतलब यह है 1 साल में 2 डिग्री क्या इससे बेरोजगारी कर सकती है शिक्षक ऐसा नहीं मानते बेरोजगारी तेजी से बढ़ेगी क्योंकि प्रतिस्पर्धा के बाद भी आप रोजगार नहीं दे पा रहे हैं
उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन परीक्षा में उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन को लेकर हमने शिक्षाविदों से बातचीत की परीक्षार्थियों से चर्चा की और जो निचोड़ सामने आया है उसे साझा करने जा रहे हैं
उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन का काम करने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक एम एफ गोविंदा नी 76 वर्ष ने बताया कि पिछले 14 वर्षों से उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का काम करते रहे मगर पिछले 2 साल में उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में जो अंतर सामने आए हैं वे डराने वाले हो सकते हैं और भविष्य की युवा पीढ़ी के लिए भी चिंतनीय पक्षों सकते हैं उन्होंने बताया कि शासकीय डीके महाविद्यालय बलोदा बाजार मैं सेवाएं दी है इस दौरान कई बार उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने का काम मिला है हाल में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय सहित डॉक्टर हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग और सरगुजा विश्वविद्यालय की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का काम कर रहे हैं उनका कहना था कि परीक्षार्थी उत्तर लिखे हैं लिखावट में अंतर है क्योंकि उत्तर सही है इसलिए सामान को देना होगा उन्होंने बताया कि उनके पुराने सहयोगी और हेमचंद विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ सी एल देवांगन कई बार मौखिक चर्चाओं में यह कहते रहे हैं उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन में सभी को पास कर देना से में एक रजिस्टार के निर्देश का भी पालन करना आवश्यक है शिक्षक गोविंदा नी का कॉमर्स की उत्तर पुस्तिकाएं जांच की है नंबर कमी नहीं कर सकता क्योंकि डर इस बात का है की परीक्षार्थियों को जानकारी में आ गया तो कम नंबर मिलने के बाद जो स्थितियां निर्मित होंगी उसे मैं स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हूं रिटायरमेंट के बाद 90000 पेंसन मिल रही है घर पर खाली समय रहता है इसलिए मूल्यांकन मिल गया हूं वे मानते हैं कि ऑनलाइन परीक्षा और शिक्षा युवा पीढ़ी के लिए काफी नुकसानदायक है
उत्तर पुस्तिकाओं के जांच में अरे कर रहे शिक्षक तेजेश्वर पाल जो राजीव कॉलेज में संविदा प्राध्यापक हैं उन्होंने बताया कि ऑनलाइन परीक्षा का परिणाम यह है कि परीक्षार्थी चलती गाड़ी में उत्तर लिख दिया जमा करने के लिए किसी अन्य से उत्तर पुस्तिका भिजवा दी क्योंकि इस बार रवि वी की उत्तर पुस्तिकाओं में ही उत्तर लिखना था हम और आप सभी ने देखा गार्डन मैदान होटल और क्लास रूम में उत्तर लिखे गए गाइड को लेकर उत्तर लिखे गए google.com के उत्तर लिखे गए उत्तर समान है अंक समान होंगे इसलिए फेल होने डर नहीं पास की गारंटी वाली बात आसान लगती है इसीलिए तो पिछले कई सालों से पढ़ाई से परे कई परीक्षार्थियों ने आ महाविद्यालय परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा दी और डिग्रियां प्राप्त कर ली अब नौकरी की मांग कर रहे हैं सरकारों को नौकरी देना चाहिए क्योंकि शिक्षा पद्धति मैं रोजगार बढ़ाने और बेरोजगारी कम करने के लिए यही फार्मूला बनाया गया उनके द्वारा बताया गया कि उत्तर पुस्तिका के पहले पन्ने पर लिखावट अलग है अंदर मैं लिखावट अलग है यही परिणाम है ऑनलाइन परीक्षा का
वाहन पर बैठ कर लिख दी उत्तर पुस्तिका
उत्तर नहीं बहीखाता लिख दिया
हरिशंकर महाविद्यालय में शिक्षक राकेश मनचंदानी ने बताया कि कॉमर्स संकाय की उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन किया है इस वर्ष शुरुआत की है नंबर सभी को समान दे रहे हैं जो कि उत्तर समान है उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष परीक्षार्थियों को उत्तर पुस्तिका स्वयं तैयार कर परीक्षा देने का अवसर दिया गया तो परीक्षार्थियों ने 100 पेज का रजिस्टर जमा कर दिया इस तरह से उत्तर लिखा मूल्यांकन करना पड़ा नंबर जो निर्धारित थे उतने ही दिए गए लेकिन अनुमान लगाइए कि एक उत्तर पुस्तिका 100 पेज की जिसमें जांचने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है इसीलिए वह उत्तर पुस्तिका नहीं थी बहीखाता लिख दिया था उन्होंने बताया कि इस वर्ष विश्वविद्यालय ने प्रथम वर्ष के आधार पर द्वितीय वर्ष के परीक्षार्थी को 50 फ़ीसदी अंक देने की व्यवस्था दी है इसलिए प्रथम वर्ष के 50% अंक और वर्तमान में 50 प्रतिशत अंक मिलने पर भला कौन परीक्षार्थी फेल होगा इसीलिए पास होने की गारंटी है फेल होने का टेंशन नहीं है इसी तरह लगभग बीए बीकॉम बीएससी एमकॉम एमएससी सहित स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की तमाम उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने वाले शिक्षकों के जवाब मिले हैं जो ऑनलाइन शिक्षा और परीक्षा के असर का विवरण पेश करते हैं