कुरूद. नगर में बहुत ही धूमधाम के साथ पोला पर्व मनाया गया।इस अवसर पर घरों में नन्हे मुन्हे बच्चों ने नांदिया बैल और मिट्टी के सामाग्री की पूजा अर्चना करते हुए उसे चीला रोटी और प्रसादी का भोग चढ़ाया। घरों में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पकवानों की धूम रही और विभिन्न व्यंजनों की महक से पर्व की खुशियां गूंज उठी।बाजार में पर्व को लेकर चहल पहल देखने को मिली।
बारिश के बावजूद पर्व का उत्साह कम नही हुआ और सभी में मिलजुलकर पर्व को मनाते हुए आपस में खुशियां बांटी। स्कूलों में विभिन्न बैल सजाओ ,बैल दौड़,फुगड़ी आदि का आयोजन हुआ। अवकाश न होने के बावजूद बच्चों में उमंग और उल्लास चरम पर रहा और सभी ने उत्सव जैसा आनंद अनुभव किया।बच्चों के साथ नादियां बैल और मिट्टी के खिलौनों को तिलक वंदन कर पूजा अर्चना की गई। इस दौरान छत्तीसगढ़ की परंपरा के अनुरूप चीला रोटी का भोग लगाया गया और जाता पोरा आदि मिट्टी से बने खिलौने को पूजा गया।
विदित है कि छत्तीसगढ़ में पोला पर्व किसानों के लिए बैलों के प्रति आभार व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो कृषि में बैलों की अहम भूमिका को दर्शाता है. इस दिन बैलों को नहलाकर, सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है, जिससे कृषि कार्य में उनकी मेहनत का सम्मान होता है. यह पर्व अन्नमाता के गर्भ धारण करने के दिन भी मनाया जाता है, और लोग इस दिन खेतों में नहीं जाते. बच्चों को मिट्टी के बैल खिलौने के रूप में मिलते हैं, और गांवों में बैल दौड़ जैसे आयोजन भी होते हैं।