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दौर नया, अधिकारी नया, सरकार नया और जमाना नया, लेकिन एक बार फिर वही पुराना सवाल

बालोद जिलावासियों के नाम एक संदेश....@विनोद नेताम की कलम से....

गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के उपजाऊ सरजमीं से ताल्लुक रखने वाले बालोद जिला की पवित्र भूमि दुर्ग जिला से अलग होने के पश्चात आज भी मूलभूत सुविधाओं से परिपूर्ण सुसज्जित नहीं हो पाया है। मतलब साफ है कि जिला वासियों की समस्यायों में ज्यादा कुछ सुधार देखने को नहीं मिला है। इस बीच जिला में पदस्थ रहने वाले लगभग सभी नौकरशाहो ने अपने अपने अंदाज और तरीका के साथ पूर्ण रूप से आम आदमी तक मूलभूत सुविधाएं कैसे पहुंचे इसके लिए दिन रात मेहनत और प्रयास किया है। अब जैसा कि आम जन मानस के बिच में कहा और सुना जाता रहा है कि कोई एक अकेला भार नहीं बांध सकता है, ठीक उसी तरह कोई एक अकेला नौकरशाह सभी जिलावासियों की समस्यायों का निराकरण नहीं कर सकता है और वैसे भी समय के अनुसार लोगों की जरूरत और उनकी मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी हुई मांग बढ़ता ही जा रहा है। अतः समय के साथ समस्या और समाधान होता रहता है, लेकिन बात उन समस्याओं का भी करना जरूरी माना जा रहा है जिसके चलते जिला के अंदर मौजूद हमारी समाजिक ताना-बाना और सांस्कृतिक विरासत को ढेंस और नुकसान पहुंचता है।
हाल के दिनो में बालोद ज़िले के नए कलेक्टर सुश्री दिव्या उमेश मिश्रा एवं पुलिस अधीक्षक श्री योगेश कुमार पटेल ने पदभार ग्रहण किये है। जिला के अंदर आला अधिकारियों के फेर बदल होने से कई उम्मीद पुराने अटके हुए सरकारी कार्यों को लेकर एक बार फिर जग गई है। इसके साथ में नये अधिकारीयों से पुराने अधिकारियों की जंहा पर बोलती बंद हुआ करती थी वहां पर अब नये अंदाज में नई उमंग और उत्साह के साथ बुंलदी की उम्मीद की जा रही है। अब देखना होगा कि स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी, सड़क, नशा, यातायात, क़ानून व्यवस्था जैसे अनेक मुद्दे पर नये अधिकारीयों का क्या रवैया होगा। ऐसे में चंद सवाल है 'जो कि आदरणीय कलेक्टर मैडम और आदरणीय पुलिस अधीक्षक के कार्यकाल में सुधार और बेहतर कार्य हेतू बालोद जिला वासियों की ओर से टाप भारत न्यूज नेटवर्क के जरिए सादर प्रस्तुत किया जा रहा है। जिसमे से कुछ सवाल बिंदुवार नीचे है। 👇

1.क्या जिले में अवैध शराब बिक्री पर रोक लगेगी? चूंकि जिला के चप्पे-चप्पे पर अवैध शराब की महक आम बात बन चुकी है। हैरानी की बात यह है कि अमृतकाल के इस दौर में रोजाना सुबह सुबह छोटे छोटे बच्चे शराब की खाली पौवा उठाते हुए खुलेआम देखे जा रहे हैं। 2.क्या यातायात व्यवस्था सही रहेगा? चूंकि जिला में सड़क दुघर्टना आमबात बन चुकी है 'जबकि जिला के सड़कों पर अवैध रेत से भरी हुई ओवरलोड हाईवा भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार में सुशासन का ढिंढोरा पिटते हुए सांय सांय रात-दिन गुजर रही है। बिते कुछ वर्षों के अंदर रेत से भरी हुई ओवरलोड हाईवा भी सड़क दुघर्टना का एक बड़ा कारण बनकर उभरा है। 3.क्या गांव और शहरों में अच्छी सड़क मिलेगा? सड़क निर्माण कार्य को लेकर की जा रही धांधली इस बात का प्रत्यक्ष गवाह है कि जिला के अंदर मौजूद सड़कों की हालत क्या होगी। धांधली को लेकर लगातार अखब ारों में खबर प्रकाशित की जाती है। बावजूद इसके जमीनी धरातल पर कार्यवाही की जगह जीरो बट्टा सन्नाटा पसरा हुआ दिखाई देता है। 4.क्या गांव में बिजली कि व्यवस्था ठीक हो पायेगी? आमतौर देखा जाता है कि सरकार बड़े बड़े उद्योग को करोड़ों रुपए की सब्सिडी बिजली में मुहैया करा देती है किन्तु दुर्भाग्यवश गांवों में रहने वाले मजदूर और किसानों को बिजली में कोई सब्सिडी नहीं दी जाती है। परिणाम स्वरूप अमृतकाल के इस दौर में भी बिजली बिल का पैसा ग्राम पंचायत के अंदर आम जनता के जेब से भरा जाता है। 5.क्या गांव में पानी की व्यवस्था ठीक रहेगा? प्रधानमंत्री जल जीवन मिशन योजना के तहत हर घर शुद्ध जल पहुंचाने का दावा केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार कर रही है, लेकिन हकीकत के धरातल पर मौजूद मंजर चिख चिख कर बंया कर रही है कि किसानों का कृषि पंप तक अवैध इट भट्टा कारोबार में चल रही है।6.क्या गांव के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो पायेगा? जिला के अंदर मौजूद ज्यादातर ग्राम पंचायतों में स्थित सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और जो है वे लोग शिक्षा कम देते हैं बल्कि मोबाइल पर चिपके हुए पाए जाते हैं। 7.क्या गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सुधार हो पायेगा? गांव गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की फौज में लगातार इजाफा इस बात का प्रत्यक्ष गवाह है कि जिला के अंदर मौजूद स्वास्थ्य सुविधा स्वंय बिमारी से ग्रस्त हो चुकी है। इसलिए डाक्टर पेट्रोल वाला डाक्टर उंगली वाला बड़े अनोखे अनोखे नाम है।

8.क्या गांव में नशा मुक्ति पर जागरूकता एवं अवैध शराब बिक्री पर रोक लगा पाएंगे? इसमें कोई संदेह नहीं है कि बालोद जिला की पवित्र भूमि से महिला कमांडो जैसी एक महिला संगठन का उदय हुआ था किन्तु घटिया मानसिकता से लबरेज राजनीतिक लोगों की इच्छाशक्ति ने इस संगठन को जमीनी धरातल से गायब रहने को मजबूर कर दिया है। फल स्वरूप पूरे जिला भर में नशे का व्यापार चरम पर पहुंच गया है। यदि जमीनी धरातल पर एक बार फिर महिला कमांडो को जमीनी धरातल पर उतारा जाए तो बहुत बड़ा बदलाव की उम्मीद किया जा सकता है।9.क्या जिले में क़ानून व्यवस्था ठीक रहेगी? कानून व्यवस्था समाजिक दृष्टिकोण के बिहाप पर काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है किंतु जिला में जिस तरह गुंडों और मावलियो को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है उसे देखकर लगता है कि सरकार को बालोद जिला में कानून व्यवस्था को और अधिक मजबूती के साथ समाज के भीतर प्रस्तुत करना चाहिए ।

10. क्या जिला अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति होगी? विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी के चलते जिलावासियों को बालोद के आसपास वाले अन्य बड़े जिला मुख्यालयों के प्राईवेट हास्पिटलो में जाना पड़ता है यदि जिला में विशेषज्ञ डाक्टर होंगे तो इसका लाभ बालोद जिला वासियों को भी मिलेगा।
 
11.क्या जिला अस्पताल में समुचित स्वास्थ्य व्यवस्था हो पायेगी जिससे जिले वासियों को अन्य जिले ईलाज हेतु जाना न पड़े? इस विषय को लेकर जिला प्रशासन बालोद और जिला के अंदर मौजूद सभी जनप्रतिनिधियों को गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि जनता को लाभ मिल सके।
12.क्या जिले के खदान और फैक्ट्री में जिले वासियों को रोजगार मिलेगा? निश्चित रूप से रोजगार एक महत्पूर्ण विषय है किन्तु जिस तरह से जिला के अंदर मौजूद संसाधनों को गैर छतिसगढ़ीहा लोगों के हाथ में थमाया जा रहा है और बाहर से लोगों को लाकर रोजगार दिया जा रहा है वह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
13.क्या जिले में जल स्तर कम न हो इस पर जागरूकता अभियान के साथ वृहद मात्रा में वृक्षारोपण गांव गांव और रोड किनारे हो पायेगा? अवगत हो कि हर साल सरकार के द्वारा पैसा खर्च कर हजारों वृक्ष रोपित किया जाते है जबकि दुसरी ओर कुछ दिन बाद पौधे रोपित करने वाले सरकारी अधिकारी स्वंय अवैध लकड़ी माफियाओं से गले मिलते हुए दिखाई देते हैं। 
14. क्या जिले में अवैध रेत खनन पर रोक लगेगी? रेत एक किमती प्राकृतिक संसाधन है जो कि जंगल से नदी के जरिए सफेदपोश नेताओं के हाइवा में मनमानी तरीके से गुंडागर्दी के साथ और नियम विरुद्ध नदीयों की छाती को बड़े बड़े चैन माउंटेन के जरिए छलनी कर ते हुए निकाल कर बेंचा जा रहा है।
15. जिले के वृक्ष कटाई पर रोक लगेगी? एक वृक्ष सौ पुत्र समान कहा जाता रहा है लेकिन जिस तरह जिला में वृक्षों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है वह किसी भंयकर आपदा से कम नहीं है। आमतौर देखा जाता है कि गांव में यदि दोपहर को अचानक किसी कारण वश बिजली बंद हो जाए तो गलियों में अब पिपल और बरगद के पेड़ ढूंढने से नहीं मिलते हैं।
16. क्या गांव और शहरों की नालियों की सफाई होगी? यह सर्व विदित है कि पूरे जिले भर के अंदर मलमा सफाई के नाम पर अवैध मुरूम उत्खनन किया जा रहा है और यह सिलसिला लगातार विगत कई वर्षों से अंधाधुंध जारी है जबकि गांव और शहरों की गलियों गंदगी से बजबजा रही है। ऐसे में स्वच्छ भारत अभियान का तंबूरा खुलेआम बजते हुए देखा जा सकता है।


OP Choudhary CMO Chhattisgarh Narendra Modi Vishnu Deo Sai 


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