"पूरे तहसील क्षेत्र अंतर्गत तहसीलदार साहब भूमिका संदेहास्पद बताई जा रही है ! इस बीच यह भी जानकारी सामने निकल कर आई है कि तहसीलदार साहब जमीनी धरातल पर अपने पद और अधिकार क्षेत्र के मुताबिक काम करने के बजाए अधिक समय भाषणबाजी पर समय व्यर्थ करते हुए नजर आते हैं। ऐसे में पूरे तहसील क्षेत्र अंतर्गत राजस्व विभाग के मामले को लेकर आम आदमी के मध्य में लगातार आक्रोश दिखाई दे रहा है। बता दें कि गुरूर तहसील क्षेत्र में रहने वाले ज्यादातर आम नागरिकों की मानें तो गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र की पावन धरा पर स्थित तहसील कार्यालय में पदस्थ हनुमत श्याम साहब तहसील कार्यालय में मिलते ही नहीं है और यदि मिल जाए तो काम कम और भाषण ज्यादा सुनाते हुए दिखाई देते हैं, जबकि यह सर्व विदित है कि भाषण के जरिए किसी का पेट नहीं भरता है। गौरतलब गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र अंतर्गत तहसील कार्यालय में पदस्थ तहसीलदार साहब की लापरवाह रवैया को लेकर अखबार और मिडिया में लगातार खबरें प्रकाशित किया जा रहा है, किन्तु घटिया सुशासन की गुणवत्ता से लबरेज कथितरूप से सांय सांय सुदर्शन चक्र धारी विष्णुदेव साय सरकार की घटिया गुणवत्ता और भाषणबाजी से तहसीलदार साहब को लेकर आंय बांय बोलती बंद होती हुई दिखाई दे रही है। सनद रहे गुरूर तहसीलदार हनुमत श्याम साहब जी ने कुछ दिन पहले ग्राम पंचायत कर्रेझर, ग्राम पंचायत देवकोट, ग्राम पंचायत मिर्रीटोला और ग्राम पंचायत दुपचेरा में रहने वाले हल्का पटवारी के निवछावरखोरी से पिड़ित किसान और ग्रामीणों को बड़े बड़े भाषणबाजी से उत्साहित करने का प्रयास है, जबकि सभी पिड़ित ग्रामीण और किसान तहसीलदार साहब से न्याय की मांग पर अड़े हुए बतायें जा रहे हैं"ग्राम पंचायत सांगली के किसानों द्वारा जनदर्शन कार्यक्रम बालोद में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद अंहकारी किसान ने अपने खेत के मेढ़ पर पक्की सिमेटीकरण करवाने हेतू हरे वृक्षों को धाराशाई करने की वारदात को बड़ी चालाकी के साथ अंजाम देने की खबर प्राप्त हुई है। वंही दुसरी तरफ राजस्व अमला के पटवारी महोदया जी ने उक्त मामले पर मामूली खानापूर्ति को अंजाम देते हुए उल्टा हरे भरे वृक्षों को कांटने वाले किसान के मार्फत ही कटे हुए वृक्षों को छोड़ दिया था। जिसे लकड़ी माफिया वारदात की जगह से लगातार पार करने की गुंजाइश में जुटा हुआ बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो हलका पटवारी ने अवैध लकड़ी कटाई पर पंचनामा भरकर कटी हुई लकड़ी को उसी किसान के सुपुर्द कर दिया था और सुपुर्द किए गए लकड़ी को अंहकारी किसान ने किसी लकड़ी माफिया को बेंच खाने की सुचना है। गौरतलब हो कि बिते कुछ अरसो के दरमियान पूरे अंचल में लगातार हरे वृक्षों की बेतहाशा कटाई कर बेंच खाने का चलन आम जनजीवन के बिच में तेज गति से बढ़ता जा रहा है,जबकि समाज के वजूद को जिंदा बरकरार रखने के लिए हरे वृक्षों का जिंदा रहना नितांत आवश्यक है। इस बीच छत्तीसगढ़ प्रदेश समेत अन्य सभी राज्यों की जमीनी धरातल पर हर साल सरकार के द्वारा लाखों वृक्ष रोपित किया जाना सुनिश्चित किया जा रहा है। हालांकि हैरान करने वाली बात यह है कि लाखों रोपित किए गए वृक्षों में से महज कुछ एकात वृक्ष ही जमीनी हकीकत से वाकिफ कराने हेतू जिंदा बचे हुए दिखाई दे रहा है। अब ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि जब जमीनी धरातल पर लाखों रुपए वृक्ष रोपित किए जा रहे हैं, तो वह आखिरकार उगते हुए पौधे जमीनी धरातल पर नजर क्यों नहीं आ रहा है? बहरहाल देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक वृक्ष मां के नाम का नारा बुलंद करते हुए आम देशवासियों को वृक्षारोपण कार्य करने हेतू प्रेरित करते हुए दिखाई देते हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के इस अव्वाहन को ध्यान में रखकर करोड़ों लोगों ने अपने अपने मां के नाम पर लाखों वृक्ष रोपित करते हुए जा रहे हैं, लेकिन इस कुछ ऐसे भी लोग धरातल पर मौजूद हैं जो कि अपने बाप दादा के लगाये हुए हरे फलदार वृक्षों को धराशाई करने पर उतारू हो चुके हैं और उतारू पन के आगोश में आकर अनैतिक गतिविधियों को संचालित करने पर तुले हुये दिखाई दे रहे हैं। दरअसल अक्ल पर जब दौलत का भूत सवार होता है 'तब इंसान को अंहकार के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता है। इस कथन को इन दिनों बालोद जिला के संजारी बालोद विधानसभा अंतर्गत राजनीतिक रण भूमि के नाम से मशहूर गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र के ग्राम पंचायत सांगली में एक सनकी किसान के द्वारा चरितार्थ करने की जानकारी प्राप्त हुई है। दरअसल ग्राम पंचायत सांगली में रहने वाले पूर्व बी एस पी कर्मचारी किसान के द्वारा अपने घर से लगे हुए खेतों के चारों ओर पक्की सिमेंट का मेढ़ बनाने की बात सामने आई है। उक्त बनाई जा रही मेढ़ को लेकर अन्य ग्रामीण किसानों के बिच में कई समस्या बताई जा रही है। ग्रामीणों की मानें तो मेढ़ पर पक्की सिमेंट ढलाई होने के चलते उन्हें उनके खेतों में आने जाने के लिए रास्ता नहीं मिल पायेगा और इसके साथ ही बरसात का पानी पुराने जमाने से चली आ रही रास्ता में सिमेटी करण हो जाने के चलते बंद होने से खेतों में भर जायेगा। परिणाम स्वरूप किसानों का खेत बारिस के दिनों में लबालब भर जायेगा। ग्राम पंचायत सांगली में रहने वाले किसानों ने पक्की सिमेंट से मेढ़ बनाने वाले किसान को अपनी समस्याओं से अवगत कराया था किन्तु दौलत के अंहकार से लबरेज पूर्व बी एस बी कर्मचारी किसान ने अन्य किसानों की इन समस्याओं को अनसुना कर देने की खबर है। बहरहाल किसानों ने अपनी समस्याओं से निजात पाने हेतू जिला प्रशासन बालोद के समक्ष उपस्थित हो कर न्याय हेतू गुहार लगाई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मामले में आगे क्या कार्यवाही होता है।
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बैगर प्रशानिक अनुमति की मेड पर सिमेटीकरण करवाने के चक्कर में स्वार्थी किसान ने उजाड़ा फलदार वृक्षों का बाग