आबादी में जमीन खरीदी ब्रिक्री का खुलेआम खेल, बड़े बड़े रसूखदार बाहरी व्यक्ति उठा रहे हैं सरकारी जमीन का बेनामी लाभ, नेशनल हाईवे की जमीन पर छतिसगढ़ीहा लोगों का हक मारते हुए जमीन छिनने का चल रहा है खुलेआम खेल। ऐसे संगीन मामले को लेकर स्थानीय विधायक का रवैया ग्रामवासियों के पक्ष में होना चाहिए किन्तु सरपंच से लेकर घोषित आबादी की जमींन पर अपना दावा ठोंकने वाले लोग उनके अपने है। ऐसे में क्या ग्राम पंचायत मिर्रीटोला के अंदर मौजूद ग्रामवासियों का उनका हक और अधिकार मिल पायेगा यह एक बड़ा सवाल है।
@ विनोद नेताम
बालोद - ग्राम पंचायत मिर्रीटोला के अंदर ग्रामवासियों के लिए एक इंच जमीन नहीं किन्तु प्रतित होता है कि 56" सीना तानकर शासन करने का दम भरनेवाली भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार में बालोद जिले के अंदर कांग्रेस पार्टी के विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा की क़रीबियों के लिए जगह की कोई कमी नहीं है। बता दें कि ग्राम पंचायत मिर्रीटोला जो कि संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की पावन धरा को सुशोभित करने वाली एक महत्वपूर्ण ग्राम पंचायत है और उतना ही महत्वपूर्ण उक्त ग्राम पंचायत के अंदर मौजूद रहने वाले एक एक ग्रामवासी है। ग्राम वासियों में पुन बाई गोंड़ पति संतोष गोंड़ का भी नाम शामिल हैं। चूंकि ग्राम पंचायत मिर्रीटोला नेशनल हाईवे से लगा हुआ एक उभरता हुआ ग्राम पंचायत माना जाता है लिहाजा यंहा की एक एक इंच जमीन की किमत लाखों रूपए में आंकी जाती है। इस बीच छत्तीसगढ़ प्रदेश की सरजमीं को आदीवासियों की जन्मभूमि माना जाता रहा है और ऐसे में विष्णुदेव साय सरकार की सुशासन रूपी सुदर्शन चक्र के नीचे एक आदीवासी परिवार को ग्राम पंचायत मिर्र ीटोला (पुरूर)में जमीन नहीं होने के चलते प्रधानमंत्री आवास योजना को वापस सरकार को लौटना पड़ रहा है।
गौरतलब हो कि किसी भी ग्राम पंचायत के अंदर निवासरत ग्रामीणों की सबसे पहले गांव की जमीन पर अधिकार होता है न कि दूसरे गांव के व्यक्ति का लेकिन मिर्रीटोला में स्थित कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाली सरपंच के कार्यकाल में कांग्रेस पार्टी के विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा के करीबियों को मकान बनाने की अनुमति प्रदान किया जा रहा है।
हैरानी की बात यह बताई जा रही है कि उक्त मामले में संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के विधायक जो के करीबी होने के साथ साथ उक्त ग्राम पंचायत के निवासी भी नहीं है उन व्यक्तियों को बकायदा नेशनल हाईवे से लगा हुआ घोषित आबादी की जमीन जिसका खसरा नंबर 182/2, एवं 183/3 है। उक्त घोषित आबादी की जमीन को गुरूर और धमतरी शहर में रहने वाले बड़े कारोबारियों को कौड़ियों के दाम आंबटित किये जाने की सूचना प्राप्त हुई है। वंही ग्राम पंचायत मिर्रीटोला के अंदर मौजूद एक आदीवासी परिवार के पास मकान बनाने हेतू जमीन नहीं होने के चलते प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाली अनुदान राशि को लौटाना पड़ रहा है। जरा सोचिए एक ओर विधायक के करीबियों को ग्राम के निवासी नहीं होने के बावजूद धड़ाधड़ लाभ और वह भी निती और नियम विरुद्ध तरीके से वंही दुसरी ओर एक गरीब आदिवासी परिवार को मिलने वाली देश की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ से ग्रामवासी होने के बावजूद दूर रहना क्या सही बात है। बहरहाल मामले को लेकर गुरूर निवासी कारोबारी से हम उनका पक्ष जानने हेतू संपर्क किया तो उन्होंने ने बताया कि उनके पास ग्राम पंचायत मिर्रीटोला के अंदर घोषित आबादी जमीन की लिगल दस्तावेज उनके पास मौजूद हैं। वंही मामले में ग्राम पंचायत मिर्रीटोला की सरपंच महोदया से संपर्क नहीं हो पाया है। जबकि हमारे द्वारा उनसे संपर्क कायम करने का बार बार प्रयास किया है। सरपंच पति कांग्रेस पार्टी के नेता जितेन्द्र यादव लगातार इस मामले को लेकर जानकारी साझा करूंगा बोलता है लेकिन कभी जानकारी साझा करने हेतू उपस्थित नहीं हो पाया है। अलबत्ता विधायक कार्यलय का चक्कर आये दिन लगाते हुए दिखाई देता है। चूंकि मामला काफी संगिन बताई जा रही है और सामने पंचायत चुनाव होना है। ऐसे में जवाबदेह लोगों की लूकाछुपी अच्छी बात नहीं मानी जायेगी। अतः जल्द से जल्द इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना आवश्यक माना जा रहा है। अब गौर करने वाली बात यह है कि क्या इस बार इस मामले को लेकर गंभीरता से जांच होगी या फिर हर बार की तरह विधायक के दखल देने के बाद यह मामला भी ज़मींदोज़ हो जायेगी।