"बैगर नौकरी मिले डौकी खोजों योजना की क्या शुरुआत हो सकती है क्या? जब बेरोजगारी एक बिमारी बनकर रह गई है 'तब क्या ऐसे में बेरोजगारी की बिमारी से तंगहाल युवाओं को डौकी खोजों योजना के लिए सरकार से मांग नहीं करना चाहिए? आखिरकार डौकी पाने का अधिकार की गारंटी इन युवाओं को कौन देगा, क्योंकि दिनों दिन सूबे के अंदर नौकरी नहीं तो डौकी नहीं यह कहावत चरितार्थ हो रही है। अब ऐसे में भला नौकरी और डौकी मिलने से रहा तब आखिरकार युवा पीढ़ी करें तो क्या करें..

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार के द्वारा सत्ता में आने से पहले 2023 के चुनावी घोषणापत्र में "गारंटी पूरी होने की गारंटी" दी गई थी। बीजेपी सहित तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष और वर्तमान समय के उपमुख्यमंत्री अरुण साव और घोषणा पत्र समिति के संयोजक विजय बघेल ने जनता से बड़े बड़े वायदे किए थे,जिनमें 57,000 शिक्षकों की भर्ती का आश्वासन भी शामिल था,लेकिन सरकार बने लगभग एक साल होने को है, और राज्य के बेरोज़गार युवाओं को अब भी इस भर्ती का इंतजार है। चुनावी वादे सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए हैं। बेरोज़गारी से जूझते युवा और शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता को नज़रअंदाज़ करना सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा करता है। क्या यह वादाखिलाफी नहीं है? क्या भाजपा सरकार अपने घोषणापत्र को केवल चुनावी हथकंडा मानती है? जनता को अब जवाब चाहिए। आश्वासन की जगह ठोस कार्रवाई समय की मांग है।